इंदौर। साइन लैंग्वेज उसे कहते है जिसमें इशारों में बात की जाती है. साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल मूकबधिर संवाद के लिए करते है. ऐसे ही मूकबधिर बच्चों का शहर में कवि सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अनूठे कार्यक्रम में मूकबधिर काव्य प्रेमियों ने इशारों की भाषा में काव्य रचनाओं की प्रस्तुति दी. महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ और आनंद सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले रोटरी क्लब से जुड़े हुए कवियों ने अपना काव्य पाठ मूक बधिर बच्चों से कराने का अनुरोध किया था.
कवियों के अनुरोध के बाद तय किया गया कि जो बच्चे साइन लैंग्वेज में काव्य पाठ करेंगे. जिसके बाद बच्चों को कवि सम्मेलन के लिए एक महीने की ट्रेनिंग दी गई. कठोर परिश्रम के बाद मूक-बधिर कवि सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में कवियों ने अलग-अलग विषयों पर अपना काव्य पाठ किया जिसे अनुवादक के जरिए बच्चों को साइन लैंग्वेज में भी दर्शाया गया. इस दौरान कवियों के साथ मूक-बधिर बच्चों ने अपनी तरह से काव्य रचनाएं साइन लैंग्वेज में प्रस्तुत की. इस अनूठे आयोजन के दौरान बच्चों ने भी हर कविता की एक आम श्रोता की तरह जमकर प्रशंसा की और अपनी खास स्टाइल में तालियां बजाकर कवियों का प्रोत्साहन भी किया.
मूकबधिर कवि सम्मेलन कार्यक्रम में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के एशिया पेसिफिक की टीम ने इस आयोजन को मूक बधिरों का पहला कवि सम्मेलन का प्रमाण पत्र प्रस्तुत दिया. साथ ही इस आयोजन को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करने का निर्णय भी लिया है.