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ब्लैक फंगस के कारण अब मेडिकल रिसर्च के टारगेट पर Corona का Uk Strain

कोरोना की दूसरी लहर में अधिकतर मौतों का जिम्मेदार यूके वेरिएंट को माना जा रहा है. इसके पीछे थ्योरी यह भी है कि पहली लहर में किसी को भी ब्लैक फंगस जैसा संक्रमण नहीं हुआ. ऐसे में यूके स्ट्रेन (B-16172) को मेडिकल रिसर्च के टारगेट पर लिया गया है.

uk strain of coronavirus
कोरोना का यूके वेरिएंट
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Published : May 28, 2021, 10:14 AM IST

इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादातर हो रही मौत का कारण यूके वेरिएंट बताया जा रहा है. दरअसल, कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि ब्लैक फंगस से लेकर घातक निमोनिया और डायबिटीज की वजह भी भारत में फैल रहे यूके वेरिएंट का म्यूटेंट है. इसके पीछे थ्योरी यह भी है कि देश भर में ब्लैक फंगस होने के जो चार कारण दर्शाए जा रहे हैं वह पहली लहर में भी थे, लेकिन किसी को भी ब्लैक फंगस जैसा संक्रमण नहीं हुआ. इसके अलावा पिछले साल भी इलाज का प्रोटोकॉल एक जैसा था. लेकिन इस बार कोरोना के संक्रमण के बाद जो घातक बीमारियां सामने आ रही हैं उसकी वजह डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे हैं यही कारण है कि अब कोरोना के यूके स्ट्रेन (B-16172) को मेडिकल रिसर्च के टारगेट पर लिया गया है.

कोरोना का यूके वेरिएंट

यूके वेरिएंट के चलते बिगड़ी स्थिति
गौरतलब है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के पहले संक्रमित मरीजों से प्राप्त वायरस के जो सैंपल दिल्ली स्थित लैब में जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए इंदौर से भेजे गए थे, उनमें 28 सैंपल यूके वेरिएंट के पाए गए थे. हालांकि, अब इनकी संख्या कई गुना बढ़ चुकी है. फिलहाल देशभर में अभी कोरोना वायरस के कुल वेरिएंट में से छह वेरिएंट के संक्रमण से देश के विभिन्न राज्यों में तरह-तरह की वायरल बीमारियां निमोनिया और घातक संक्रमण फैल रहा है. इधर, प्रदेश में फिलहाल जितने ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं, उनमें सर्वाधिक का इलाज इंदौर में हो रहा है. इन मरीजों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक शहर के कई इलाकों में यूके स्ट्रेन पाया गया है, जो कोरोना की पहली लहर से कई गुना ज्यादा घातक साबित हो रहा है.

इन 4 कारणों से हो रही हैं मौतें
1- सामान्य तौर पर कोरोना वायरस से अधिकांश मौतों की वजह ब्लैक फंगस की बीमारी बन रही है.
2- दूसरी लहर में पोस्ट कोविड-19 में डायबिटीज की बीमारी हो रही है. कुल मरीजों में से 30 परसेंट मरीज ऐसे हैं जो संक्रमण के कारण डायबिटीज के शिकार हो चुके हैं.
3- इस बार भी मरीजों को पिछले साल की तरह ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे, लेकिन इस बार मरीजों को इंजेक्शन के कारण खून में थक्का जमना और लीवर और किडनी की परेशानी खड़ी हो रही है.
4- पहली लहर में कोरोना के इलाज के साथ ही फेफड़ों की रिकवरी भी हो रही थी, लेकिन इस बार मरीज के फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों की भी रिकवरी नहीं हो पा रही है, लिहाजा इन कारणों से बड़े पैमाने पर संक्रमित मरीजों की मौतें हो रही हैं.


