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West bengal violence: हिंसा के विरोध में राष्ट्रपति के नाम सौंपा हस्ताक्षर ज्ञापन - आर्टिकल 355

पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर प्रबुद्ध नागरिक मंच के सदस्यों ने कलेक्टर मनीष सिंह को राष्ट्रपति के नाम हस्ताक्षर किया हुआ ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि बंगाल में हिंसा से पीड़ित लोगों की आर्थित मदद की जाए. साथ ही उनका सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

West bengal violence
बंगाल हिंसा के विरोध
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Published : Jun 1, 2021, 8:59 AM IST

इंदौर। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार हो रही हिंसा (West bengal violence) को लेकर प्रबुद्ध नागरिक मंच के सदस्य रेसीडेंसी कोठी पहुंचे, जहां उन्होंने कलेक्टर मनीष सिंह को राष्ट्रपति के नाम हस्ताक्षर किया हुआ ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से मंच के सदस्यों ने बताया कि 2 तारीख को चुनाव परिणाम आने के बाद से बंगाल की सड़कों पर क्या हो रहा था. इसका लाइव टेलीकास्ट देशभर में देखने को मिला. साथ ही पूर्व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष गिरीश पटवर्धन ने कहा कि घटनाओं को रोकने के लिए बंगाल शासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है. बल्कि, आरोपियों को बचाने का प्रयास किया गया.

बंगाल हिंसा के विरोध


गांव छोड़कर जानें को मजबूर लोग
दरअसल, इस घटना से भयभीत होकर वहां के लोग अपने गांव छोड़कर आसपास के राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. साथ ही इस दौरान राज्यपाल भी पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में दौरा कर चुके हैं, कि वहां क्या स्थिति है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए शासन और मीडिया का इस ओर ध्यान नहीं है, जिसको लेकर 5 दिनों से हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा था. इस हस्ताक्षर अभियान में इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट आर्किटेक्ट और इस तरह के विभिन्न समुदाय के लोग अनुसूचित जाति जनजाति के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया था, जिसमें करीब ढाई सौ लोगों का हस्ताक्षर किया जा चुका है.


MP में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से बिगड़ी व्यवस्थाएं, आज से कोविड ड्यूटी का भी बहिष्कार

आर्टिकल 355 का जिक्र
फिलहाल कोरोना का दौर चल रहा है जिसको लेकर भी ज्यादा लोगों से संपर्क होना संभव नहीं है. केवल परिचित लोगों ने ही हस्ताक्षर किए गए हैं. हस्ताक्षर अभियान ज्ञापन के माध्यम से बंगाल के पीड़ित लोग के लिए मांग है कि उन्हें आर्थिक सहायता की जाए. साथ ही उनके मन में यह विश्वास पैदा किया जाए, ताकि वह अपने गांव क्षेत्र में वापस आकर काम धंधे शुरू कर सकें. वहीं, इस पूरे मामले को लेकर पूर्व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा कि इस पूरी हिंसा पर न्यायिक जांच की मांग भी की. साथ ही उन्होंने बताया कि आर्टिकल 355 के तहत राष्ट्रपति के जो अधिकार है वह राष्ट्रपति राज्य से कानूनों के प्रावधान के पालन को लेकर आदेश कर सकते हैं.

इंदौर। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार हो रही हिंसा (West bengal violence) को लेकर प्रबुद्ध नागरिक मंच के सदस्य रेसीडेंसी कोठी पहुंचे, जहां उन्होंने कलेक्टर मनीष सिंह को राष्ट्रपति के नाम हस्ताक्षर किया हुआ ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से मंच के सदस्यों ने बताया कि 2 तारीख को चुनाव परिणाम आने के बाद से बंगाल की सड़कों पर क्या हो रहा था. इसका लाइव टेलीकास्ट देशभर में देखने को मिला. साथ ही पूर्व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष गिरीश पटवर्धन ने कहा कि घटनाओं को रोकने के लिए बंगाल शासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है. बल्कि, आरोपियों को बचाने का प्रयास किया गया.

बंगाल हिंसा के विरोध


गांव छोड़कर जानें को मजबूर लोग
दरअसल, इस घटना से भयभीत होकर वहां के लोग अपने गांव छोड़कर आसपास के राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. साथ ही इस दौरान राज्यपाल भी पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में दौरा कर चुके हैं, कि वहां क्या स्थिति है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए शासन और मीडिया का इस ओर ध्यान नहीं है, जिसको लेकर 5 दिनों से हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा था. इस हस्ताक्षर अभियान में इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट आर्किटेक्ट और इस तरह के विभिन्न समुदाय के लोग अनुसूचित जाति जनजाति के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया था, जिसमें करीब ढाई सौ लोगों का हस्ताक्षर किया जा चुका है.


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आर्टिकल 355 का जिक्र
फिलहाल कोरोना का दौर चल रहा है जिसको लेकर भी ज्यादा लोगों से संपर्क होना संभव नहीं है. केवल परिचित लोगों ने ही हस्ताक्षर किए गए हैं. हस्ताक्षर अभियान ज्ञापन के माध्यम से बंगाल के पीड़ित लोग के लिए मांग है कि उन्हें आर्थिक सहायता की जाए. साथ ही उनके मन में यह विश्वास पैदा किया जाए, ताकि वह अपने गांव क्षेत्र में वापस आकर काम धंधे शुरू कर सकें. वहीं, इस पूरे मामले को लेकर पूर्व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा कि इस पूरी हिंसा पर न्यायिक जांच की मांग भी की. साथ ही उन्होंने बताया कि आर्टिकल 355 के तहत राष्ट्रपति के जो अधिकार है वह राष्ट्रपति राज्य से कानूनों के प्रावधान के पालन को लेकर आदेश कर सकते हैं.

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