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राशन माफिया ने छीना था गरीबों का निवाला, संपत्ति बेचकर की जाएगी वसूली

राशन माफिया ने 51 हजार गरीबों का 80 लाख रुपये का राशन हड़पा था. उन्हीं राशन माफिया की संपत्ति को अब प्रशासन नीलाम करने वाला है. उस नीलामी से जो पैसा आएगा उससे गरीबों को राशन दिया जाएगा और उनके नुकसान की भरपाई करेंगे.

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Published : Jan 23, 2021, 3:48 AM IST

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राशन घोटाला

इंदौर। प्रदेश में बीते दिनों राशन माफिया की कालाबाजारी का खुलासा हुआ था. इंदौर पुलिस मामले की जांच कर रही है. राशन माफिया 51 हजार गरीबों के हक का राशन डकार गए. जिसकी कीमत करीब 80 लाख रूपए बताई जा रही है. अब प्रशासन इसकी वसूली के लिए अभियान शुरू करने वाला है. आरोपियों की संपत्ति के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. इसके बाद रिकवरी का काम शुरू किया जाएगा.

राशन माफिया से होगी वसूली

संपत्तियों के बारे में जुटाई जा रही जानकारी

जांच दल के प्रमुख अधिकारी एडीएम अभय बेडेकर ने बताया प्रदेश में ये पहला मामला होगा जिसमें राशन माफिया की संपत्तियों को नीलाम करते हुए उनसे भू राजस्व की वसूली की तरह ही नोटिस देकर रिकवरी की जाएगी. इधर आरोपियों के 28 अन्य परिचितों और 12 समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भी संपत्तियों की जांच हो रही है. इसमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं. इन्हें भी वसूली के दायरे में लाया गया है. रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज संपत्तियों के रिकॉर्ड की भी जांच की गई. जिसमें श्याम दवे और भरत दवे के नाम पर कुछ मकान और बहुमंजिला इमारतों का पता चला है.

ये भी पढ़ेंःPDS घोटालाः MP के माफिया महाराष्ट्र के रास्ते हैदराबाद पहुंचाते थे अनाज

फूड कंट्रोलर पर भी गिरेगी गाज

इस घोटाले में फूड कंट्रोलर आरसी मीणा का नाम भी सामने आया था. जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है. अब उनके गृह जिले गुना में संपत्तियो की पड़ताल की जाएगी. इसके अलावा शासकीय सेवा के दौरान उनके द्वारा भरे जाने वाले संपत्ति विवरण से भी जानकारी निकाली जा रही है. जिससे कि मीणा की लापरवाही के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. गौरतलब है इस मामले में फूड कंट्रोलर रहे आरसी मीणा को भी आरोपी बनाया गया है. उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है.

राशन दुकानें स्व सहायता समूह से जोड़ने की कवायद

इस घोटाले के बाद अब प्रदेश में राशन दुकानों को स्व सहायता समूह से जोड़ने की कवायत शुरू की जा रही है. लेकिन इसे लेकर हाईकोर्ट का एक आदेश रोड़ा बन रहा है. जिसमें ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में नए सिरे से राशन दुकान खोले जाने को लेकर रोक है. अब शासन स्तर पर कोशिश की जा रही है कि कोर्ट के आदेश के दायरे में ही राशन दुकानों से हो रही कालाबाजारी को निगरानी के दायरे में लाया जाएगा.

राशन दुकानों पर बॉन्ड ओवर की कार्रवाई

एडीएम अभय बेडेकर के मुताबिक इस मामले में जो दुकानें संदेह के घेरे में आई हैं, उन दुकानों के संचालकों को अब धारा 107-16 में बॉन्ड ओवर भरना होगा. जिससे कि शिकायत की स्थिति में संबंधित दुकान संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

एसआईटी जांच में उजागर होगी हैदराबाद के राशन माफिया से मिलीभगत

इंदौर के खाद्यान्न की जबलपुर और नागपुर के जरिए महाराष्ट्र तक में हुई कालाबाजारी के सिंडिकेट को उजागर करने के लिए पूरे मामले की पड़ताल इस मामले में गठित एसआईटी टीम कर रही है. एडीएम अभय बेडेकर ने बताया आशंका जताई जा रही है कि इंदौर का खाद्यान्न नकली बिल और बिल्टी के जरिए जबलपुर भेजा जाता था. जहां खाद्यान्न को नागरिक आपूर्ति निगम के बोरों से अन्य बोरों में भरा जाता था. इसके बाद ट्रकों में लादकर इस खाद्यान्न को हैदराबाद में ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता था. उन्होंने बताया मध्य प्रदेश के राशन घोटाले में अन्य राज्यों के राशन माफिया की मिलीभगत को उजागर करने के लिए एसआईटी टीम विस्तृत जांच कर रही है. इसके अलावा आरोपियों के पकड़ में आने के बाद इस मामले में कार्रवाई वहां भी हो सकती है.

अब तक क्या हुआ ?

इस मामले में खाद्य अधिकारी सहित 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इनमें भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुडे इस पूरे घोटाले के सरगना हैं और मास्टर माइंड हैं. इन तीनों आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की कार्रवाई की गई है.

