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स्वच्छता रैंकिंग: चौका लगाने को तैयारी में इंदौर, दूसरे शहरों से बनाई बढ़त

स्वच्छता रैंकिंग में लगातार तीन बार नंबर वन आने वाला इंदौर शहर चौथी बार भी अव्वल आने की तैयारी में है. दो तिमाही की रैंकिंग में इंदौर ने दूसरे शहरों से बढ़त बनाते हुए अपनी बादशाहत बरकरार रखी है.

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Published : Jan 1, 2020, 11:55 PM IST

peoples Passion of keep Indore clean has made it number  one
इंदौर लगाएगा स्वच्छता का चौका

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता रैंकिंग के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है, दरअसल नए साल में जारी की गई स्वच्छता रैंकिंग की तिमाही रिपोर्ट में इंदौर पहले नंबर पर बना हुआ है. वर्ष 2020 के स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर इंदौर का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है.

इंदौर लगाएगा स्वच्छता का चौका


मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहा जाने वाला इंदौर सफाई में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. यहां आम लोगों के जज्बे के साथ नगर निगम और राज्य शासन की सहभागिता से इंदौर देश के स्वच्छता सर्वेक्षण में बीते 3 बार से लगातार बाजी मार रहा है.


इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता में पहले नंबर पर आने का रिकॉर्ड बना सके, इसके लिए अंतिम सर्वेक्षणों के पहले ही साफ-सफाई के अलावा जल स्रोतों के संरक्षण घर- घर में कचरे का 100 फीसदी निपटारा और जनसंख्या के अनुपात के अनुसार खुले में शौच मुक्त शहर जैसे बिंदुओं को स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल अन्य शहरों को इंदौर चुनौती दे रहा है.


जन सहभागिता के परिणाम
दरअसल, इंदौर को सबसे स्वच्छ बनाने के पीछे इंदौर नगर निगम और सफाई कर्मियों का अभूतपूर्व योगदान तो है ही, साथ ही 30 लाख की आबादी वाले इस शहर के लोगों ने भी स्वच्छता के प्रति अपना योगदान दिया है. यही वजह है कि इंदौर ना केवल स्वच्छता में नंबर वन है, बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता में भी यहां के लोग अन्य शहरों की तुलना में बहुत आगे हैं. इंदौर के शासकीय कार्यालयों में न केवल जिले सूखे कचरे की अलग डस्टबिन मौजूद हैं, बल्कि सफाई को लेकर यहां जज्बा ऐसा है कि चलती बस से भी गंदगी की जाने पर यात्रियों पर फाइन लग जाता है. इसके अलावा पॉलीथिन पर प्रतिबंध और सार्वजनिक स्थलों पर कचरा फेंकने पर फाइन के जरिए दंडित करने की व्यवस्था है.

इंदौर नगर निगम के प्रयास
2014 के बाद इंदौर में सफाई के लिए शुरू किए गए अभियान के चलते कूड़ेदानों की निगरानी के लिए 700 से अधिक कर्मचारी लगाए गए हैं, शौचालयों से लेकर सड़क किनारे रखे गए करीब 3 हजार डस्टबिन की लाइव ट्रैकिंग प्रणाली यहां विकसित की गई, इसके बाद शहर के हर वार्ड और कॉलोनी में प्रतिदिन सुबह 7 बजे से स्वच्छता को लेकर आम लोगों को प्रेरित किए जाने वाला गाना इंदौर रहेगा नंबर वन, इंदौर हुआ है नंबर वन गली-गली में गूंज रहा है.

ऐसे हुआ कचरे का निपटान
स्वच्छता अभियान के पहले इंदौर में घर-घर से गीला और सूखा कचरा एक साथ इकट्ठा किए जाने से कचरे का 100 फ़ीसदी निपटान मुश्किल था. इसके बाद तत्कालीन नगर निगम के आयुक्त मनीष सिंह ने गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने की व्यवस्था दी. इस व्यवस्था शहर को कचरे से राहत मिल गई.

