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भष्ट्राचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर - इन्दौर हाई कोर्ट

मध्यप्रदेश में पहली बार हाईकोर्ट ने भ्रष्ट पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट में दर्ज मामलों को समय सीमा में निपटाने के आदेश दिए हैं.

अधिकारियों के खिलाफ इन्दौर हाई कोर्ट में याचिका दायर
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Published : Nov 16, 2019, 12:54 PM IST

इंदौर। पहली बार हाईकोर्ट ने भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर नकेल कसी है. वहीं जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं, जिसमें अपराधों और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी.

वहीं राज्य शासन ठोस कार्रवाई कर चार्जशीट फाल करेंगे, इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को भी कोर्ट में दर्ज मामलों को समय सीमा में निपटाने के आदेश दिए हैं. वहीं याचिकाकर्ता द्वारा इंदौर हाई कोर्ट में कुछ ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं जिनसे बड़ा खुलासा हुआ है.

अधिकारियों के खिलाफ इन्दौर हाई कोर्ट में याचिका दायर

पुलिसवालों पर दर्ज हैं कई मामले

बता दें कि उज्जैन संभाग में लगभग 750 और पूरे मध्यप्रदेश में 2,600 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं. जो चोरी, जब्त सामग्री की हेराफेरी करना, छेड़छाड़ करना, महिलाओं को रास्ते में जबरन रोकना, सरकारी आवास में जबरन बंधक बनाकर फ़रियादी से फिरौती लेना, रिश्वत लेकर आरोपियों को छोड़ना, क्राइम ब्रांच के आफिस में जबरन लाना और वसूली करना, नकली केस डायरी बनाना जैसे मामलों में लिप्त पाए गए हैं. जिनको विभागीय जांच में भी दोषी पाया गया है.

RTI के जरिए याचिका दाखिल

इस पूरे मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने दस्तावेजों को इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर, दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने सहित 6 मांगों के साथ जनहित याचिका दाखिल की थी . याचिका पर 1 नवंबर को लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

वही हाईकोर्ट इंदौर के जस्टिस एस.सी.शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की बेंच ने 14 नवंबर को आदेश जारी कर, राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वो जल्द से जल्द दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी कर, कोर्ट में चार्जशीट फाइल करें और ट्रायल कोर्ट भी मामलों का निराकरण जल्द करें.

इंदौर। पहली बार हाईकोर्ट ने भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर नकेल कसी है. वहीं जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं, जिसमें अपराधों और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी.

वहीं राज्य शासन ठोस कार्रवाई कर चार्जशीट फाल करेंगे, इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को भी कोर्ट में दर्ज मामलों को समय सीमा में निपटाने के आदेश दिए हैं. वहीं याचिकाकर्ता द्वारा इंदौर हाई कोर्ट में कुछ ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं जिनसे बड़ा खुलासा हुआ है.

अधिकारियों के खिलाफ इन्दौर हाई कोर्ट में याचिका दायर

पुलिसवालों पर दर्ज हैं कई मामले

बता दें कि उज्जैन संभाग में लगभग 750 और पूरे मध्यप्रदेश में 2,600 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं. जो चोरी, जब्त सामग्री की हेराफेरी करना, छेड़छाड़ करना, महिलाओं को रास्ते में जबरन रोकना, सरकारी आवास में जबरन बंधक बनाकर फ़रियादी से फिरौती लेना, रिश्वत लेकर आरोपियों को छोड़ना, क्राइम ब्रांच के आफिस में जबरन लाना और वसूली करना, नकली केस डायरी बनाना जैसे मामलों में लिप्त पाए गए हैं. जिनको विभागीय जांच में भी दोषी पाया गया है.

RTI के जरिए याचिका दाखिल

इस पूरे मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने दस्तावेजों को इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर, दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने सहित 6 मांगों के साथ जनहित याचिका दाखिल की थी . याचिका पर 1 नवंबर को लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

वही हाईकोर्ट इंदौर के जस्टिस एस.सी.शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की बेंच ने 14 नवंबर को आदेश जारी कर, राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वो जल्द से जल्द दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी कर, कोर्ट में चार्जशीट फाइल करें और ट्रायल कोर्ट भी मामलों का निराकरण जल्द करें.

Intro:एंकर - इंदौर में पहली बार हाईकोर्ट ने भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर कसी नकेल  जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का आदेश दिए है जिसमे अपराधों और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जल्दी से जल्दी जाँच पूरी करके,  राज्य शासन ठोस कार्यवाही करें और चार्जशीट फाईल करें और साथ ही ट्रायल कोर्ट को भी आदेश दिए हैं की ट्रायल कोर्ट में दर्ज प्रकरणों को, कोर्ट समय सीमा में निपटाए याचिकाकर्ता द्वारा इंदौर हाई कोर्ट में कुछ ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं  जिनसे बड़ा ख़ुलासा हुआ ,

Body:वीओ - मध्यप्रदेश में ऐसे पुलिस अधिकारी और कर्मचारी पदस्थ है जो ख़ुद गंभीर अपराधों में लिप्त है, विभागीय जाँच में दोषी पाए गए। जाँच व कार्यवाही वर्षों से चल रही, इस बीच कई दोषियों को प्रमोशन भी मिल गए । जिन पर अपराध रोकने की ज़िम्मेदारी वो ख़ुद ऐसे अपराधों में लिप्त पाए गए , उज्जैन संभाग में लगभग 750 और पूरे मध्यप्रदेश में 2,600 पुलिस अधिकारी - कर्मचारी ऐसे है जो चोरी, जप्त सामग्री की हेराफेरी करना, छेड़छाड़ करना, महिलाओं को रास्ते में ज़बरन रोकना, शासकीय आवास में जबरन बंधक बना कर फ़रियादी से फिरौती लेना, रिश्वत लेकर आरोपियों को छोड़ना, क्राईम ब्रांच के आफिस में ज़बरन लाना और वसूली करना, नक़ली केस डायरी बनाना, जैसे मामलों में लिप्त पाए गए जिनको विभागीय जांच में भी दोषी पाया गया था पूरे मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता गुप्ता ने मयदस्तावेज़ों के इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाख़िल कर, दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने, उनके खिलाफ अपराध अनुसार भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में FIR दर्ज करने सहित 6 माँगों के साथ जनहित याचिका दाख़िल की थी । याचिका पर 01//11/2019 को लम्बी सुनवाई उपरांत, हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट इंदौर के जस्टिस एस.सी.शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की डीबी बेंच ने आज दिनांक 14/11/19 को आदेश जारी कर राज्य शासन को निर्देश दिए है की वो जल्दी से जल्दी दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जाँच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट फाईल करें। ट्रायल कोर्ट भी प्रकरणों का निराकरण समयावधि में करें।


बाइट - राजेन्द्र के गुप्ता, आईटीआई कार्यकर्ताConclusion:वीओ -फिलहाल अब देखना होगा कि याचिका पर किस तरह का फैसला आता है।
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