इंदौर। सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से ध्वनि प्रदूषण बहुत ज्यादा होता है. जब कई गाड़ियां एक साथ चलती हैं तो उनके इंजन व हॉर्न से निकलने वाला शोर, ध्वनि को प्रदूषित कर देता है. पर्यावरण के साथ-साथ सेहत पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं. ऐसे में इन वाहनों के माध्यम से बड़ी संख्या में ध्वनि प्रदूषण होता है. ध्वनि प्रदूषण के लिए सरकार के माध्यम से कई मानक तय किए गए हैं. जिनके आधार पर प्रदूषण को नियंत्रण करने की कोशिश की जाती है.
इंदौर में चार भागों में तय किए गए हैं मानक
इंदौर में प्रदूषण विभाग द्वारा चार भागों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए मानक तय किए गए हैं. दिन में व्यवसाय क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, रहवासी क्षेत्र और संवेदनशील क्षेत्र के रूप में निर्धारित किया गया है. इन चारों अलग-अलग क्षेत्रों के लिए ध्वनि के अलग-अलग मानक तय किए गए हैं. जिससे अधिक ध्वनि को प्रदूषण की श्रेणी में रखा जाता है. जिसमें मुख्य द्वार पर संवेदनशील क्षेत्रों में सबसे कम ध्वनि के मानक तय किए गए हैं.
स्वास्थ्य पर पड़ता है ध्वनि प्रदूषण का बड़ा प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण और तेज शोर मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक माना जाता है. तेज शोर और ध्वनि प्रदूषण के चलते हाई ब्लड प्रेशर संबंधित बीमारियां मुख्य तौर पर सामने आती है. कई बार तेज आवाज के चलते ह्रदय से संबंधित रोग भी इंसानों को हो जाते हैं. ध्वनि प्रदूषण के चलते मनुष्य और पशु पक्षी दोनों के ही स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. वही तेज आवाज के लाउडस्पीकर और डीजे से निकलने वाली आवाज सीधे दिल पर असर करती है.
नींद में कमी और मस्तिष्क रोग में होती है वृद्धि
कई बार दिन के साथ-साथ रातों में भी तेज आवाज और ध्वनि प्रदूषण की क्षमता अधिक होती है. ऐसे में इसका प्रभाव सबसे अधिक निर्भर करता है. कई बार रातों के प्रदूषण के चलते नींद पूरी नहीं हो पाती है. ऐसे में नींद के पूरे नहीं होने के कारण कई बीमारियां होती है. मुख्य द्वार पर नींद पूरी नहीं होने के कारण ह्रदय संबंधित रोग भी होते हैं और मस्तिष्क रोग भी इंसानों में सामने आ रहे हैं.
शोर रोकने के लिए यातायात विभाग चलाता है विशेष अभियान
यातायात विभाग के डीएसपी संतोष उपाध्याय के अनुसार यातायात विभाग द्वारा ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए विभिन्न तरह के जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. साथ ही जिन वाहनों के माध्यम से अत्यधिक शोर होने की स्थिति निर्मित होती है. उन पर वैधानिक कार्रवाई की जाती है. कई बार रातों में नियमों के विरुद्ध वाहनों में हार्न बजाने वालों के खिलाफ विशेष कार्रवाई की जाती है, ताकि ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सकें.
ध्वनि प्रदूषण करने वाले वाहनों पर यातायात पुलिस की कार्रवाई, काटे जा रहे चालान
ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी किए जा चुके हैं निर्देश
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डॉ दिलीप कुमार वाघेला के अनुसार ध्वनि प्रदूषण को लेकर कई तरह के निर्देश जारी किए गए हैं. साथ ही निर्देशों के अनुसार लगातार प्रदूषण को रोकने के लिए कवायद की जाती रही है. समय-समय पर विभिन्न तरह के अभियान चलाए जाते हैं और लोगों को ध्वनि प्रदूषण ना करने के लिए जागरूक किया जाता है. साथ ही जिन क्षेत्रों को संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है. वहां धोनी प्रदूषण करने वाले लोगों पर निर्धारित कार्रवाई भी की जाती है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार ये है ध्वनि के पैमाने
- व्यवसायिक क्षेत्र में दिन में 65 डेसीबल और रात में 55 डेसीबल
- औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 डेसीबल और रात में 70 डेसिबल
- रहवासी क्षेत्र में दिन में 55 डेसीबल ओर रात में 45 डेसीबल
- संवेदनशील क्षेत्र में दिन में 50 डेसीबल और रात में 40 डेसीबल
संवेदनशील क्षेत्रों को किया जाता है 'NO हॉर्न जोन'
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डॉक्टर दिलीप वाघेला के अनुसार संवेदनशील क्षेत्रों को नो हार्न जोन भी किया जाता है. ताकि यहां ध्वनि प्रदूषण के स्थितियों को कम किया जा सके. संवेदनशील क्षेत्रों में मुख्यता स्कूल अस्पताल कोर्ट व शासकीय कार्यालय के क्षेत्रों को निर्धारित किया जाता है. कोशिश की जाती है कि इन क्षेत्रों में ध्वनि की तीव्रता को रोकी जा सके, जिसके चलते किसी भी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.
चालानी कार्रवाई के साथ किया जाता है हार्न जब्त
कई बार वाहन चालकों द्वारा अपने वाहनों में तेज आवाज वाले हार्न लगवाए जाते हैं. ऐसे में यातायात विभाग द्वारा वाहन चालकों के विरूद्ध चालानी कार्रवाई भी की जाती है. साथ ही इन पर अर्थदंड भी किया जाता है. यातायात विभाग के अधिकारियों के अनुसार कार्रवाई के दौरान इन वाहनों से हार्न जब्त किये जाते हैं. साथ ही कार्रवाई भी की जाती है.