इंदौर। कोरोना काल में जितने तेजी से संक्रमण फैला है, उतनी ही तेजी से सरकारी और गैर सरकारी सभी सेक्टर्स को मंदी का सामना करना पड़ा है. इसका सीधा असर लोगों पर पड़ा है. वैश्विक महामारी के दौर में नागरिक सेवाओं पर भी बुरा असर पड़ा है, जिससे लोग परेशान तो हुए ही हैं, विभागों को भी नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसा ही हाल है इंदौर का जहां राजस्व और निगम को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है.
पहले लॉकडाउन के कारण और अब सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन के कारण सरकारी विभागों में कार्य करने के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं, राजस्व विभाग, कृषि या फिर नगरीय निकाय सभी जगह जनता को दी जा रही सेवाएं प्रभावित तो हुई ही हैं, इन विभागों की वसूली में भी कमी आई है.
कोरोना संक्रमण ने रोका निगम का काम
नगर निगम से सबसे अधिक नागरिक सेवाओं का संचालन किया जाता है, लेकिन इंदौर में कई कर्मचारियों के संक्रमित हो जाने के बाद यहां काम काफी प्रभावित हुआ है. नगर निगम इंदौर में प्रभारी सफाई दरोगा की कोरोना से मौत, उसके बाद निगम उपायुक्त अरुण शर्मा और पीआरओ राजेंद्र गरोठिया के संक्रमित होने से कई अधिकारी और कर्मचारी क्वॉरेंटाइन कर दिए गए, जिसका सीधा असर निगम के काम पर पड़ा है.
निगम की वसूली का लक्ष्य अधूरा
लोगों को अपने आम दस्तावेजों के लिए नगर निगम की जाना पड़ता है, लेकिन लॉकडाउन में ये सेवाएं पूरी तरह से बंद थीं, नगर निगम ने उम्मीद की थी कि अनलॉक में राजस्व वसूली में बढ़ोतरी होगी, लेकिन संपत्ति कर, मार्केट किराया की वसूली ना के बराबर ही रही, जिस कारण निगम के 410 करोड़ की राजस्व वसूली का लक्ष सपना बना हुआ है, क्योंकि तीन माह से वसूली पूरी तरह बंद थी.
नई योजना पर निगम कर रहा विचार
नगर निगम को वर्तमान वित्तीय वर्ष में मिले 410 करोड़ वसूली के टारगेट में 210 करोड़ रुपए तो 30 सितंबर तक वसूलने हैं. यह अलग बात है कि अभी तक केवल 55 करोड़ रुपए ही आ पाए हैं. निगम में सम्पत्तिकर, जल शुल्क और लीज की राशि के अलावा अन्य मदों की राशि बहुत कम जमा हो रही है, जिसे देखते हुए अब नई योजना तैयार की जा रही है.
रजिस्ट्री में 190 करोड़ कम हुई कमाई
लॉकडाउन के दौरान रजिस्ट्री कार्यालय में सबसे अधिक नुकसान देखा गया है. यहां का काम ही ऐसा है कि गवाह के तौर पर कई लोगों का उपस्थित होना जरूरी होता है, लेकिन कोरोना गाइडलाइन के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना एक चुनौती बन गया, जिसका सीधा असर देखा गया कि कोरोना काल में रजिस्ट्रियां कम हुईं, जिस कारण अभी तक विभाग पिछले साल की तुलना में 190 करोड़ पीछे चल रहा है.
कृषि के रकवे के साथ बढ़ी किसानों की समस्याएं
लॉकडाउन के कारण जब सारे सेक्टर पीछे जा रहे थे तो कृषि विकासदर बढ़ रहा था. लॉकडाउन के बावजूद देश में कृषि निर्यात बढ़ा है. भारत ने कोरोना काल में ही करीब 25 हजार करोड़ से अधिक का कृषि उत्पादों का निर्यात किया है, जो पिछले साल की तुलना में करीब एक चौथाई ज्यादा है. लेकिन इन सब के बावजूद छोटे किसानों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है. सबसे ज्यादा किसान को उत्पाद बेंचने के लिए जूझना पड़ा है.