ये खूबियां बनाती हैं इंदौर को सबसे अलग

  • इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है, जहां कचरे से बनाई जाने वाली जैविक खाद की बिक्री से नगर निगम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा है. कचरे से मीथेन गैस का निर्माण होने से शहर में लोक परिवहन के रूप में संचालित बसें दौड़ रही हैं.
  • इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर भी है, जहां कचरे की 100 फीसदी प्रोसेसिंग के बाद बिल्डिंग मटेरियल और खराब निर्माण सामग्री के कलेक्शन के साथ ही उसके सफल निपटान की व्यवस्था है.
  • कचरा उठाने में लगे वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए यहां जीपीएस, कंट्रोल रूम और हर जोन के लिए अलग-अलग टीवी स्क्रीन समेत अलग से नियंत्रण की व्यवस्था है.
  • इंदौर में करीब 30 हजार से ज्यादा घरों में गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का कार्य हो रहा है, इसके अलावा घर-घर में भू-जल संवर्धन के लिए पहल हो रही है.
  • इंदौर में देश का पहला डिस्पोजल फ्री मार्केट '56 दुकान' और सर्राफा भी है.
  • इंदौर में लाखों लोगों की मौजूदगी में दो बार जीरो वेस्ट इवेंट का आयोजन हो चुका है. इसके अलावा यहां जल सैनिक तैयार किए गए हैं, जो घर-घर में जल संरक्षण और संवर्धन का काम जन सहयोग से देख रहे हैं.

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता रैंकिंग के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है, दरअसल नए साल में जारी की गई स्वच्छता रैंकिंग की तिमाही रिपोर्ट में इंदौर पहले नंबर पर बना हुआ है. वर्ष 2020 के स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर इंदौर का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है.

इंदौर लगाएगा स्वच्छता का चौका


मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहा जाने वाला इंदौर सफाई में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. यहां आम लोगों के जज्बे के साथ नगर निगम और राज्य शासन की सहभागिता से इंदौर देश के स्वच्छता सर्वेक्षण में बीते 3 बार से लगातार बाजी मार रहा है.


इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता में पहले नंबर पर आने का रिकॉर्ड बना सके, इसके लिए अंतिम सर्वेक्षणों के पहले ही साफ-सफाई के अलावा जल स्रोतों के संरक्षण घर- घर में कचरे का 100 फीसदी निपटारा और जनसंख्या के अनुपात के अनुसार खुले में शौच मुक्त शहर जैसे बिंदुओं को स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल अन्य शहरों को इंदौर चुनौती दे रहा है.


जन सहभागिता के परिणाम
दरअसल, इंदौर को सबसे स्वच्छ बनाने के पीछे इंदौर नगर निगम और सफाई कर्मियों का अभूतपूर्व योगदान तो है ही, साथ ही 30 लाख की आबादी वाले इस शहर के लोगों ने भी स्वच्छता के प्रति अपना योगदान दिया है. यही वजह है कि इंदौर ना केवल स्वच्छता में नंबर वन है, बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता में भी यहां के लोग अन्य शहरों की तुलना में बहुत आगे हैं. इंदौर के शासकीय कार्यालयों में न केवल जिले सूखे कचरे की अलग डस्टबिन मौजूद हैं, बल्कि सफाई को लेकर यहां जज्बा ऐसा है कि चलती बस से भी गंदगी की जाने पर यात्रियों पर फाइन लग जाता है. इसके अलावा पॉलीथिन पर प्रतिबंध और सार्वजनिक स्थलों पर कचरा फेंकने पर फाइन के जरिए दंडित करने की व्यवस्था है.

इंदौर नगर निगम के प्रयास
2014 के बाद इंदौर में सफाई के लिए शुरू किए गए अभियान के चलते कूड़ेदानों की निगरानी के लिए 700 से अधिक कर्मचारी लगाए गए हैं, शौचालयों से लेकर सड़क किनारे रखे गए करीब 3 हजार डस्टबिन की लाइव ट्रैकिंग प्रणाली यहां विकसित की गई, इसके बाद शहर के हर वार्ड और कॉलोनी में प्रतिदिन सुबह 7 बजे से स्वच्छता को लेकर आम लोगों को प्रेरित किए जाने वाला गाना इंदौर रहेगा नंबर वन, इंदौर हुआ है नंबर वन गली-गली में गूंज रहा है.

