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MP Snakes Story: मालवा अंचल में सांपों पर संकट, जानें क्या है इसकी वजह

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Published : Feb 1, 2023, 10:33 PM IST

भारत में सांपों की करीब 276 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 36 तरह के सांप मध्य प्रदेश के जंगलों में रहते हैं. वर्तमान में यह हालात हैं कि शहरीकरण और सांपों के नैसर्गिक आवास स्थलों के उजड़ने से सांपों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है.

MP Snakes Story
सांपों पर संकट
सांपों पर संकट

इंदौर। जहरीले और खतरनाक सांप का नाम सुनते ही यूं तो हर किसी के मन में डर और सिहरन पैदा हो जाती है, लेकिन इन दिनों मालवा अंचल में बढ़ते शहरीकरण और सांपों के नैसर्गिक आवास स्थलों के उजड़ने से कई दुर्लभ सांप अब विलुप्त हो चुके हैं. यही स्थिति सांपों की अन्य सामान्य प्रजातियों को लेकर भी है, जो धीरे-धीरे खत्म हो रही है. अगर ऐसे ही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब चूहों से फसल को होने वाले नुकसान से बचाने वाले नेचुरल पेस्ट कंट्रोलर माने जाने वाले सांपों की दुर्लभ प्रजातियां बचे ही ना.

कई सांप हुए विलुप्त: दरअसल भारत में सांपों की करीब 276 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 36 तरह के सांप मध्य प्रदेश के जंगलों और अन्य स्थानों पर सदियों से रहते आए हैं. अब जबकि मध्य प्रदेश के जंगलों के अलावा सांपों के प्राकृतिक नैसर्गिक स्थलों के शहरीकरण के कारण खत्म होने और हर जगह इंसानी आबादी के पहुंचने से सांपों की कई प्रजातियां नष्ट हो चुकी है. हालांकि इसके बावजूद देश में हर साल बड़ी संख्या में लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं. मालवा अंचल के इंदौर समेत आसपास के जिलों में आलम यह है कि यहां के जंगलों और शहर के आसपास बहुतायत में पाए जाने वाले ब्राउन बैक, ग्रीन किल बैक कॉमन कुकरी स्नेक बीते कुछ सालों से विलुप्त हो चुके हैं, हाल ही में इंदौर और आसपास सांपों के पाए जाने पर रेस्क्यू करने वाले करीब 8 वन्य प्राणी वैज्ञानिकों ने 3 साल के सर्वे के आधार पर उक्त चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.

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कॉलोनियों ने छीने सांपों के आवास: इसके अलावा कॉमन क्रेत रसल वाइपर, बफ स्ट्रिप कीलबैक भी अब विलुप्त होने की कगार पर हैं. जो रेस्क्यू ऑपरेशन में 2 से 3 साल में इक्का-दुक्का ही पाए जा रहे हैं. इंदौर के जूलॉजिस्ट और सांपों को रेस्क्यू करने वाले राजेश जाट बताते हैं कि इंदौर समेत आसपास के जंगलों में 10 साल पहले तक 12 से 15 प्रजाति के सांप पाए जाते थे, जिनका हैबिटेट और नैसर्गिक प्राकृतिक आवास स्थल इंदौर के जंगलों में हुआ करता था. धीरे-धीरे शहर के तेजी से विकसित होने और प्राकृतिक स्थलों में भी आवासीय कॉलोनियां विकसित होने से सांपों के आवासी स्थल छिन गए हैं. इसके अलावा इस दौरान जहां से जितने भी सांप निकले उन्हें आम लोगों के डर के कारण या तो मार दिया गया या इंदौर के रालामंडल और भेरूघाट जैसे इलाकों में छोड़ दिया गया. इसके बावजूद जिन प्रजातियों के 7 बच्चे हुए हैं. उन्हें लेकर भी स्थिति चिंताजनक है. ऐसी स्थिति में यदि शहर के आसपास के वन क्षेत्र इसी तरह से बढ़ते रहे और खुले स्थानों पर भी कॉलोनियां विकसित होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब चूहों से फसल को होने वाले नुकसान से बचाने वाले नेचुरल पेस्ट कंट्रोलर माने जाने वाले सांपों की दुर्लभ प्रजातियां सिर्फ तस्वीरों में ही रह जाएगी.

इसलिए घरों में घुसते हैं सांप: सामान्य तौर पर सांप अपने नैसर्गिक प्राकृतिक स्थलों में ही रहते हैं, लेकिन शीत रक्त प्राणी होने के कारण उन्हें मौसम से बचाव के लिए सुरक्षित स्थान देखना होता है, क्योंकि लोगों के घरों में तापमान अधिकांश तौर पर एक जैसा होता है. इसके अलावा रिहायशी बस्ती के आसपास सांपों का भोजन जैसे मेंढक चूहे को खाने के लिए घरों में आते हैं. लिहाजा सांपों के घरों में पाए जाने की स्थिति में सांप पकड़ने वालों को उसका रेस्क्यू करने के लिए बुलाया जा सकता है.

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सांप के काटने पर क्या करें: सभी सांप जहरीले नहीं होते लेकिन कोबरा रसल वाइपर, स्केल्ड वाईपर, और क्रेट प्रजाति के सांप के काटने पर सबसे पहले बिल्कुल शांत एवं सामान्य रहना जरूरी है, जिससे कि दिल की धड़कन नहीं बढ़ पाए. जहां पर काटा है, उस घाव पर कट नहीं लगाना है, धोना नहीं है, काटे गए स्थान पर घाव को चूसना नहीं चाहिए, झाड़-फूंक तंत्र-मंत्र में नहीं पड़ना चाहिए, इसके लिए तत्काल पास के सरकारी अस्पताल में जहां एंटी वेनम इंजेक्शन मौजूद है, वहां पहुंचकर तत्काल इलाज शुरू कर आना चाहिए.

