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इंदौर: अंखफोड़वा कांड से स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप, 11 मरीजों ने गंवाई आंख की रोशनी

राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर के तहत मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद संक्रमण के चलते करीब 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई, स्वास्थ्य विभाग ने इंदौर आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है. प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लिया है.

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Published : Aug 17, 2019, 12:47 PM IST

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों के आंखों की गई रोशनी

इंदौर। राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद संक्रमण के चलते करीब 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई, मामले का खुलासा होते ही स्वास्थ्य विभाग ने इंदौर आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर को सील करने के साथ- साथ हॉस्पिटल का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया है. वहीं प्रदेश सरकार ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पूरे घटनाक्रम के जांच के आदेश और सभी मरीजों के बेहतर उपचार के निर्देश जिला प्रशासन इंदौर को दिए हैं.

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों के आंखों की गई रोशनी

ये है पूरा मामला
⦁ 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत धार जिले के 13 मोतियाबिंद के मरीजों को इंदौर आई हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था.
⦁ ऑपरेशन के बाद तीन मरीजों को तो छुट्टी दे दी गई.
⦁ 11 मरीजों को आंखों में धुंधलापन होने के कारण रोक लिया गया था.
⦁ मरीजों की शिकायत के बाद जब उनकी आंखों में दवाई डाली गई, तो दवाई डाले जाने के बाद कुछ मरीजों ने सफेद दिखने की शिकायत की, जबकि कुछ मरीजों ने आंखों में अंधेरा छाने जैसी शिकायत की.
⦁ डॉक्टरों की जांच में पता चला कि ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया है.
⦁ लिहाजा इंफेक्शन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी जाने की आशंका से अब इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल में हड़कंप की स्थिति है.

संक्रमित होने की आशंका के चलते स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित ऑपरेशन थिएटर को सील कर हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है, जिसकी 3 दिन में रिपोर्ट आने के बाद मरीजों का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गौरतलब है कि इंदौर आई हॉस्पिटल मे साल 2010 में भी यहां ऑपरेशन फेल चुके हैं. तब यहां 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. जांच के बाद 24 जनवरी, 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन और शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.

इंदौर। राष्ट्रीय अंधत्व निवारण शिविर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद संक्रमण के चलते करीब 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई, मामले का खुलासा होते ही स्वास्थ्य विभाग ने इंदौर आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर को सील करने के साथ- साथ हॉस्पिटल का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया है. वहीं प्रदेश सरकार ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पूरे घटनाक्रम के जांच के आदेश और सभी मरीजों के बेहतर उपचार के निर्देश जिला प्रशासन इंदौर को दिए हैं.

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों के आंखों की गई रोशनी

ये है पूरा मामला
⦁ 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत धार जिले के 13 मोतियाबिंद के मरीजों को इंदौर आई हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था.
⦁ ऑपरेशन के बाद तीन मरीजों को तो छुट्टी दे दी गई.
⦁ 11 मरीजों को आंखों में धुंधलापन होने के कारण रोक लिया गया था.
⦁ मरीजों की शिकायत के बाद जब उनकी आंखों में दवाई डाली गई, तो दवाई डाले जाने के बाद कुछ मरीजों ने सफेद दिखने की शिकायत की, जबकि कुछ मरीजों ने आंखों में अंधेरा छाने जैसी शिकायत की.
⦁ डॉक्टरों की जांच में पता चला कि ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया है.
⦁ लिहाजा इंफेक्शन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी जाने की आशंका से अब इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल में हड़कंप की स्थिति है.

संक्रमित होने की आशंका के चलते स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित ऑपरेशन थिएटर को सील कर हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है, जिसकी 3 दिन में रिपोर्ट आने के बाद मरीजों का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गौरतलब है कि इंदौर आई हॉस्पिटल मे साल 2010 में भी यहां ऑपरेशन फेल चुके हैं. तब यहां 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. जांच के बाद 24 जनवरी, 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन और शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.

Intro:
इंदौर मे अंधत्व निवारण शिविर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद संक्रमण के चलते करीब 10 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने की आशंका है, इस मामले का खुलासा होते ही स्वास्थ्य विभाग ने शहर के m.o.g. लाइन क्षेत्र में मौजूद इंदौर आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है साथी जांच दल गठित किया है जिसमें रिपोर्ट आने के बाद ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई होगी इधर राज्य सरकार ने सभी मरीजों के बेहतर उपचार के निर्देश जिला प्रशासन इंदौर को दिए हैंBody:
दरअसल बीते 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत धार जिले के 13 मरीजों को मोतिबिंद के मरीजों को आई हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था. उसी दिन उन सभी का ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद तीन मरीजों को तो छुट्टी दे दी गई लेकिन 10 मरीजों को आंखों में धुंधलापन होने के कारण रोक लिया गया था मरीजों की शिकायत के बाद जब उनकी आंखों में दवाई डाली गई तो दवाई डाले जाने के बाद मरीजों ने सब कुछ सफेद दिखने की शिकायत की थी जबकि कुछ मरीजों ने आंखों में अंधेरा छाने जैसी शिकायत की थी इसके बाद डॉक्टरों ने फिर से मरीजों की जांच की तो पता चला ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया है लिहाजा इंफेक्शन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी जाने की आशंका से अब इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल में हड़कंप की स्थिति है इधर अंधत्व निवारण शिविर में ही मरीजों के साथ ऐसी स्थिति होने और ऑपरेशन थिएटर के संक्रमित होने की आशंका के चलते स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित ऑपरेशन थिएटर को ही सील कर दिया है। अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम भी गठित की है जिसकी 3 दिन में रिपोर्ट आने के बाद मरीजों का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी वहीं इस पूरे घटनाक्रम की जांच के आदेश दे दिए गए हैं इधर राज्य सरकार ने भी इस मामले में संज्ञान में लेतेेे हुए सभी मरीजों के बेहतर इलाज के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं इसके बाद जिला प्रशासन की टीम शहर के m.o.g. लाइन क्षेत्र में स्थित इंदौर आई हॉस्पिटल पहुंची है गौरतलब है इंदौर आई हॉस्पिटल मे वर्ष 2010 में भी यहां ऑपरेशन फेल चुके हैं. तब यहां 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. जांच के बाद 24 जनवरी, 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन और शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था अपरस अस्पताल को मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है
Conclusion:अस्पताल के विजुअल और संबंधित मरीजों की बाइट
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