इंदौर। भिक्षा मांगने वालों के पुनर्वास के लिए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर पिछले दिनों सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इस पूरे मामले में सरकार ने जवाब पेश करते हुए विभिन्न तरह के तर्क कोर्ट के समक्ष रखे हैं.
पिछले दिनों कोर्ट में भिक्षा मांगने वालों के पुनर्वास को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर एक के बाद एक सुनवाई चल रही है. इसी के तहत सरकार ने अपना जवाब कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया है. जवाब के माध्यम से सरकार ने कहा कि 70 बच्चे जो भिक्षावृत्ति में लिप्त है, उन्हें पुनर्वास केंद्र पहुंचाया गया है. वहीं चौराहे पर भिक्षुक बच्चों और महिलाओं का टेस्ट भी करवाया गया है. उन्हें पुनर्वास केंद्र या रैन-बसेरे में भेजा गया है.
बता दें कि, कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए चौराहे पर भिक्षा मांगने वालों को विभिन्न जगहों पर पहुंचाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई थी. उसी जनहित याचिका के माध्यम से यह सवाल उठाए गए थे कि पुनर्वास केंद्र और रैन-बसेरा खाली पड़ा हुआ हैं. निगम प्रशासन इन्हें वहां नहीं भेजता है, जबकि सरकार ने इसके लिए बजट भी जारी किया है.
वहीं पिछले दिनों हाई कोर्ट में इस याचिका पर हुई सुनवाई के बाद शासन को नोटिस जारी किए गए थे. इस पूरे मामले में शासन ने अपनी ओर से जवाब कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है. जिस तरह से शासन ने अपने जवाब कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए हैं, उसको देखते हुए अब एक बार फिर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव प्रतिउत्तर पश कर सकते हैं.