इंदौर। मिशन एमपी 2023 को लेकर मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान इंदौर में बड़ी संख्या में मतदाता गायब हो गए हैं. यहां की मतदाता सूची के मुताबिक मतदाताओं के पुनरीक्षण के दौरान 78000 से ज्यादा मतदाता गायब हैं. इतना ही नहीं कई मतदाता ऐसे हैं जिनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है. (Mission MP 2023 Sal Chunavi Hai) लिहाजा अब नए सिरे से मतदाताओं के नाम का संशोधन किए जाने के साथ गायब मतदाताओं की पड़ताल हो रही है. इधर कांग्रेस ने इस मामले को कोविड मौतों से जुड़ा होना बताया है. कांग्रेस का आरोप है कि जो मतदाता कम हुए हैं उनकी मौत संभवत कोरोना के दौरान हुई है. ऐसे में सवाल यह है कि, क्या सचमुच अब तक राज्य सरकार इन्हीं मृतकों के आंकड़ों को छुपा रही थी.
मतदाता सूची के आंकड़े से कोरोना की याद ताजा: कोरोना संक्रमण काल की वह भयावह तस्वीरें भला कौन भूला होगा. जब रोजाना श्मशान घाटों में चिताओं के ढेर और कतार में लगे शव सामने आ रहे थे. रोजाना 300 से 400 शवों का जलना आम बात हो गई थी. हर तरफ दहशत का माहौल था. इसके बाद मध्य प्रदेश में भी कोरोना वायरस से मौतों के आंकड़ों ने सियासत भी खूब गरमाई. सरकारी आंकड़ों में जहां मौतें दो या तीन हो रही थीं तो श्मशान घाट की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही थीं. हाल ही में जारी हुई मतदाता सूची के आंकड़ों ने एक बार फिर उस दौर की याद को ताजा कर दिया है.
इस इस विधानसभा में कम हुए मतदाता: हाल ही में जो सूची जिला निर्वाचन कार्यालय ने जारी की उसके मुताबिक इंदौर के विधानसभा क्रमांक 1 में 3,334 मतदाता कम हुए हैं. विधानसभा क्रमांक 2 में 14,404 मतदाता कम हुए. विधानसभा क्रमांक 3 में 7404 मतदाता कम हुए हैं. विधानसभा क्रमांक 4 में 25,571 मतदाता कम हुए हैं. विधानसभा क्रमांक 5 में 19000 मतदाता कम हुए हैं. विधानसभा क्रमांक 6 में 8664 मतदाता कम हुए हैं. इस हिसाब से कुल छह विधानसभा सीटों पर 78,377 हज़ार मतदाता कम पाए गए हैं.
कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव के मुताबिक कोविड काल में मौतों के आंकड़ों में जमकर हेराफेरी की गई थी. अंतिम संस्कार के लिए लाइनें लग रही थी लेकिन सरकार उस समय आंकड़े छिपाने में लगी थी. लेकिन अब मतदाता सूची से हज़ारों की संख्या में नामों का कम होना यह सिद्ध कर रहा हैं कि, यह कोविड मौतों का सही आंकड़ा हैं. एक साथ समस्त विधानसभा में इतने नामों का कम होना यह दर्शाता है कि कोविड मौतों की संख्या लगभग पचास हजार के पार होने की संभावना है. यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि, पिछले 50 साल के रिकॉर्ड में इतने मतदाता कम कभी नहीं हुए हैं. आम तौर पर मतदाता बढ़ते हैं, लेकिन कोविड काल के बाद 78,377 मतदाता कम होना यह स्पष्ट कर रहा हैं कि यह कोविड मौतों के आंकड़ों का सत्यापन होने की जरूरत है. प्रदेश सचिव यादव के अनुसार कुछ सीटों पर हार जीत नाम मात्र के वोटों से होती हैं, लेकिन हजारों की संख्या में वोटरों का कम होना गहरी राजनैतिक साजिश या कोविड मौतों की असली संख्या की तरफ इशारा है.
मतदाताओं के नाम काटे: कोरोना काल में हुई मौतों पर (Congress) फिर BJP पर हमलावर है. (Jabalpur Voter list) सबसे ज्यादा जबलपुर जिले के भनोट क्षेत्र में मतदाता घटे हैं. जिले की 8 विधानसभा सीटों में कुल मतदाताओं की संख्या 1764165 बची है. इन वोटरों में 18 से 19 साल के युवाओं की संख्या 9081 है. जबकि 20 से 29 साल के युवा मतदाताओं की संख्या 336899 है. जबकि नई सूची के पूर्व 126065 मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. इसमें सबसे अधिक नाम पश्चिम विधानसभा और प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट की विधानसभा से कटे हैं. जबलपुर की पश्चिम विधानसभा से 34086 मतदाताओं के नामों को काटा गया है. जिले में कोरोना के चलते हुए कुल मौतों का आंकड़ा 817 है.
