इंदौर। इंदौर के क्षेत्र क्रमांक 1 से पार्टी के निर्देश पर मजबूरी में चुनाव लड़ने वाले कैलाश विजयवर्गीय की हसरत सिर्फ मुख्यमंत्री पद रहा है, लेकिन उन्हें लेकर पार्टी संगठन के अलग-अलग फैसलों और परिस्थितियों के कारण एक बार फिर मंत्री बनना पड़ा है. हालांकि अब वे न केवल मध्य प्रदेश बल्कि मालवा निमाड़ में सक्रिय रहने का मन बन चुके हैं. गौरतलब है कैलाश विजयवर्गीय ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. इसके बाद 1983 में विजयवर्गीय नगर निगम में पार्षद बने. इसी दरमियान भारतीय जनता युवा मोर्चा में विजयवर्गीय सचिव पद पर रहे हैं. Kailash Vijayvargiya again minister
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#WATCH | Bhopal: On Cabinet expansion, Madhya Pradesh Minister Kailash Vijayvargiya says, "This team has Test match players as well as T20 players and so it is a very balanced team..." pic.twitter.com/tLuRBGJG7g
— ANI (@ANI) December 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव बने : साल 1993 में विजयवर्गीय भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और गुजरात के प्रभारी भी रहे. कैलाश विजयवर्गीय सन् 2000 में इंदौर नगर निगम के मेयर भी बने. इस दौरान उन्हें 2003 में दक्षिण एशिया मरीन काउंसिल का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था. करीब 67 साल के विजयवर्गीय हरियाणा में भाजपा के चुनाव अभियान के प्रभारी रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें पार्टी नेतृत्व ने राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था. 2015 के बाद वह पश्चिम बंगाल के भाजपा के प्रभारी रहे हैं. Kailash Vijayvargiya again minister
कई बार एमपी में मंत्री रहे : मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकारों में विजयवर्गीय करीब 12 साल से अधिक समय तक मंत्री रहे हैं. 2008 में विजयवर्गीय लोक निर्माण, संसदीय कार्य और नगरी प्रशासन मंत्री रह चुके हैं. 2004 में उन्हें धार्मिक न्यास बंदोबस्त और पुनर्वास विभाग दिया गया. इसके बाद वह लोक निर्माण मंत्री के रूप में बाबूलाल गौर की सरकार में भी शामिल रहे. शिवराज सिंह चौहान की सरकार में उन्हें लोक निर्माण विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी के रूप में मंत्री पद संभालने की जिम्मेदारी मिली. इसके बाद 2008 के दरमियान विजयवर्गीय के पास आईटी और उद्योग विभाग रहे. जबकि 2013 में शहरी विकास मंत्री थे. कैलाश विजयवर्गीय को ही इंदौर में टीसीएस और इन्फोसिस समेत 17 से अधिक आईटी कंपनियों को इंदौर लाने का श्रेय जाता है. इसके अलावा उद्योग मंत्री रहते उनके द्वारा आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर मीट अहम रही. Kailash Vijayvargiya again minister
चुनाव में किए दावे सही निकले : अकेले कैलाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश में बीजेपी को 160 से ज्यादा सीटें मिलने के साथ ही इंदौर की सभी 9 जीतने का दावा किया था. तब किसी को उनकी बात पर यकीन नहीं था, लेकिन जो परिणाम आए उनसे कैलाश के सभी दावे यकीन में बदल गए. कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा ने मालवा निमाड़ की करीब 40 सीटों को जिताने की जिम्मेदारी सौंप थी, जिसमें वह अधिकांश सीटें जीते हैं. यही वजह है कि विजयवर्गीय को मोहन मंत्रिमंडल में न केवल अहम जिम्मेदारी मिल सकती है बल्कि वह मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपनी निकटता के कारण सरकार में सत्ता के शक्तिशाली केंद्र के रूप में नजर आएंगे.
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ये है विधायकी का सफर :
- 1990 में उन्हें इंदौर के क्षेत्र क्रमांक 4 से चुनाव लड़ने का मौका मिला. इस चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने निकटतम प्रतिद्वंदी इकबाल खान को 25000 से ज्यादा वोटों से हराया.
- 1993 में कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर की क्षेत्र क्रमांक 2 से चुनाव लड़ाया गया, जिसमें उन्होंने 2162 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार कृपा शंकर शुक्ला को हराया.
- 1998 में कैलाश विजयवर्गीय तीसरी बार फिर क्षेत्र क्रमांक 2 से ही चुनाव लड़े, जिसमें उन्होंने कांग्रेस की रेखा गांधी को 20000 वोटों से हराया था
- 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी परंपरागत दो नंबर विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राठौर को 35911 वोटों से हराया.
- 2008 के चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा के लिए कठिन मानी जाने वाली सीट मऊ से चुनाव लड़ाया गया, जहां अंतर सिंह दरबार को उन्होंने 9791 वोटोंं से हराया.
- 2013 में भी कैलाश विजयवर्गीय महू से छठी बार चुनाव लड़े. इस दौरान उन्होंने फिर कांग्रेस को उम्मीदवार अंतर सिंह दरबार को 12216 वोटों से हराया.
- 2023 में फिर उन्हें इंदौर की सबसे कठिन कहीं जाने वाली एक नंबर विधानसभा से चुनाव लड़ाया गया, जहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला को हराया.