इंदौर। कोरोना के इलाज को लेकर दुनियाभर में चल रही कई शोध के बीच आईआईटी इंदौर की टीम ने एक महत्वपूर्ण स्टडी रिपोर्ट तैयार की है. हालांकि अभी इसका परीक्षण प्राथमिक दौर में चल रहा है, लेकिन शुरुआत में मिले सकारात्मक परिणामों से उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना के इलाज की अन्य दवाइयों के उपलब्ध होने तक पौधों से बनने वाली दवा भी मिलने लगेगी.
केंद्र की मदद से शोध : यह शोध आईआईटी के बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. हेमचंद्र झा डॉ. परिमल कर व शोधार्थी धर्मेंद्र कश्यप और राजर्षि रॉय द्वारा किया गया है. ये प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वित्तीय सहायता के अंतर्गत पूरा किया गया है. डॉ. झा के अनुसार न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन बहुत तेजी से म्यूटेट होता है. इसलिए कोरोना संक्रमण बेहद कम समय में जानलेवा बन जाता है. न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन को अगर ट्रीट करें या ब्लॉक कर दिया जाए तो इंफेक्शन थमेगा और फिर खत्म हो जाएगा, क्योंकि उसका म्यूटेशन नहीं हो सकेगा.
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औषधीय पौधों से उम्मीदें : उन्होंने बताया कि इस स्टडी में हमने औषधीय पौधों से मिलने वाले एंटी वायरल लिए थे, जिनके सिम्युलेशन में पाया कि वथेनोलाइड डी हाइपरिसिन और सिलीमारिन तीन ऐसे एंटी वायरल कंपाउंड जो कि लगातार और तेजी से न्यूक्लियोकैप्सिड को ब्लॉक कर सकते हैं. कोरोना महामारी के इलाज और उसकी रोकथाम के लिए विभिन्न देशों में लगातार शोध कार्य किए जा रहे हैं. वहीं अलग-अलग शोध कार्यों के माध्यम से इसके रोकथाम ओर उपचार पर काम किया जा रहा है. (Medicine is getting ready to fight Corona) (Research is going on in Indore IITI