सांपों पर संकट

इंदौर। जहरीले और खतरनाक सांप का नाम सुनते ही यूं तो हर किसी के मन में डर और सिहरन पैदा हो जाती है, लेकिन इन दिनों मालवा अंचल में बढ़ते शहरीकरण और सांपों के नैसर्गिक आवास स्थलों के उजड़ने से कई दुर्लभ सांप अब विलुप्त हो चुके हैं. यही स्थिति सांपों की अन्य सामान्य प्रजातियों को लेकर भी है, जो धीरे-धीरे खत्म हो रही है. अगर ऐसे ही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब चूहों से फसल को होने वाले नुकसान से बचाने वाले नेचुरल पेस्ट कंट्रोलर माने जाने वाले सांपों की दुर्लभ प्रजातियां बचे ही ना.

कई सांप हुए विलुप्त: दरअसल भारत में सांपों की करीब 276 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 36 तरह के सांप मध्य प्रदेश के जंगलों और अन्य स्थानों पर सदियों से रहते आए हैं. अब जबकि मध्य प्रदेश के जंगलों के अलावा सांपों के प्राकृतिक नैसर्गिक स्थलों के शहरीकरण के कारण खत्म होने और हर जगह इंसानी आबादी के पहुंचने से सांपों की कई प्रजातियां नष्ट हो चुकी है. हालांकि इसके बावजूद देश में हर साल बड़ी संख्या में लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं. मालवा अंचल के इंदौर समेत आसपास के जिलों में आलम यह है कि यहां के जंगलों और शहर के आसपास बहुतायत में पाए जाने वाले ब्राउन बैक, ग्रीन किल बैक कॉमन कुकरी स्नेक बीते कुछ सालों से विलुप्त हो चुके हैं, हाल ही में इंदौर और आसपास सांपों के पाए जाने पर रेस्क्यू करने वाले करीब 8 वन्य प्राणी वैज्ञानिकों ने 3 साल के सर्वे के आधार पर उक्त चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.

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कॉलोनियों ने छीने सांपों के आवास: इसके अलावा कॉमन क्रेत रसल वाइपर, बफ स्ट्रिप कीलबैक भी अब विलुप्त होने की कगार पर हैं. जो रेस्क्यू ऑपरेशन में 2 से 3 साल में इक्का-दुक्का ही पाए जा रहे हैं. इंदौर के जूलॉजिस्ट और सांपों को रेस्क्यू करने वाले राजेश जाट बताते हैं कि इंदौर समेत आसपास के जंगलों में 10 साल पहले तक 12 से 15 प्रजाति के सांप पाए जाते थे, जिनका हैबिटेट और नैसर्गिक प्राकृतिक आवास स्थल इंदौर के जंगलों में हुआ करता था. धीरे-धीरे शहर के तेजी से विकसित होने और प्राकृतिक स्थलों में भी आवासीय कॉलोनियां विकसित होने से सांपों के आवासी स्थल छिन गए हैं. इसके अलावा इस दौरान जहां से जितने भी सांप निकले उन्हें आम लोगों के डर के कारण या तो मार दिया गया या इंदौर के रालामंडल और भेरूघाट जैसे इलाकों में छोड़ दिया गया. इसके बावजूद जिन प्रजातियों के 7 बच्चे हुए हैं. उन्हें लेकर भी स्थिति चिंताजनक है. ऐसी स्थिति में यदि शहर के आसपास के वन क्षेत्र इसी तरह से बढ़ते रहे और खुले स्थानों पर भी कॉलोनियां विकसित होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब चूहों से फसल को होने वाले नुकसान से बचाने वाले नेचुरल पेस्ट कंट्रोलर माने जाने वाले सांपों की दुर्लभ प्रजातियां सिर्फ तस्वीरों में ही रह जाएगी.

इसलिए घरों में घुसते हैं सांप: सामान्य तौर पर सांप अपने नैसर्गिक प्राकृतिक स्थलों में ही रहते हैं, लेकिन शीत रक्त प्राणी होने के कारण उन्हें मौसम से बचाव के लिए सुरक्षित स्थान देखना होता है, क्योंकि लोगों के घरों में तापमान अधिकांश तौर पर एक जैसा होता है. इसके अलावा रिहायशी बस्ती के आसपास सांपों का भोजन जैसे मेंढक चूहे को खाने के लिए घरों में आते हैं. लिहाजा सांपों के घरों में पाए जाने की स्थिति में सांप पकड़ने वालों को उसका रेस्क्यू करने के लिए बुलाया जा सकता है.

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सांप के काटने पर क्या करें: सभी सांप जहरीले नहीं होते लेकिन कोबरा रसल वाइपर, स्केल्ड वाईपर, और क्रेट प्रजाति के सांप के काटने पर सबसे पहले बिल्कुल शांत एवं सामान्य रहना जरूरी है, जिससे कि दिल की धड़कन नहीं बढ़ पाए. जहां पर काटा है, उस घाव पर कट नहीं लगाना है, धोना नहीं है, काटे गए स्थान पर घाव को चूसना नहीं चाहिए, झाड़-फूंक तंत्र-मंत्र में नहीं पड़ना चाहिए, इसके लिए तत्काल पास के सरकारी अस्पताल में जहां एंटी वेनम इंजेक्शन मौजूद है, वहां पहुंचकर तत्काल इलाज शुरू कर आना चाहिए.

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