इंदौर। इस साल विधानसभा चुनाव हैं. इसी वजह से चुनावी साल में शिवराज सरकार 'लाडली बहना' के साथ एक बार फिर किसानों पर दांव आजमाने जा रही है. यही कारण है कि कर्ज के बोझ तले दबे प्रदेश के 76 लाख लघु सीमांत किसानों का फसल बीमा अब राज्य सरकार करवाने जा रही है. किसानों के फसल बीमा से राज्य सरकार पर करीब 2 हजार 954 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार हो जाएगा, बावजूद इसके शिवराज सरकार इसी माह में यह फैसला लेने जा रही है.
किसानों को नहीं जमा करनी होगी बीमा राशि: इंदौर में कृषि मेले का उद्घाटन करने पहुंचे कृषि मंत्री कमल पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि "अब 76 लाख छोटे किसानों को बीमा की राशि जमा नहीं करनी होगी, यह राशि सरकार भरेगी. इसके अलावा मध्यप्रदेश देश में ऐसा पहला राज्य होगा जो अपने इतने बड़े किसान बंधुओं का फ्री में फसल बीमा कराने जा रहा है. इन किसानों के बीमा पर राज्य सरकार 2 हजार 954 करोड़ रुपए चुकाएगी. इसके अलावा बीमा का लाभ किसानों को इसी महीने से मिल सकेगा."
76 लाख छोटे किसानों का फसल बीमा: मध्यप्रदेश में फिलहाल 24 लाख 37 हजार किसानों का फसल बीमा है. इनमें करीब 76 लाख किसान ऐसे हैं जिनकी जमीन ढाई एकड़ से 5 एकड़ के करीब है. इनमें भी 48 लाख ऐसे किसान हैं जिनकी जमीन ढाई एकड़ से भी कम है. लिहाजा पात्रता नहीं होने के कारण और अन्य कारणों से इनका बीमा नहीं हो पाता. ऐसे में जब फसल खराब होती है तो इन्हें फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता. इसी वजह से शिवराज सरकार ने इस साल से 76 लाख छोटे किसानों का फसल बीमा कराने का फैसला किया है.
किसानों को घर पहुंचेगी खाद: बीते 3 साल में शिवराज सरकार फसल बीमा के मध्य में ही करीब 17 हजार करोड़ रुपए किसानों को दे चुकी है. इस साल फिर खराब मौसम के कारण कई फसलों के चौपट होने के सवाल पर कमल पटेल ने कहा कि "फिलहाल किसानों पर मौसम की मार पड़ रही है जिस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है. हर साल खाद के संकट से निपटने के लिए इस साल शिवराज सरकार ने साढ़े 10 लाख मैट्रिक टन खाद का भंडारण किया है. यह खाद सोसाइटी के माध्यम से गांवों में डोंढी पिटवा कर वितरित की जाएगी. इसके अलावा सरकार अब छोटे किसानों को खाद की घर पहुंच सेवा भी देने जा रही है."
गेहूं का बंपन उत्पादन: प्याज की गिरती कीमतों पर कमल पटेल का कहना था कि "यह मांग और पूर्ति में अंतर के कारण स्थिति बनती है, क्योंकि उद्यान की फसल का किसान बीमा नहीं करा पाते. प्रीमियम ज्यादा लगने की वजह से परेशानी होती है. इसके बावजूद किसानों को हर संभव मदद सरकार देगी." गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के सवाल पर कमल पटेल ने कहा कि "देश में किसान गेहूं के अलावा चना, मूंग आदि अन्य फसलों का उत्पादन कर रहे हैं. इसी वजह से सरकार गेहूं का निर्यात नहीं कर रही है. हालांकि मध्यप्रदेश में हर साल की तरह इस बार भी बंपर उत्पादन हुआ है. लिहाजा मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से गेहूं का निर्यात शुरू करने को लेकर सहमत है."
कांग्रेस पर कमल पटेल का आरोप: कांग्रेस नेत्री अवनी बंसल द्वारा हरदा में 22 मई से 'विकास ढूंढ़ो यात्रा' की शुरुआत की गई है. इसमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अवनी बंसल द्वारा दूरबीन से विकास की खोज की जा रही है. इस दौरान सीधे तौर पर चुनाव के पहले स्थानीय विधायक और कृषि मंत्री कमल पटेल को घेरने की तैयारी की गई है. इस बीच इंदौर में कमल पटेल भी विकास ढूंढो यात्रा के खिलाफ काफी उग्र नजर आए. कमल पटेल ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि "कांग्रेस के राज में हरदा सिर्फ तहसील थी, जहां 1 किलोमीटर की पक्की सड़क भी नहीं थी.अब यहां सारी सुविधाएं हैं. हाल ही में मंडी बोर्ड से 300 करोड़ रुपए की 54 सड़कें स्वीकृत की गई है. हरदा में अब इंडोर स्टेडियम है. लेकिन विकास ढूंढने वाली कांग्रेस अंधी है. चुनाव के दौरान महज प्रोपेगेंडा करने के लिए और हरदा से दावेदारी करने के लिए कांग्रेस नेता इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं."