इंदौर। पहली बार हाईकोर्ट ने भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर नकेल कसी है. वहीं जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं, जिसमें अपराधों और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी.
वहीं राज्य शासन ठोस कार्रवाई कर चार्जशीट फाल करेंगे, इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को भी कोर्ट में दर्ज मामलों को समय सीमा में निपटाने के आदेश दिए हैं. वहीं याचिकाकर्ता द्वारा इंदौर हाई कोर्ट में कुछ ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं जिनसे बड़ा खुलासा हुआ है.
पुलिसवालों पर दर्ज हैं कई मामले
बता दें कि उज्जैन संभाग में लगभग 750 और पूरे मध्यप्रदेश में 2,600 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं. जो चोरी, जब्त सामग्री की हेराफेरी करना, छेड़छाड़ करना, महिलाओं को रास्ते में जबरन रोकना, सरकारी आवास में जबरन बंधक बनाकर फ़रियादी से फिरौती लेना, रिश्वत लेकर आरोपियों को छोड़ना, क्राइम ब्रांच के आफिस में जबरन लाना और वसूली करना, नकली केस डायरी बनाना जैसे मामलों में लिप्त पाए गए हैं. जिनको विभागीय जांच में भी दोषी पाया गया है.
RTI के जरिए याचिका दाखिल
इस पूरे मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने दस्तावेजों को इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर, दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने सहित 6 मांगों के साथ जनहित याचिका दाखिल की थी . याचिका पर 1 नवंबर को लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
वही हाईकोर्ट इंदौर के जस्टिस एस.सी.शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की बेंच ने 14 नवंबर को आदेश जारी कर, राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वो जल्द से जल्द दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी कर, कोर्ट में चार्जशीट फाइल करें और ट्रायल कोर्ट भी मामलों का निराकरण जल्द करें.