इंदौर। लॉकडाउन के दौरान डीआरआई के द्वारा इंदौर के गुटखा कारोबारियों के खिलाफ ऑपरेशन कर्क के तहत कार्रवाई की गई थी, इस दौरान कई तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं, वहीं इस पूरे मामले को लेकर एक जनहित याचिका दो वकीलों के माध्यम से इंदौर हाईकोर्ट में दायर की गई है. जनहित याचिका दायर करने के साथ ही याचिकाकर्ता ने इंदौर कलेक्टर की कार्यप्रणाली को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं.
उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है कि वह ऑपरेशन कर्क के तहत हुए करोड़ों के टैक्स चोरी के खुलासे में जांच एजेंसियों द्वारा स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं. अधिवक्ता कुणाल भवर और मनुदेव पाटीदार के माध्यम से लोकेश कुमार परिहार ने पक्ष रखते हुए बताया कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान इन 70 गाड़ियों को प्रशासन की ओर से पास कैसे जारी हो गया ?
लॉकडाउन के दौरान पान मसाला कारोबारी को जारी किए थे पास
पान मसाला परिवहन की मंजूरी नहीं थी और ना ही यह जरूरी वस्तुओं में शामिल है, बावजूद इसके सियागंज में दुकानें कैसे खुलीं, महाराष्ट्र में गुटखा प्रतिबंधित है, फिर वहां पर इंदौर से लॉकडाउन में भी आपूर्ति कैसे और किसकी अनुमति से की गई और जहां आम आदमी लगातार परेशान होता रहा. वहीं गुटखा कारोबारियों को इतनी अधिक संख्या में पास कैसे मिल गए, इसमें बताया गया कि यह देशव्यापी लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन भी है और जब देश का हर व्यक्ति कोरोना से लड़ रहा था. तब संविधान की शपथ लेकर, जनता के हित के लिए नियुक्त सेवक द्वारा इतनी बड़ी सुनियोजित लापरवाही अपराध के तहत आती है. वहीं इसमें दावा किया गया है कि करोड़ों की कर चोरी में इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह की अहम भूमिका है, जिसके परिणाम स्वरुप घटना सरलता से संभव हो सकी है.
कलेक्टर की कार्य प्रणाली पर खड़े किए सवाल
बता दें इस पूरे मामले में जनहित याचिका दायर करते हुए कलेक्टर की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. अब देखना होगा कि इस पूरे मामले में आगे किस तरह की सुनवाई होती है.