विपक्ष सरकार पर हमलावर: नई मतदाता सूची के सामने आने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. जबलपुर नगर निगम के महापौर जगतबहादुर सिंह अन्नू बताते हैं कि आंकड़ों ने सरकार कि झूठ को उजागर कर दिया है. क्योंकि कोविड काल के समय विपक्ष चीख- चीखकर कह रहा था और मौत के झूठे आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रहा था. बावजूद इसके सरकार झूठे आंकड़े पेश कर रही थी. उनका यह भी मानना है कि अगर यह आंकड़े कोरोना में हुई मौतों के चलते कम नहीं हुए तो क्या भाजपा ने फर्जी वोटर जोड़ रखे थे. जो भी हो कांग्रेस इस मामले को लेकर खुद भी जांच कर रही है.
बीजेपी ने खारिज किया कांग्रेस का आरोप: भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करती है. उनका मानना है कि फिलहाल मतदाता सूची में पुनरीक्षण का काम जारी है. ऐसे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. वहीं जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से इस मामले को लेकर सर्वे का हवाला दिया जा रहा है. उनका कहना है कि बीएलओ द्वारा किए गए सर्वे के बाद मतदाता सूची में नए आंकड़े सामने आए हैं, जहां तक आंकड़ों के कम होने का सवाल है तो उसमें कई सारे मुद्दे हैं, जिनमें कोविड भी शामिल हैं.
ऑक्सीजन की कमी से मौत पर सियासत: मंत्री सारंग बोले- राहुल गांधी के दबाव में सिंहदेव ने बदला बयान कभी भी इतना बड़ा आंकड़ा सामने नहीं आया, मतदाता सूची में अब तक हुए पुनरीक्षण कार्यक्रम में कभी भी सवा लाख मतदाताओं के घटने का आंकड़ा सामने नहीं आया है. कोरोना काल के बाद हुए मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्यक्रम में सामने आई तस्वीर वाकई हैरान कर देने वाली है. वहीं अब एक बार फिर सवाल खड़ा होता है कि क्या कोरोना काल में हुई मौतों की वजह से मतदाताओं की संख्या घट गई ? जो भी हो सत्ता दल समेत प्रशासनिक अमला इस बात पर मंथन कर रहा है लेकिन कहीं ना कहीं कोरोना काल में हुई मौतें भी आंकड़ों के कम होने की वजह मानी जा रही है.
जो मौके पर नहीं मिले उनके नाम कटे: इधर इस मसले पर उप जिला निर्वाचन अधिकारी मुनीश सिंह सिकरवार का कहना है कि, मतदाता सूची में से जो नाम काटे गए हैं वह रूटीन प्रक्रिया के तहत ही कटे हैं. मतदान दलों के मतदाताओं के घर-घर जाने पर भी भौतिक सत्यापन के दौरान जो मतदाता मौके पर उपलब्ध नहीं होते उनके नाम सामान्य प्रक्रिया के तहत कट जाते हैं. हालांकि इतनी बड़ी संख्या में नाम कटने जैसी बात उचित नहीं है. फिलहाल जो भी नाम गायब हैं वे मतदाता 19 एवं 20 नवंबर को लगने वाले शिविर के अलावा मतदान दलों के आप पहुंचकर अपना नाम जुड़वा सकते हैं. इंदौर जिले में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण का कार्य जारी है. इसलिए मतदाता अपना नाम निर्धारित प्रक्रिया के तहत जुड़वा सकते हैं.
19 और 20 नवंबर को विशेष शिविर: मतदाता सूची से नाम गायब होने के अलावा तमाम गड़बड़ियों की जांच के बाद 19 एवं 20 नवंबर को भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर विभिन्न मतदान केंद्रों पर मतदाता सूची प्रदर्शित की जाएगी. इसके लिए सभी बीएलओ की तैनाती की जा रही है. इसके अलावा अब मतदाताओं के क्षेत्र में ही उनके दावे एवं आपत्तियों का निराकरण किया जाएगा. इसके अलावा मतदाताओं का घर घर जाकर भौतिक सत्यापन भी करने के निर्देश जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए हैं.