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ब्लैक फंगस के इलाज के लिए खुलेंगे म्यूकर क्लीनिक, जल्द बनेगा प्रोटोकॉल - ब्लैक फंगस के क्या है

ब्लैक फंगस से मरीजों को बचाने के लिए म्यूकर क्लीनिक खुलने जा रहे हैं. इसके अलावा प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के साथ इलाज का प्रोटोकॉल भी तैयार किया जा रहा है.

black fungus
ब्लैक फंगस
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Published : May 14, 2021, 10:01 AM IST

इंदौर। कोरोना से जंग जीतने वाले मरीजों को ब्लैक फंगस के कहर से बचाने के लिए म्यूकर क्लीनिक खुलने जा रहे हैं. इसके अलावा बीमारी के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के साथ इलाज का प्रोटोकॉल भी तैयार किया जा रहा है.

ब्लैक फंगस

विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ बनाई रणनीति
दरअसल, मेडिकल एसोसिएशन और इंदौर जिला प्रशासन इस घातक संक्रमण से मरीजों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटा है. ऐसे में जिला प्रशासन ने ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ अस्पताल संचालकों के साथ बीमारी से लड़ने को लेकर रणनीति तैयार की है. बैठक में तय किया गया है कि संक्रमण को लेकर मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रोटोकॉल बनाकर दिया जाएगा. इसके अलावा पहली बार मरीजों को संक्रमण के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी भी सार्वजनिक की जाएगी.


फंगस के मरीजों के लिए अलग से वार्ड
वहीं डॉक्टरों को इलाज के तमाम प्रोटोकॉल से अपडेट किए जाएगा. इस मामले की जानकारी देते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया जिन मरीजों में ऐसे लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए कुछ अस्पतालों का चयन किया गया है. जहां ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अलग से वार्ड निर्धारित किए जाएंगे. इसके अलावा मरीजों के लक्षणों का तमाम रिकॉर्ड और डाटा शहर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में मौजूद रहेगा. जहां इसके लक्षणों के आधार पर अन्य डॉक्टर भी इलाज को लेकर पड़ताल कर सकेंगे.

इन मरीजों को ज्यादा खतरा
जिन कोरोना मरीजों को डायबिटीज की बीमारी है और उन्हें कोरोना से बचाने के लिए इलाज के दौरान लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया गया है. ऐसे मरीज ब्लैक फंगस के शिकार हो सकते हैं. यही वजह है कि राज्य शासन के निर्देश पर अब इसके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम बनाई जा रही है. वहीं प्रारंभिक तौर पर शहर के अरविंदो अस्पताल में इस बीमारी के इलाज के लिए 10 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं.


छोटे शहरों में भी black fungus की दस्तक: कोविड और डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा

बहुत महंगी हैं इलाज की दवाएं
कलेक्टर ने बताया कि यह बीमारी बहुत ही ज्यादा खतरनाक है, जिसका इलाज आसान नहीं है, जो दवाइयां इसके इलाज में प्रयोग की जाती हैं. वह बहुत महंगी हैं. दरअसल, दवाइयों का कच्चा माल भी अन्य देशों से आता है. इसलिए भी यह महंगी है. लिहाजा जो अस्पताल इलाज के लिए चयनत किए जाएंगे. वह मरीजों को निशुल्क दवाएं भी दे सकेंगे.

इंदौर। कोरोना से जंग जीतने वाले मरीजों को ब्लैक फंगस के कहर से बचाने के लिए म्यूकर क्लीनिक खुलने जा रहे हैं. इसके अलावा बीमारी के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के साथ इलाज का प्रोटोकॉल भी तैयार किया जा रहा है.

ब्लैक फंगस

विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ बनाई रणनीति
दरअसल, मेडिकल एसोसिएशन और इंदौर जिला प्रशासन इस घातक संक्रमण से मरीजों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटा है. ऐसे में जिला प्रशासन ने ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ अस्पताल संचालकों के साथ बीमारी से लड़ने को लेकर रणनीति तैयार की है. बैठक में तय किया गया है कि संक्रमण को लेकर मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रोटोकॉल बनाकर दिया जाएगा. इसके अलावा पहली बार मरीजों को संक्रमण के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी भी सार्वजनिक की जाएगी.


फंगस के मरीजों के लिए अलग से वार्ड
वहीं डॉक्टरों को इलाज के तमाम प्रोटोकॉल से अपडेट किए जाएगा. इस मामले की जानकारी देते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया जिन मरीजों में ऐसे लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए कुछ अस्पतालों का चयन किया गया है. जहां ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अलग से वार्ड निर्धारित किए जाएंगे. इसके अलावा मरीजों के लक्षणों का तमाम रिकॉर्ड और डाटा शहर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में मौजूद रहेगा. जहां इसके लक्षणों के आधार पर अन्य डॉक्टर भी इलाज को लेकर पड़ताल कर सकेंगे.

इन मरीजों को ज्यादा खतरा
जिन कोरोना मरीजों को डायबिटीज की बीमारी है और उन्हें कोरोना से बचाने के लिए इलाज के दौरान लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया गया है. ऐसे मरीज ब्लैक फंगस के शिकार हो सकते हैं. यही वजह है कि राज्य शासन के निर्देश पर अब इसके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम बनाई जा रही है. वहीं प्रारंभिक तौर पर शहर के अरविंदो अस्पताल में इस बीमारी के इलाज के लिए 10 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं.


छोटे शहरों में भी black fungus की दस्तक: कोविड और डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा

बहुत महंगी हैं इलाज की दवाएं
कलेक्टर ने बताया कि यह बीमारी बहुत ही ज्यादा खतरनाक है, जिसका इलाज आसान नहीं है, जो दवाइयां इसके इलाज में प्रयोग की जाती हैं. वह बहुत महंगी हैं. दरअसल, दवाइयों का कच्चा माल भी अन्य देशों से आता है. इसलिए भी यह महंगी है. लिहाजा जो अस्पताल इलाज के लिए चयनत किए जाएंगे. वह मरीजों को निशुल्क दवाएं भी दे सकेंगे.

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