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एमपी में बरकरार शिव'राज', क्या जीतकर भी हार गए 'महाराज' ?

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Published : Nov 10, 2020, 11:14 PM IST

Updated : Nov 11, 2020, 2:55 PM IST

राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एमपी उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत पर जनता का आभार जताया है. हालांकि चंबल अंचल में नतीजे बीजेपी की उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए. चंबल में सिंधिया के प्रभाव वाली 7 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इससे माना जा रहा है कि सिंधिया की साख में बट्टा लगा है.

Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए उपचुनावों के नतीजे स्पष्ट हो चुके हैं. बीजेपी के खाते में फिलहाल 19 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस 9 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है. इस तरह 28 में 27 सीटों का फैसला हो चुका है. देर रात तक ग्वालियर पूर्व सीट का भी परिणाम सामने आ गया. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार ने बीजेपी के मुन्नालाल गोयल को शिकस्त दी है.

क्या जीतकर भी हार गए 'महाराज' ?

इमरती देवी हारीं

सबसे चर्चित डबरा विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी चुनाव हार गईं हैं. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश राजे की शिकस्त दी. इनके अलावा सिंधिया खेमे के दो और मंत्री एंदल सिंह कंषाना व गिर्राज दंडोतिया हार का मुंह देखना पड़ा.

बीजेपी सरकार बचाने में कामयाब

उपचुनाव के नतीजों से ये तो स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. बीजेपी सरकार बचाने में कामयाब रही है. लेकिन ये नतीजे बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकते हैं. क्योंकि बीजेपी जिन सीटों पर हारी है, उनमें से अधिकांश ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं, जिसे सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है. ऐसे में कहीं ना कहीं सिंधिया की राजनीतिक हैसियत पर असर पड़ना तय है.

कम हो सकता है सिंधिया सियासी रुतबा

करीब 10 माह पहले कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आए सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया था. जिसके चलते कमलनाथ की सरकार गिरी और प्रदेश में उपचुनाव की नौबत आई. बीजेपी ने सिंधिया का खुले दिल से स्वागत किया और तमाम शर्तें मान लीं. 12 सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया गया. जिनमें से तीन मंत्री हार गए हैं. बीजेपी ने ग्वालियर चंबल की 16 सीटों में से 7 सीटें गंवा दी हैं. कुल मिलाकर बीजेपी की इस क्षेत्र में जितनी उम्मीद थी, उससे कम सीटें मिलीं हैं. जिससे बीजेपी की सरकार से लेकर संगठन तक में सिंधिया का रूतबा कम हो सकता है.

शिवराज खेमे के विधायक बनेंगे मंत्री

सिंधिया की बीजेपी में एंट्री के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट से पार्टी के कई पुराने नेताओं को बाहर रहना पड़ा था. जिस पर शिवराज ने अप्रत्यक्ष तौर पर अपने अंसतोष को जाहिर किया था. अब उपचुनाव के नतीजों से शिवराज को अपनी मनपसंद कैबिनेट बनाने की छूट मिल सकेगी.

क्या केंद्र में मिलेगा सिंधिया को मंत्री पद

कयास लगाए जा रहे थे कहीं ना कहीं एमपी उपचुनाव के नतीजे सिंधिया का केंद्र में मंत्री पद का भी रास्ता साफ करेंगे. हालांकि बीजेपी सरकार बचाने में तो कामयाब हो गई है, लेकिन चंबल में हुई हार से महाराज की साख पर बट्टा जरूर लगा है. इससे संभावना बन सकती है कि सिंधिया को केंद्र में मंत्री पद से दूर रखा जाए, अगर मंत्री पद मिल भी जाता तो मलाईदार मंत्रालय की आशा कम ही दिखाई पड़ती है.

सिंधिया ने खुद को बताया बीजेपी का कार्यकर्ता

हालांकि इन सबके इतर सिंधिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'मैं अतीत में नहीं जीता, कांग्रेस मेरा अतीत है और भाजपा वर्तमान. अतीत पर बात नहीं करना चाहूंगा. पिछले आठ महीने से मैं विनम्रता के पैमाने पर खड़ा रहा हूं. आज मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं. इसलिए भाजपा से जुड़े प्रश्नों का जवाब जरूर दूंगा.

पार्टी के पक्ष में स्पष्ट जनादेश देने के लिए मैं राज्य की जनता का आभारी हूं और विकास, प्रगति, जन सेवा ही हमारा संकल्प रहेगा. नतीजों ने साबित किया है कि गद्दार कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हैं. मेरी मंशा, आशा-अभिलाषा कभी कुर्सी की नहीं रही है. केवल एक ही मंशा है लोगों के दिल में जगह बनाना. मैं भाजपा का एक आम कार्यकर्ता हूं और मेरा एक ही रास्ता है, जनसेवा और विकास का रास्ता.

