इंदौर। इंदौर आई हॉस्पिटल के डाक्टरों ने खुलासा किया है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आखों की रोशनी जाने की वजह एक संक्रमण है. स्यूडोमोनास एरुगिनोसा नामक एक घातक बैक्टीरिया के कारण ऐसा हो रहा है और इस बैक्टीरिया पर कोई भी दवाई असर नहीं कर पा रही है. यह खुलासा करने वाले डाक्टरों ने ही इंदौर के आंख फोड़ कांड में 11 मरीजों का ऑपरेशन किया था.
ईटीवी भारत द्वारा की गई पड़ताल में खुलासा हुआ है आंख फोड़ कांड में जिन 11 मरीजों की आंखों की रोशनी गई है, उनकी आखों में संक्रमण को रोकने में इंदौर के सभी नेत्र रोग विशेषज्ञ और मेडिकल कॉलेज की टीमें नाकाम रही हैं. मामले के उजागर होने के बाद डॉक्टरों को जब इस संक्रमण को रोकने का कोई तरीका नहीं सूझा तो उन्होंने इंटरनेट पर दवाई सर्च के बाद इन मरीजों को कोलस्टीन नामक एंटीबायोटिक दवाई दी. जिससे मरीजों को थोड़ी राहत मिली है.
इलाज के लिए चेन्नई से बुलाए गए विशेषज्ञ
सभी मरीजों को चोइथराम नेत्रालय में शिफ्ट कर दिया गया है. हालांकि अब सभी मरीजों का इलाज चेन्नई के संकरा आई हॉस्पिटल के दो नेत्र रोग विशेषज्ञों से कराए जाने की तैयारी है. जो जल्द ही इंदौर पहुंच जायेंगे. इंदौर के डॉक्टरों को भी इन 11 मरीजों के सफल इलाज के बाद इस घातक बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को रोकने का भी रास्ता मिल सकेगा.
धार में डॉक्टरों की कमी के चलते नहीं होते हैं मोतियाबिंद के ऑपरेशन
आंख फोड़ कांड के बाद पता चला है की धार में मोतियाबिंद के ऑपरेशन डॉक्टरों की कमी के कारण नहीं हो पा रहे हैं. इसीलिए धार के स्वास्थ्य अमले ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन की जिम्मेदारी इंदौर आई हॉस्पिटल को सौंप रखी है. जहां डॉ सुधीर महाशब्दे डॉ सुभाष बांडे रोहिणी पोरे, डॉ अनसुईया चौहान और डॉ वनिंदर कौर ने इन 14 मरीजों का ऑपरेशन किया था.