इंदौर में इस रैकेट के खुलासे ने यह तो साफ कर ही दिया है कि राशन के क्षेत्र में भी माफिया सक्रिय हैं. इसके तार सिर्फ इंदौर ही नहीं पूरे प्रदेश में फैले हो सकते हैं. यहां के प्रशासन को एक सिरा मिल गया है और बात आगे बढ़ेगी तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं.

इंदौर। प्रदेश में बीते दिनों राशन माफिया की कालाबाजारी का खुलासा हुआ था. इंदौर पुलिस मामले की जांच कर रही है. राशन माफिया 51 हजार गरीबों के हक का राशन डकार गए. जिसकी कीमत करीब 80 लाख रूपए बताई जा रही है. अब प्रशासन इसकी वसूली के लिए अभियान शुरू करने वाला है. आरोपियों की संपत्ति के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. इसके बाद रिकवरी का काम शुरू किया जाएगा.

राशन माफिया से होगी वसूली

संपत्तियों के बारे में जुटाई जा रही जानकारी

जांच दल के प्रमुख अधिकारी एडीएम अभय बेडेकर ने बताया प्रदेश में ये पहला मामला होगा जिसमें राशन माफिया की संपत्तियों को नीलाम करते हुए उनसे भू राजस्व की वसूली की तरह ही नोटिस देकर रिकवरी की जाएगी. इधर आरोपियों के 28 अन्य परिचितों और 12 समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भी संपत्तियों की जांच हो रही है. इसमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं. इन्हें भी वसूली के दायरे में लाया गया है. रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज संपत्तियों के रिकॉर्ड की भी जांच की गई. जिसमें श्याम दवे और भरत दवे के नाम पर कुछ मकान और बहुमंजिला इमारतों का पता चला है.

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फूड कंट्रोलर पर भी गिरेगी गाज

इस घोटाले में फूड कंट्रोलर आरसी मीणा का नाम भी सामने आया था. जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है. अब उनके गृह जिले गुना में संपत्तियो की पड़ताल की जाएगी. इसके अलावा शासकीय सेवा के दौरान उनके द्वारा भरे जाने वाले संपत्ति विवरण से भी जानकारी निकाली जा रही है. जिससे कि मीणा की लापरवाही के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. गौरतलब है इस मामले में फूड कंट्रोलर रहे आरसी मीणा को भी आरोपी बनाया गया है. उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है.

राशन दुकानें स्व सहायता समूह से जोड़ने की कवायद

इस घोटाले के बाद अब प्रदेश में राशन दुकानों को स्व सहायता समूह से जोड़ने की कवायत शुरू की जा रही है. लेकिन इसे लेकर हाईकोर्ट का एक आदेश रोड़ा बन रहा है. जिसमें ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में नए सिरे से राशन दुकान खोले जाने को लेकर रोक है. अब शासन स्तर पर कोशिश की जा रही है कि कोर्ट के आदेश के दायरे में ही राशन दुकानों से हो रही कालाबाजारी को निगरानी के दायरे में लाया जाएगा.

राशन दुकानों पर बॉन्ड ओवर की कार्रवाई

एडीएम अभय बेडेकर के मुताबिक इस मामले में जो दुकानें संदेह के घेरे में आई हैं, उन दुकानों के संचालकों को अब धारा 107-16 में बॉन्ड ओवर भरना होगा. जिससे कि शिकायत की स्थिति में संबंधित दुकान संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

एसआईटी जांच में उजागर होगी हैदराबाद के राशन माफिया से मिलीभगत

इंदौर के खाद्यान्न की जबलपुर और नागपुर के जरिए महाराष्ट्र तक में हुई कालाबाजारी के सिंडिकेट को उजागर करने के लिए पूरे मामले की पड़ताल इस मामले में गठित एसआईटी टीम कर रही है. एडीएम अभय बेडेकर ने बताया आशंका जताई जा रही है कि इंदौर का खाद्यान्न नकली बिल और बिल्टी के जरिए जबलपुर भेजा जाता था. जहां खाद्यान्न को नागरिक आपूर्ति निगम के बोरों से अन्य बोरों में भरा जाता था. इसके बाद ट्रकों में लादकर इस खाद्यान्न को हैदराबाद में ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता था. उन्होंने बताया मध्य प्रदेश के राशन घोटाले में अन्य राज्यों के राशन माफिया की मिलीभगत को उजागर करने के लिए एसआईटी टीम विस्तृत जांच कर रही है. इसके अलावा आरोपियों के पकड़ में आने के बाद इस मामले में कार्रवाई वहां भी हो सकती है.

अब तक क्या हुआ ?

इस मामले में खाद्य अधिकारी सहित 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इनमें भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुडे इस पूरे घोटाले के सरगना हैं और मास्टर माइंड हैं. इन तीनों आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की कार्रवाई की गई है.

इंदौर में इस रैकेट के खुलासे ने यह तो साफ कर ही दिया है कि राशन के क्षेत्र में भी माफिया सक्रिय हैं. इसके तार सिर्फ इंदौर ही नहीं पूरे प्रदेश में फैले हो सकते हैं. यहां के प्रशासन को एक सिरा मिल गया है और बात आगे बढ़ेगी तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं.

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