इंदौर। अगर लक्ष्य के प्रति आपके इरादे बुलंद हो और आप कठिन परिश्रम करने को तैयार हैं, तो आपको सफलता हासिल करने में कोई रोक नहीं सकता. इसी मान्यता की मिसाल है प्रदेश की पहली दृष्टिहीन मूकबधिर छात्रा गुरदीप कौर, जो अथक मेहनत और स्पर्श के संवाद और ब्रेल लिपि की मदद से पढ़कर पहली बार हाई स्कूल की परीक्षा देने जा रही है. खास बात ये है इस छात्रा की परीक्षा के दौरान लिखने वाला छात्र भी मूकबधिर होगा.
मुकबधिर देगी 10वीं की परीक्षा: इंदौर की गुरदीप कौर उर्फ स्वीटी ने शहर के आनंद मुकबधिर संस्थान के जरिए आठवीं कक्षा के बाद भी आगे पढ़ने की इच्छा इंदौर जिला प्रशासन के सामने जताई थी. परिजनों एवं संस्थान की मदद से स्वीटी ने जब इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टी जिला शिक्षा अधिकारी समेत इंदौर सांसद शंकर लालवानी के सामने हाईस्कूल परीक्षा देने की गुहार लगाई, तो वह भी मूकबधिर के साथ दृष्टिहीनता के बावजूद स्वीटी के पढ़ाई के प्रति जज्बे के सामने नतमस्तक हो गए. इसके बाद स्वीटी ने अब संस्थान की संचालिका मोनिका पुरोहित के साथ हाथ की उंगलियों और हथेलियों को दबाने और स्पर्श के साथ शब्दों को समझने के आधार पर परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी है.
स्पर्श और ब्रेल लिपि से कर रही पढ़ाई: स्वीटी को ठीक हेलन केलर की तरह पढ़ाई कराई जा रही है. उसे अपनी क्लास के दौरान हर चीज छूकर समझाना पड़ता है. इसके अलावा शब्दों और विषयों को हाथ के स्पर्श और ब्रेल लिपि के जरिए एहसास कराना होता है. जब वह संबंधित अध्याय और विषय पर पढ़ाई के दौरान सहमति दर्शाती है, तब फिर अगले विषय की पढ़ाई शुरू की जाती है. प्रतिदिन संस्थान में 2 से 3 घंटे की क्लास के दौरान टीचर के अलावा एक अन्य सहयोगी भी स्वीटी को ब्रेल लिपि समझने में मदद करती है. जिसके फलस्वरुप माना जा रहा है कि स्वीटी जल्द ही कोर्स कंप्लीट करके परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाएगी. स्वीटी को परीक्षा दिलाने के लिए कक्षा 9 के एक मूकबधिर छात्र को परीक्षा में लेखन के लिए तैयार किया गया है, जो स्वीटी के इशारों और साइन लैंग्वेज की मदद से परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर लिखेगा.
अस्पताल की भूल से हुआ जीवन में अंधेरा: ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रितपाल सिंह के घर में 1991 में जुड़वा बेटियों ने जन्म लिया था, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर स्वीटी की बहन की मौत हो गई, वहीं अस्पताल में इनक्यूबेटर पर रखे जाने के कारण गुरप्रीत की जान जैसे तैसे बच गई. उसी दौरान इनक्यूबेटर में अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने न तो आंख पर रूई रखी और न ही कान पर, जिसके फलस्वरूप स्वीटी के देख पाने के साथ सुनने और बोल पाने की क्षमता भी खत्म हो गई. इस स्थिति का पता चलने पर परिवार ने स्वीटी का कई जगह इलाज कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली. लिहाजा उन्होंने स्वीटी को इसी हाल में आगे बढ़ाने का फैसला किया. इसी वजह से मुंबई के वास स्थित हेलेन केलर स्कूल में उसने सातवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद वह इंदौर में आनंद बजे संस्थान के साथ अब हाईस्कूल की परीक्षा देने जा रही है.