इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता रैंकिंग के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है, दरअसल नए साल में जारी की गई स्वच्छता रैंकिंग की तिमाही रिपोर्ट में इंदौर पहले नंबर पर बना हुआ है. वर्ष 2020 के स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर इंदौर का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है.
मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहा जाने वाला इंदौर सफाई में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. यहां आम लोगों के जज्बे के साथ नगर निगम और राज्य शासन की सहभागिता से इंदौर देश के स्वच्छता सर्वेक्षण में बीते 3 बार से लगातार बाजी मार रहा है.
इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता में पहले नंबर पर आने का रिकॉर्ड बना सके, इसके लिए अंतिम सर्वेक्षणों के पहले ही साफ-सफाई के अलावा जल स्रोतों के संरक्षण घर- घर में कचरे का 100 फीसदी निपटारा और जनसंख्या के अनुपात के अनुसार खुले में शौच मुक्त शहर जैसे बिंदुओं को स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल अन्य शहरों को इंदौर चुनौती दे रहा है.
जन सहभागिता के परिणाम
दरअसल, इंदौर को सबसे स्वच्छ बनाने के पीछे इंदौर नगर निगम और सफाई कर्मियों का अभूतपूर्व योगदान तो है ही, साथ ही 30 लाख की आबादी वाले इस शहर के लोगों ने भी स्वच्छता के प्रति अपना योगदान दिया है. यही वजह है कि इंदौर ना केवल स्वच्छता में नंबर वन है, बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता में भी यहां के लोग अन्य शहरों की तुलना में बहुत आगे हैं. इंदौर के शासकीय कार्यालयों में न केवल जिले सूखे कचरे की अलग डस्टबिन मौजूद हैं, बल्कि सफाई को लेकर यहां जज्बा ऐसा है कि चलती बस से भी गंदगी की जाने पर यात्रियों पर फाइन लग जाता है. इसके अलावा पॉलीथिन पर प्रतिबंध और सार्वजनिक स्थलों पर कचरा फेंकने पर फाइन के जरिए दंडित करने की व्यवस्था है.
इंदौर नगर निगम के प्रयास
2014 के बाद इंदौर में सफाई के लिए शुरू किए गए अभियान के चलते कूड़ेदानों की निगरानी के लिए 700 से अधिक कर्मचारी लगाए गए हैं, शौचालयों से लेकर सड़क किनारे रखे गए करीब 3 हजार डस्टबिन की लाइव ट्रैकिंग प्रणाली यहां विकसित की गई, इसके बाद शहर के हर वार्ड और कॉलोनी में प्रतिदिन सुबह 7 बजे से स्वच्छता को लेकर आम लोगों को प्रेरित किए जाने वाला गाना इंदौर रहेगा नंबर वन, इंदौर हुआ है नंबर वन गली-गली में गूंज रहा है.
ऐसे हुआ कचरे का निपटान
स्वच्छता अभियान के पहले इंदौर में घर-घर से गीला और सूखा कचरा एक साथ इकट्ठा किए जाने से कचरे का 100 फ़ीसदी निपटान मुश्किल था. इसके बाद तत्कालीन नगर निगम के आयुक्त मनीष सिंह ने गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने की व्यवस्था दी. इस व्यवस्था शहर को कचरे से राहत मिल गई.
ये खूबियां बनाती हैं इंदौर को सबसे अलग
- इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है, जहां कचरे से बनाई जाने वाली जैविक खाद की बिक्री से नगर निगम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा है. कचरे से मीथेन गैस का निर्माण होने से शहर में लोक परिवहन के रूप में संचालित बसें दौड़ रही हैं.
- इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर भी है, जहां कचरे की 100 फीसदी प्रोसेसिंग के बाद बिल्डिंग मटेरियल और खराब निर्माण सामग्री के कलेक्शन के साथ ही उसके सफल निपटान की व्यवस्था है.
- कचरा उठाने में लगे वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए यहां जीपीएस, कंट्रोल रूम और हर जोन के लिए अलग-अलग टीवी स्क्रीन समेत अलग से नियंत्रण की व्यवस्था है.
- इंदौर में करीब 30 हजार से ज्यादा घरों में गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का कार्य हो रहा है, इसके अलावा घर-घर में भू-जल संवर्धन के लिए पहल हो रही है.
- इंदौर में देश का पहला डिस्पोजल फ्री मार्केट '56 दुकान' और सर्राफा भी है.
- इंदौर में लाखों लोगों की मौजूदगी में दो बार जीरो वेस्ट इवेंट का आयोजन हो चुका है. इसके अलावा यहां जल सैनिक तैयार किए गए हैं, जो घर-घर में जल संरक्षण और संवर्धन का काम जन सहयोग से देख रहे हैं.