इंदौर। जिस काशी विश्वनाथ मंदिर को मालवा की महारानी लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने निर्माण के बाद देश के श्रद्धालुओं को सौंपा था. योगी सरकार उसका संचालन और देखरेख का जिम्मा ब्रिटिश (bjp handed over kashi temple to foreign company in up) कंपनी सौंपने का विरोध शुरू हो गया है. इस मामले में कांग्रेस का आरोप है कि, जिस कंपनी को मंदिर के संचालन का ठेका दिया गया है वह वित्तीय घोटाले की दूसरी कंपनी है, जिसके खिलाफ अमेरिका में मुकदमा चल रहा है.
लंदन की कंपनी को सौंपी कमान
दरअसल, मोदी सरकार द्वारा मंदिर के नवनिर्माण के बाद मंदिर की व्यवस्थाओं के संचालन की जिम्मेदारी लंदन की कंपनी अर्नेस्ट एंड यंग को सौंपी है. हाल ही में काशी विश्वनाथ विशिष्ट विकास परिषद की बैठक में इस आशय का फैसला बनारस प्रशासन द्वारा लिया गया था. लिहाजा अब काशी विश्वनाथ मंदिर का संचालन पीपीपी मॉडल पर हो सकेगा जिसकी जिम्मेदारी संबंधित कंपनी को दी गई है.
कांग्रेस ने किया विरोध
बताया जाता है कंपनी का मुख्यालय लंदन में है और यह कंपनी प्रयागराज (mp congress opposed cm yogi decision) में भी कंसलटेंसी का काम कर चुकी है. देश के किसी मंदिर को पहली बार विदेश की कंपनी को संचालन के लिए सौंपने का कांग्रेस ने खुलकर विरोध किया है. इंदौर में पार्टी के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया है कि आजादी के आंदोलन में भी भाजपा पर अंग्रेजों का साथ देने के आरोप लगते रहे हैं. ठीक वैसा ही योगी सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर के संचालन को लेकर किया है. जिसके संचालन की पूरी जिम्मेदारी सिंगल टेंडर वाली ब्रिटिश कंपनी को दे दी है.
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कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि जिस मंदिर को लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने निर्माण कराने के बाद देश के श्रद्धालुओं को सौंपा था, उसके संचालन के लिए देश में किसी भी ट्रस्ट अथवा पुजारियों को नहीं सौंपना आपत्तिजनक है. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को संचालन का जिम्मा दिया गया है उस कंपनी के खिलाफ अमेरिका में भी आर्थिक गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार एक तरफ तो आत्मनिर्भर भारत की दुहाई दे रही है, जबकि भारत की आस्था के केंद्र मंदिरों को भी विदेशी हाथों में सौंप रही है, जिसका आम जनता द्वारा भी विरोध किया जा रहा है.