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ताई की उम्मीदवारी पर लग सकता है ब्रेक, विजयवर्गीय, मेंदोला, मालिनी के बीच टक्कर

इदौर लोकसभा सीट से पार्टी के पास ताई के अलावा तीन विकल्प हैं, जिनमें इंदौर की विधानसभा दो सीट से विधायक रमेश मेंदोला, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मालिनी गौड़ के नाम शामिल हैं.

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Published : Mar 24, 2019, 1:57 PM IST

सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़

इंदौर। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने के बाद आठ बार से सांसद सुमित्रा महाजन के नाम पर भी तलवार लटक सकती है. बीजेपी की दो सूचियों में से लोकसभा स्पीकर और इंदौर सांसद का नाम गायब है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार पार्टी उनकी जगह किसी और पर दांव लगा सकती है.

बताया जा रहा है कि इंदौर सीट के लिये बीजेपी ने सुमित्रा महाजन पर फैसला छोड़ दिया है. अब वही निर्णय करेंगी कि उनको चुनाव लड़ना है या फिर किसी और को इंदौर सीट से टिकट देना है. हालांकि इस बारे में ताई का कोई बयान सामने नहीं आया है.

सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़
सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़

इदौर लोकसभा सीट से पार्टी के पास ताई के अलावा तीन विकल्प हैं, जिनमें इंदौर की विधानसभा दो सीट से विधायक रमेश मेंदोला, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मालिनी गौड़ के नाम शामिल हैं. रमेश मेंदोला विधानसभा चुनाव में लगातार सर्वाधिक वोटों से जीतते आ रहे हैं, जिससे उनका दावा मजबूत माना जा रहा है. इससे पहले पार्टी उन्हें लोकसभा प्रभारी की जिम्मेदारी भी दे चुकी है.


माना ये भी जा रहा है कि ताई भी उनके नाम पर सहमत हो सकती हैं. अमित शाह के करीबी होने के कारण पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी इंदौर से लिया जा रहा है. वे पूर्व में इंदौर के महापौर भी रह चुके हैं, लेकिन सुमित्रा महाजन व अन्य बीजेपी नेता उनके नाम का विरोध कर सकते हैं.

तीसरा नाम महापौर मालिनी गौड़ का है. इंदौर को सफाई में लगातार तीन बार और देश में नंबर वन लाने का श्रेय उनके खाते में है. उनकी राजनीतिक छवि बेदाग मानी जाती है. खुद स्वच्छता अभियान के कारण नरेंद्र मोदी उनकी प्रशंसा करते रहे हैं, यह भी संभव है कि इन तीनों नाम पर सहमति न होने पर उषा ठाकुर के नाम पर विचार हो, जो इंदौर जिले की तीन अलग-अलग सीटों से विधायक का चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं.

ताई के खिलाफ सत्यनारायण सत्तन भी मैदान में हैं, लेकिन उनके नाम पर पार्टी नेता सहमत नहीं हो पाएंगे. कुल मिलाकर एक-दो दिन में यह स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि सुमित्रा महाजन को ही यहां से टिकट मिलेगा या फिर बदला जाएगा. वहीं कांग्रेस बीजेपी की चाल का इंतजार कर रही है.

इंदौर। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने के बाद आठ बार से सांसद सुमित्रा महाजन के नाम पर भी तलवार लटक सकती है. बीजेपी की दो सूचियों में से लोकसभा स्पीकर और इंदौर सांसद का नाम गायब है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार पार्टी उनकी जगह किसी और पर दांव लगा सकती है.

बताया जा रहा है कि इंदौर सीट के लिये बीजेपी ने सुमित्रा महाजन पर फैसला छोड़ दिया है. अब वही निर्णय करेंगी कि उनको चुनाव लड़ना है या फिर किसी और को इंदौर सीट से टिकट देना है. हालांकि इस बारे में ताई का कोई बयान सामने नहीं आया है.

सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़
सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़

इदौर लोकसभा सीट से पार्टी के पास ताई के अलावा तीन विकल्प हैं, जिनमें इंदौर की विधानसभा दो सीट से विधायक रमेश मेंदोला, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मालिनी गौड़ के नाम शामिल हैं. रमेश मेंदोला विधानसभा चुनाव में लगातार सर्वाधिक वोटों से जीतते आ रहे हैं, जिससे उनका दावा मजबूत माना जा रहा है. इससे पहले पार्टी उन्हें लोकसभा प्रभारी की जिम्मेदारी भी दे चुकी है.


माना ये भी जा रहा है कि ताई भी उनके नाम पर सहमत हो सकती हैं. अमित शाह के करीबी होने के कारण पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी इंदौर से लिया जा रहा है. वे पूर्व में इंदौर के महापौर भी रह चुके हैं, लेकिन सुमित्रा महाजन व अन्य बीजेपी नेता उनके नाम का विरोध कर सकते हैं.

तीसरा नाम महापौर मालिनी गौड़ का है. इंदौर को सफाई में लगातार तीन बार और देश में नंबर वन लाने का श्रेय उनके खाते में है. उनकी राजनीतिक छवि बेदाग मानी जाती है. खुद स्वच्छता अभियान के कारण नरेंद्र मोदी उनकी प्रशंसा करते रहे हैं, यह भी संभव है कि इन तीनों नाम पर सहमति न होने पर उषा ठाकुर के नाम पर विचार हो, जो इंदौर जिले की तीन अलग-अलग सीटों से विधायक का चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं.

ताई के खिलाफ सत्यनारायण सत्तन भी मैदान में हैं, लेकिन उनके नाम पर पार्टी नेता सहमत नहीं हो पाएंगे. कुल मिलाकर एक-दो दिन में यह स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि सुमित्रा महाजन को ही यहां से टिकट मिलेगा या फिर बदला जाएगा. वहीं कांग्रेस बीजेपी की चाल का इंतजार कर रही है.

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