इंदौर। अभी तक आप महंगी दाल खरीद रहे हैं पहले से कम ही सही लेकिन फिर भी खरीद रहे हैं लेकिन अब आपको अपनी जेब और ढीली करनी पड़ेगी.जल्द ही आटा भी महंगा होने जा रहा है. इस बार प्रदेश में गेहूं की बोवनी कम हुई है और इसका सीधा असर अब आटे पर पड़ेगा.
लगातार घट रही गेहूं की बोवनी: देश में दालों की पैदावार कम होने के साथ अब गेहूं की बोवनी भी लगातार घट रही है. मध्य प्रदेश में भी फिलहाल यही हाल है जहां इस साल गेहूं का उत्पादन 15 से 20% घट सकता है जिसके चलते अब दालों के बाद जल्द ही आटे की कीमतें भी बढ़ सकती हैं.
देश में गेहूं का उत्पादन: साल 2022-23 में जनवरी तक रिकॉर्ड को देखें तो 341.85 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है. लेकिन कई कई प्रदेशों में यह रकबा कम हो गया है. मध्य प्रदेश में 4.15 लाख हेक्टेयर एरिया कम हुआ है. पंजाब में 0.18 लाख और हरियाणा में 0.11 लाख हेक्टेयर रकबा कम हो गया है.
गेहूं के उत्पादन में गिरावट: एक अनुमान के मुताबिक देश में गेहूं के उत्पादन में करीब चार से पांच फ़ीसदी की गिरावट आ सकती है. यह स्थिति सर्वाधिक गेहूं उत्पादन वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा पंजाब, हरियाणा में भी दिखाई दे रही है जहां उत्पादन 10 से 12 फीसदी घटने की आशंका जताई जा रही है. दरअसल गेहूं का समर्थन मूल्य कम होने एवं किसानों के महंगी फसलों की ओर बढ़ते झुकाव के चलते यह स्थिति बन रही है. माना जा रहा है कि उत्पादन घटने के साथ ही भविष्य में इसका असर आटे के दामों पर भी पढ़ने वाला है जो तुलनात्मक रूप से महंगा हो जाएगा.
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कितना गेहूं खरीदती है सरकार: सरकार 110000 से लेकर 120000 टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदती है. जिसे अब आटे के रूप में नेफेड द्वारा सस्ती दरों पर बेचा जा रहा है जबकि फिलहाल मंडियों में गेहूं 2600 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. इस साल गेहूं की तुलना में किसानों द्वारा अन्य महंगी और उन्नत फसलें बोने के कारण गेहूं का उत्पादन तुलनात्मक रूप से घट सकता है.
रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध का भी असर: रूस और यूक्रेन दुनिया भर के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश रहे हैं जहां 600 लाख टन गेहूं का उत्पादन हर साल होता है लेकिन यहां बीते 1 साल से युद्ध के कारण गेहूं का उत्पादन घटा है. यही स्थिति इजराइल और फिलिस्तीन की है जो अब अपने यहां गेहूं इंपोर्ट करने की स्थिति में आ गए हैं जाहिर है दुनिया भर में अब गेहूं की मांग बढ़ने के कारण भी गेहूं के दामों में उछाल आ सकता है.
चुनावी घोषणाओं के कारण भी बढ़ेगी महंगाई: फिलहाल मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में गेहूं को 2600 से 2700 रुपये के समर्थन मूल्य पर खरीदने का वादा किया है जाहिर है इसका लाभ सीधे किसानों को होगा लेकिन कहीं ना कहीं इसका असर भी गेहूं के दामों पर पड़ेगा.
क्या कहना है व्यापारी संघ के अध्यक्ष का: अनाज तिलहन मंडी इंदौर के व्यापारी संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल का कहना है कि गेहूं की बुवाई का क्षेत्र पिछले कुछ सालों से घटा है. भोपाल और मध्य क्षेत्र में जहां धान की पैदावार बढ़ी है वहीं हरदा और होशंगाबाद अंचल में दालों को प्राथमिकता दे रहे हैं. यही स्थिति लगभग अन्य जिलों की है. मालवा निमाड़ अंचल में भी किसान चना और अन्य महंगी फसलों पर फोकस कर रहे हैं जिसका असर भी गेहूं की बुवाई पर पड़ा है.इसके चलते आने वाले समय में आटा महंगा हो सकता है.