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए उपचुनावों के नतीजे स्पष्ट हो चुके हैं. बीजेपी के खाते में फिलहाल 19 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस 9 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है. इस तरह 28 में 27 सीटों का फैसला हो चुका है. देर रात तक ग्वालियर पूर्व सीट का भी परिणाम सामने आ गया. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार ने बीजेपी के मुन्नालाल गोयल को शिकस्त दी है.

क्या जीतकर भी हार गए 'महाराज' ?

इमरती देवी हारीं

सबसे चर्चित डबरा विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी चुनाव हार गईं हैं. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश राजे की शिकस्त दी. इनके अलावा सिंधिया खेमे के दो और मंत्री एंदल सिंह कंषाना व गिर्राज दंडोतिया हार का मुंह देखना पड़ा.

बीजेपी सरकार बचाने में कामयाब

उपचुनाव के नतीजों से ये तो स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. बीजेपी सरकार बचाने में कामयाब रही है. लेकिन ये नतीजे बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकते हैं. क्योंकि बीजेपी जिन सीटों पर हारी है, उनमें से अधिकांश ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं, जिसे सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है. ऐसे में कहीं ना कहीं सिंधिया की राजनीतिक हैसियत पर असर पड़ना तय है.

कम हो सकता है सिंधिया सियासी रुतबा

करीब 10 माह पहले कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आए सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया था. जिसके चलते कमलनाथ की सरकार गिरी और प्रदेश में उपचुनाव की नौबत आई. बीजेपी ने सिंधिया का खुले दिल से स्वागत किया और तमाम शर्तें मान लीं. 12 सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया गया. जिनमें से तीन मंत्री हार गए हैं. बीजेपी ने ग्वालियर चंबल की 16 सीटों में से 7 सीटें गंवा दी हैं. कुल मिलाकर बीजेपी की इस क्षेत्र में जितनी उम्मीद थी, उससे कम सीटें मिलीं हैं. जिससे बीजेपी की सरकार से लेकर संगठन तक में सिंधिया का रूतबा कम हो सकता है.

शिवराज खेमे के विधायक बनेंगे मंत्री

सिंधिया की बीजेपी में एंट्री के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट से पार्टी के कई पुराने नेताओं को बाहर रहना पड़ा था. जिस पर शिवराज ने अप्रत्यक्ष तौर पर अपने अंसतोष को जाहिर किया था. अब उपचुनाव के नतीजों से शिवराज को अपनी मनपसंद कैबिनेट बनाने की छूट मिल सकेगी.

क्या केंद्र में मिलेगा सिंधिया को मंत्री पद

कयास लगाए जा रहे थे कहीं ना कहीं एमपी उपचुनाव के नतीजे सिंधिया का केंद्र में मंत्री पद का भी रास्ता साफ करेंगे. हालांकि बीजेपी सरकार बचाने में तो कामयाब हो गई है, लेकिन चंबल में हुई हार से महाराज की साख पर बट्टा जरूर लगा है. इससे संभावना बन सकती है कि सिंधिया को केंद्र में मंत्री पद से दूर रखा जाए, अगर मंत्री पद मिल भी जाता तो मलाईदार मंत्रालय की आशा कम ही दिखाई पड़ती है.

सिंधिया ने खुद को बताया बीजेपी का कार्यकर्ता

हालांकि इन सबके इतर सिंधिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'मैं अतीत में नहीं जीता, कांग्रेस मेरा अतीत है और भाजपा वर्तमान. अतीत पर बात नहीं करना चाहूंगा. पिछले आठ महीने से मैं विनम्रता के पैमाने पर खड़ा रहा हूं. आज मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं. इसलिए भाजपा से जुड़े प्रश्नों का जवाब जरूर दूंगा.

पार्टी के पक्ष में स्पष्ट जनादेश देने के लिए मैं राज्य की जनता का आभारी हूं और विकास, प्रगति, जन सेवा ही हमारा संकल्प रहेगा. नतीजों ने साबित किया है कि गद्दार कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हैं. मेरी मंशा, आशा-अभिलाषा कभी कुर्सी की नहीं रही है. केवल एक ही मंशा है लोगों के दिल में जगह बनाना. मैं भाजपा का एक आम कार्यकर्ता हूं और मेरा एक ही रास्ता है, जनसेवा और विकास का रास्ता.

Last Updated : Nov 11, 2020, 2:55 PM IST
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