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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से बेघर होंगे 21 गांव के आदिवासी किसान, आंदोलन की दी चेतावनी

दिल्ली से मुंबई तक 8 लेन एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है. जिसमें झाबुआ जिले के 21 गांव के आदिवासी किसानों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है. जहां किसानों की जमीन शासकीय रकबे में दर्ज नहीं होने के कारण उन्हें मुआवजा मिलना मुश्किल हो रहा है.

Tribal farmers warned of movement in indore
किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी
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Published : Jun 28, 2020, 7:56 AM IST

Updated : Jun 28, 2020, 10:39 AM IST

इंदौर। दिल्ली से मुंबई तक 8 लेन एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है, जिससे आवागमन सुलभ होगा, लेकिन इस प्रोजेक्ट के कारण झाबुआ जिले के 21 गांव के आदिवासी किसानों के सामने बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है. आदिवासी किसानों की जमीन एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए अधिग्रहित की जा रही है, लेकिन अधिकांश किसानों के घर और खेत शासकीय रिकॉर्ड में उनके नाम पर दर्ज नहीं है. जिसके चलते इन किसानों को मुआवजा मिलना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं राजस्थान निर्माण एजेंसी इन्हें मौके से बेदखल करने में जुटी हुई है.

किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

किसानों की जमीन शासकीय रकबे में दर्ज नहीं

दरअसल झाबुआ जिले में करीब 48 किलोमीटर का एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित है. जिसकी चौड़ाई 8 लेन है. 48 किलोमीटर के दायरे में 21 गांव की करीब 1517 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा रही है. अधिग्रहण की प्रक्रिया में कई किसानों को घर से बेघर किया जा रहा है, हालांकि किसानों की परेशानी ये है कि उनके घर बार और जमीने अभी भी शासकीय रकबे में दर्ज नहीं है. ऐसे किसानों को मुआवजे की पात्रता भी नहीं है. जबकि राजस्थान की निर्माण एजेंसी इन्हें सड़क के निर्माण क्षेत्र में इनके घर आने के कारण इन्हें हटा रही है.

किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

ये मामला झाबुआ जिला प्रशासन के संज्ञान में आया था, इसके बाद पता चला कि किसानों की जमीन शासकीय रकबे में दर्ज नहीं है. ऐसी स्थिति में किसान अब जनजाति विकास मंच नामक संगठन के माध्यम से विरोध पर उतारू है. हाल ही में बड़ी संख्या में झाबुआ से इंदौर पहुंचे किसानों ने उन्हें जमीन से बेदखल किए जाने और मुआवजा नहीं दिए जाने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है. किसानों की मांग है कि कई पीढ़ियों से जिन जमीनों पर वे खेती करते रहे हैं, उनकी जमीनों के अधिग्रहण के पहले उन्हें जमीन के बदले में जमीन दी जाए.

इंदौर कमिश्नर को दिया मांग पत्र

जनजाति विकास मंच के मालवा प्रमुख कैलाश अमलियार का आरोप है कि बारिश के दिनों में किसानों को बेघर किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में प्रशासन को उनका पक्ष भी सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को बेघर किया गया तो मौके पर विरोध के बाद संघर्ष की स्थिति बन सकती है, जिसका जिम्मेदार जिला प्रशासन होगा. वहीं किसानों ने इंदौर संभाग आयुक्त को अपना मांग पत्र दिया है. जिसके बाद किसानों के स्तर पर उम्मीद की जा रही है कि उनकी मांग के समर्थन में समय रहते कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा.

इंदौर। दिल्ली से मुंबई तक 8 लेन एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है, जिससे आवागमन सुलभ होगा, लेकिन इस प्रोजेक्ट के कारण झाबुआ जिले के 21 गांव के आदिवासी किसानों के सामने बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है. आदिवासी किसानों की जमीन एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए अधिग्रहित की जा रही है, लेकिन अधिकांश किसानों के घर और खेत शासकीय रिकॉर्ड में उनके नाम पर दर्ज नहीं है. जिसके चलते इन किसानों को मुआवजा मिलना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं राजस्थान निर्माण एजेंसी इन्हें मौके से बेदखल करने में जुटी हुई है.

किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

किसानों की जमीन शासकीय रकबे में दर्ज नहीं

दरअसल झाबुआ जिले में करीब 48 किलोमीटर का एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित है. जिसकी चौड़ाई 8 लेन है. 48 किलोमीटर के दायरे में 21 गांव की करीब 1517 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा रही है. अधिग्रहण की प्रक्रिया में कई किसानों को घर से बेघर किया जा रहा है, हालांकि किसानों की परेशानी ये है कि उनके घर बार और जमीने अभी भी शासकीय रकबे में दर्ज नहीं है. ऐसे किसानों को मुआवजे की पात्रता भी नहीं है. जबकि राजस्थान की निर्माण एजेंसी इन्हें सड़क के निर्माण क्षेत्र में इनके घर आने के कारण इन्हें हटा रही है.

किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

ये मामला झाबुआ जिला प्रशासन के संज्ञान में आया था, इसके बाद पता चला कि किसानों की जमीन शासकीय रकबे में दर्ज नहीं है. ऐसी स्थिति में किसान अब जनजाति विकास मंच नामक संगठन के माध्यम से विरोध पर उतारू है. हाल ही में बड़ी संख्या में झाबुआ से इंदौर पहुंचे किसानों ने उन्हें जमीन से बेदखल किए जाने और मुआवजा नहीं दिए जाने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है. किसानों की मांग है कि कई पीढ़ियों से जिन जमीनों पर वे खेती करते रहे हैं, उनकी जमीनों के अधिग्रहण के पहले उन्हें जमीन के बदले में जमीन दी जाए.

इंदौर कमिश्नर को दिया मांग पत्र

जनजाति विकास मंच के मालवा प्रमुख कैलाश अमलियार का आरोप है कि बारिश के दिनों में किसानों को बेघर किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में प्रशासन को उनका पक्ष भी सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को बेघर किया गया तो मौके पर विरोध के बाद संघर्ष की स्थिति बन सकती है, जिसका जिम्मेदार जिला प्रशासन होगा. वहीं किसानों ने इंदौर संभाग आयुक्त को अपना मांग पत्र दिया है. जिसके बाद किसानों के स्तर पर उम्मीद की जा रही है कि उनकी मांग के समर्थन में समय रहते कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा.

Last Updated : Jun 28, 2020, 10:39 AM IST
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