ऐसे हुआ कचरे का निपटान
स्वच्छता अभियान के पहले इंदौर में घर-घर से गीला और सूखा कचरा एक साथ इकट्ठा किए जाने से कचरे का 100 फ़ीसदी निपटान मुश्किल था. इसके बाद तत्कालीन नगर निगम के आयुक्त मनीष सिंह ने गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने की व्यवस्था दी. इस व्यवस्था शहर को कचरे से राहत मिल गई.

ये खूबियां बनाती हैं इंदौर को सबसे अलग

  • इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है, जहां कचरे से बनाई जाने वाली जैविक खाद की बिक्री से नगर निगम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा है. कचरे से मीथेन गैस का निर्माण होने से शहर में लोक परिवहन के रूप में संचालित बसें दौड़ रही हैं.
  • इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर भी है, जहां कचरे की 100 फीसदी प्रोसेसिंग के बाद बिल्डिंग मटेरियल और खराब निर्माण सामग्री के कलेक्शन के साथ ही उसके सफल निपटान की व्यवस्था है.
  • कचरा उठाने में लगे वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए यहां जीपीएस, कंट्रोल रूम और हर जोन के लिए अलग-अलग टीवी स्क्रीन समेत अलग से नियंत्रण की व्यवस्था है.
  • इंदौर में करीब 30 हजार से ज्यादा घरों में गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का कार्य हो रहा है, इसके अलावा घर-घर में भू-जल संवर्धन के लिए पहल हो रही है.
  • इंदौर में देश का पहला डिस्पोजल फ्री मार्केट '56 दुकान' और सर्राफा भी है.
  • इंदौर में लाखों लोगों की मौजूदगी में दो बार जीरो वेस्ट इवेंट का आयोजन हो चुका है. इसके अलावा यहां जल सैनिक तैयार किए गए हैं, जो घर-घर में जल संरक्षण और संवर्धन का काम जन सहयोग से देख रहे हैं.
Intro:देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका इंदौर चौथी बार भी स्वच्छता के नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है दरअसल नए साल में जारी की गई स्वच्छता सर्वेक्षणों की तिमाही रिपोर्ट में भी पहले नंबर पर आने के कारण वर्ष 2020 में स्वच्छता को लेकर इंदौर का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है


Body:मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहा जाने वाला इंदौर सफाई में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है यहां आम लोगों के जज्बे के साथ नगर निगम और राज्य शासन की सहभागिता के परिणाम स्वरूप इंदौर देश के स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणामों में बीते 3 बार से पहले नंबर पर बना हुआ है हालांकि चौथी बार भी स्वच्छता मैं पहले नंबर पर आने का रिकॉर्ड बना सके इसके लिए अंतिम सर्वेक्षणों के पहले ही साफ सफाई के अलावा जल स्रोतों के संरक्षण घर-घर में कचरे का 100 फ़ीसदी निपटान और जनसंख्या के अनुपात के अनुसार खुले में शौच मुक्त शहर जैसे बिंदुओं के आधार पर स्वच्छता सर्वेक्षण मैं शामिल अन्य शहरों को चुनौती दे रहा है

जन सहभागिता के परिणाम
दरअसल इंदौर को सबसे स्वच्छ बनाने के पीछे इंदौर नगर निगम और सफाई कर्मियों का अभूतपूर्व योगदान तो है ही लेकिन करीब 30 लाख की आबादी वाले इस शहर के लोगों का शहर के विकास के प्रति जुड़ाव और जज्बे ने सफाई के इस अभियान को जन आंदोलन रखा है यही वजह है कि बीते 6 सालों में इंदौर ना केवल स्वच्छता में नंबर वन है बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता में भी यहां के लोग अन्य शहरों की तुलना में बहुत आगे हैं इंदौर के शासकीय कार्यालयों में न केवल जिले सूखे कचरे की अलग डस्टबिन मौजूद है बल्कि सफाई को लेकर यहां जज्बा ऐसा है कि चलती बस से भी गंदगी की जाने पर यात्रियों पर फाइन लग जाता है इसके अलावा पॉलीथिन पर प्रतिबंध और सार्वजनिक स्थलों पर कचरा फेंकने पर इस पाठ फाइन के जरिए दंडित करने की व्यवस्था है

