इंदौर। होलकर राजघराने से जुड़ी संपत्तियों के स्वामित्व को लेकर राज्य सरकार और खासगी ट्रस्ट के बीच का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हाल ही में हाई कोर्ट द्वारा देशभर में स्थित संपत्तियों को राज्य सरकार के अधीन सौंपने के फैसले को चुनौती देते हुए, खासगी ट्रस्ट ने स्वामित्व के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है.
हाई कोर्ट का आदेश होते ही राज्य सरकार ने पूरे देश में फैली हुई देवी अहिल्याबाई होलकर से जुड़ी संपत्तियों की जांच उनके भौतिक सत्यापन और वर्तमान स्थितियों की पड़ताल को लेकर 39 अधिकारियों का दल गठित किया है. इस दल के गठित होने के साथ ही खासगी ट्रस्ट के मानिक बाग रोड इंदौर स्थित कार्यालय पर भी ईओडब्ल्यू की टीम पूछताछ करने पहुंच रही है. इस मामले में राज्य सरकार के स्वामित्व के दावे से नाराज खासगी ट्रस्ट की ओर से पूरे मामले में एक याचिका इंदौर में तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए दाखिल की गई है.
इस याचिका को लेकर याचिकाकर्ता और ट्रस्ट की मुखिया उषा देवी होलकर समेत उनके पति सतीश मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार खुद अपने ही मंदिरों और धर्मस्व ट्रस्टों का ध्यान रखने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि संपत्तियां देशभर में फैली हैं और राज्य सरकार और जिला प्रशासन का कार्य क्षेत्र राज्य अथवा जिला स्तर तक सीमित होता है, ऐसी स्थिति में देशभर में संपत्तियों की देखभाल राज्य सरकार के बस की बात नहीं है. इस मामले में खासगी ट्रस्ट के वकील और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अशोक चितले ने भी चुनौती देते हुए कहा है कि विलीनीकरण के समय जो राशि देने का समझौता सरकार की ओर से हुआ है, वो भी नियमित तौर पर नहीं दिया गया. करोड़ों रुपए की जो राशि ट्रस्ट को संचालित करने के लिए उपयोग की गई. वो भी ट्रस्टियों द्वारा निजी तौर पर दी गई है. ट्रस्ट द्वारा ये भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी ट्रस्ट के अधीन संपत्तियां सार्वजनिक होती हैं, इसलिए स्वामित्व के विवाद में ना पड़कर सरकार को इनकी देखभाल का उचित हल निकालना चाहिए.