कोरोना कर्फ्यू का Unlock कैसे होगा, मंत्री समूह ने बैठक में दिए निर्देश

संक्रमण के कारणों पर भी रिसर्च
देशभर में करीब 10000 ब्लैक फंगस के मरीजों में से अधिकांश ऐसे हैं, जिनमें संक्रमण की वजह डायबिटीज के अलावा लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया जाना और इलाज के दौरान इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन लगना बताया जा रहा है. ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर आशंका जता रहे हैं कि इस संक्रमण की वजह कोरोना का यूके स्ट्रेन ही हो सकता है, जो म्युटेंट होकर संक्रमित लोगों को तरह-तरह की पोस्ट कोविड बीमारियों और संक्रमण के जरिए अपनी चपेट में ले रहा है.

इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादातर हो रही मौत का कारण यूके वेरिएंट बताया जा रहा है. दरअसल, कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि ब्लैक फंगस से लेकर घातक निमोनिया और डायबिटीज की वजह भी भारत में फैल रहे यूके वेरिएंट का म्यूटेंट है. इसके पीछे थ्योरी यह भी है कि देश भर में ब्लैक फंगस होने के जो चार कारण दर्शाए जा रहे हैं वह पहली लहर में भी थे, लेकिन किसी को भी ब्लैक फंगस जैसा संक्रमण नहीं हुआ. इसके अलावा पिछले साल भी इलाज का प्रोटोकॉल एक जैसा था. लेकिन इस बार कोरोना के संक्रमण के बाद जो घातक बीमारियां सामने आ रही हैं उसकी वजह डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे हैं यही कारण है कि अब कोरोना के यूके स्ट्रेन (B-16172) को मेडिकल रिसर्च के टारगेट पर लिया गया है.

कोरोना का यूके वेरिएंट

यूके वेरिएंट के चलते बिगड़ी स्थिति
गौरतलब है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के पहले संक्रमित मरीजों से प्राप्त वायरस के जो सैंपल दिल्ली स्थित लैब में जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए इंदौर से भेजे गए थे, उनमें 28 सैंपल यूके वेरिएंट के पाए गए थे. हालांकि, अब इनकी संख्या कई गुना बढ़ चुकी है. फिलहाल देशभर में अभी कोरोना वायरस के कुल वेरिएंट में से छह वेरिएंट के संक्रमण से देश के विभिन्न राज्यों में तरह-तरह की वायरल बीमारियां निमोनिया और घातक संक्रमण फैल रहा है. इधर, प्रदेश में फिलहाल जितने ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं, उनमें सर्वाधिक का इलाज इंदौर में हो रहा है. इन मरीजों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक शहर के कई इलाकों में यूके स्ट्रेन पाया गया है, जो कोरोना की पहली लहर से कई गुना ज्यादा घातक साबित हो रहा है.

इन 4 कारणों से हो रही हैं मौतें
1- सामान्य तौर पर कोरोना वायरस से अधिकांश मौतों की वजह ब्लैक फंगस की बीमारी बन रही है.
2- दूसरी लहर में पोस्ट कोविड-19 में डायबिटीज की बीमारी हो रही है. कुल मरीजों में से 30 परसेंट मरीज ऐसे हैं जो संक्रमण के कारण डायबिटीज के शिकार हो चुके हैं.
3- इस बार भी मरीजों को पिछले साल की तरह ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे, लेकिन इस बार मरीजों को इंजेक्शन के कारण खून में थक्का जमना और लीवर और किडनी की परेशानी खड़ी हो रही है.
4- पहली लहर में कोरोना के इलाज के साथ ही फेफड़ों की रिकवरी भी हो रही थी, लेकिन इस बार मरीज के फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों की भी रिकवरी नहीं हो पा रही है, लिहाजा इन कारणों से बड़े पैमाने पर संक्रमित मरीजों की मौतें हो रही हैं.


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संक्रमण के कारणों पर भी रिसर्च
देशभर में करीब 10000 ब्लैक फंगस के मरीजों में से अधिकांश ऐसे हैं, जिनमें संक्रमण की वजह डायबिटीज के अलावा लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया जाना और इलाज के दौरान इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन लगना बताया जा रहा है. ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर आशंका जता रहे हैं कि इस संक्रमण की वजह कोरोना का यूके स्ट्रेन ही हो सकता है, जो म्युटेंट होकर संक्रमित लोगों को तरह-तरह की पोस्ट कोविड बीमारियों और संक्रमण के जरिए अपनी चपेट में ले रहा है.

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