इंदौर नगर निगम के प्रयास
2014 के बाद इंदौर में सफाई के लिए शुरू किए गए अभियान के चलते कूड़ेदान ओं की निगरानी के लिए 700 से अधिक कर्मचारी शौचालयों और मंत्रालयों से लेकर सड़क किनारे रखे गए करीब 3000 डस्टबिन की लाइव ट्रैकिंग की प्रणाली यहां विकसित की गई इसके बाद शहर के हर वार्ड और कॉलोनी में प्रतिदिन सुबह 7:00 बजे से स्वच्छता को लेकर आम लोगों को प्रेरित किए जाने वाला गाना इंदौर रहेगा नंबर वन इंदौर हुआ है नंबर वन गली-गली में गूंज रहा है

ऐसे हुआ कचरे का निपटान
स्वच्छता अभियान के पहले इंदौर में घर-घर से गीला और सूखा कचरा एक साथ इकट्ठा किए जाने से कचरे का 100 फ़ीसदी निपटान मुश्किल था इसके बाद तत्कालीन नगर निगम के आयुक्त मनीष सिंह ने गीला और सूखा कचरा अलग अलग एकत्र करने की व्यवस्था दी पहले कचरे को हाथ गाड़ी से इकट्ठा किया जाता इसके बाद सभी वार्डों में मैजिक वाहन चलाए गए आज शहर के सभी वादों से मैजिक वाहनों के जरिए गीला और सूखा कचरा इकट्ठा होकर शहर में अलग-अलग क्षेत्रों में बने कचरा कलेक्शन सेंटर पर पहुंचता है जहां से तुलाई के बाद करीब 1150 मेट्रिक टन कचरा देवगुराडिया स्थित डंपिंग ग्राउंड पर पहुंचता है यहां इस कचरे को गीले और सूखे के रूप में अलग अलग छापे जाने के बाद गीले कचरे से खाद बना ली जाती है इसके अलावा सूखे कचरे से प्लास्टिक और अन्य उत्पाद तैयार कर लिए जाते हैं जिसे बेचे जाने के कारण नगर निगम को करोड़ों रुपए की आय प्रतिवर्ष हो रही है इसके अलावा अब लैंडफिल पर कचरा इकट्ठा नहीं होने के कारण 148 एकड़ के देवगुराडिया डंपिंग प्वाइंट को भव्य गार्डन के रूप में विकसित कर दिया गया है कचरे के पहाड़ के स्थान पर गार्डन विकसित होने से यहां आस-पास के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोगों को जलते कचरे से होने वाले विषैले प्रदूषण से भी मुक्ति मिल चुकी है

यह खूबियां बनाती है इंदौर को सबसे अलग शहर
इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है जहां कचरे से बनाई जाने वाली जैविक खाद की बिक्री से नगर निगम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा है इसके अलावा कचरे से ही मीथेन गैस का निर्माण होने से शहर में लोक परिवहन के रूप में संचालित बसें दौड़ रही हैं

इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर भी है जहां कचरे की 100 फ़ीसदी प्रोसेसिंग के बाद बिल्डिंग मटेरियल और खराब निर्माण सामग्री के कलेक्शन के साथ ही उसके सफल निपटान की व्यवस्था है

कचरा उठाने में लगे वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए यहां जीपीएस तथा कंट्रोल रूम और हर जोन के लिए अलग-अलग टीवी स्क्रीन समेत पृथक से नियंत्रण की व्यवस्था है

इंदौर में करीब 30000 से ज्यादा घरों में गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का कार्य हो रहा है इसके अलावा घर-घर में भू-जल संवर्धन के लिए पहल हो रही है

इंदौर में देश का पहला डिस्पोजल फ्री मार्केट 56 दुकान और सर्राफा भी है

इंदौर में लाखों लोगों की मौजूदगी में दो बार जीरो वेस्ट इवेंट का आयोजन हो चुका है इसके अलावा यहां जल सैनिक तैयार किए गए हैं जो घर-घर में जल संरक्षण और संवर्धन का काम जन सहयोग से देख रहे हैं


Conclusion:बाइट दिलीप शर्मा एमआईसी सदस्य नगर निगम इंदौर
वाइट तृप्ति सिंह
p2c Siddhartha machhiwal
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