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'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई, ज्योतिरादित्य ने अपने पूर्वजों को याद कर बताया गौरवशाली इतिहास - ज्योतिरादित्य ने अपने पूर्वजों को याद किया

सिंधिया परिवार पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोपों पर पहली बार सांसद ज्योतिरादित्य ने जवाब दिया. सिंधिया अपने परिवार पर लगाए गए आरोपों पर सफाई देते हुए पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास के बारे में खुलकर बोले.

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'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई
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Published : Aug 20, 2021, 9:39 PM IST

Updated : Aug 20, 2021, 10:25 PM IST

इंदौर। 1857 की क्रांति में ग्वालियर के सिंधिया राजघराने द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं देने को लेकर इस परिवार पर गद्दारी के आरोप लगते रहे हैं. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में भी इसका जिक्र किया गया जो इतिहास में दर्ज हो गया. सिंधिया परिवार पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार ने जवाब दिया है. अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने परिवार पर लगे गद्दारी के आरोपों पर सफाई दी और सिंधिया परिवार को गौरवशाली इतिहास के बारे में खुलकर बोले.

'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

राणोजी सिंधिया और मल्हार राव होल्कर का किया जिक्र

सिंधिया परिवार पर अक्सर लगने वाले गद्दारी के आरोपों पर पहली बार परिवार के वंशज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पब्लिक डोमिन में खुलकर बात की. उन्होंने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बाजीराव पेशवा के दाहिने हाथ मेरे पूर्वज राणोजी महाराज थे और छत्रपति शिवाजी बाएं हाथ इंदौर रियासत के राजा मल्हार राव होलकर थे. उन्होंने बताया कि पानीपत की लड़ाई के दौरान मुगल शासक अहमद शाह अब्दाली की फौज ने सिंधिया परिवार के इन तीनों वंशजों का सर काट कर मराठों की सेना को डराने के लिए बरछे में डालकर लहराया था. अपने पूर्वज दत्ताजी महाराज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नजीब्दुल्ला ने मेरे पूर्वज दत्ता जी महाराज को गोली मारने के पहले पूछा था कि क्यों दत्ता जी और लड़ोगे तो दत्ताजी महाराज ने कहा था कि जिएंगे तो लड़ेंगे यह है सिंधिया परिवार का बलिदान और इतिहास

'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

यह लगते हैं सिंधिया राजघराने पर आरोप

ऐतिहासिक संदर्भ के मुताबिक 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सिंधिया राजघराने पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोप लगते हैं. कहा जाता है कि सिंधिया के साथ न देने की वजह से ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं. रानी के बलिदान के बाद अंग्रेजों ने तात्या टोपे को भी हिरासत में ले लिया था और इसके बाद 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को पूरी तरह कुचल दिया गया था. इस संदर्भ का उल्लेख प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने भी अपनी एक कविता में किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि...

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने, फिर खाई रानी से हार
विजय रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

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'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

सिंधिया परिवार के पक्ष में इतिहासकारों ने भी दिए तर्क

सिंधिया परिवार पर लगे गद्दारी के आरोपों को लेकर कई इतिहासकार भी अपने तर्क दे चुके हैं. कई इतिहासकार मानते हैं कि 1 जून 1858 को जयाजीराव ग्वालियर से आगरा चले गए थे, वहीं 3 जून को रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर आई थी इसलिए यह कहना कि सिंधिया राजपरिवार ने लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया यह गलत माना जाता है. इतिहासकार यह भी मानते हैं कि 1857 की क्रांति में सिंधिया रियासत अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध नहीं करना चाहती थी. भारत की कई अन्य रियासतें भी ऐसा ही चाहती थी, क्योंकि सैन्य बल और संसाधनों से अंग्रेजों की तुलना में कमजोर होने के कारण उन्हें इससे भारी जनहानि की आशंका थी, हालांकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर की किताब इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस 1857 में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि सिंधिया राजपरिवार ने 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों का साथ दिया था.

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'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

कांग्रेस लगातार लगाती रही है आरोप

हाल ही में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी तब कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने सिंधिया पर गद्दारी के आरोप लगाते हुए कहा था कि एक इतिहास बना था 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की मौत से, एक इतिहास बना था 1967 में डीपी मिश्रा की सरकार गिराकर संविद सरकार बनाने से और फिर एक बार इस परिवार ने इतिहास बनाया है कमलनाथ सरकार को गिरा कर.

यशोधरा राजे का भी हुआ विरोध

साल 2006 में इंदौर में किला मैदान पर लगाई गई रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति का अनावरण करने वसुंधरा राजे सिंधिया पहुंची थीं. इस दौरान यहां तत्कालीन कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू ने वसुंधरा का जमकर विरोध किया था. जिसके बाद वसुंधरा को सफाई देनी पड़ी थी कि वे एक महिला के रूप में वह लक्ष्मीबाई का बेहद सम्मान करती हैं. इसी तरह 2010 में ग्वालियर में बीजेपी शासित नगर निगम ने अपनी वेबसाइट में सिंधिया राजघराने पर झांसी की रानी से गद्दारी करने का आरोप लगाते हुए उल्लेख किया था कि ग्वालियर राजपरिवार ने लक्ष्मीबाई को कमजोर घोड़ा देकर उन्हें धोखा दिया था. इस दौरान यशोधरा राजे सिंधिया ग्वालियर से सांसद थी, हालांकि बाद में नगर निगम ने यह कंटेंट अपनी वेबसाइट से हटाया था.

इंदौर। 1857 की क्रांति में ग्वालियर के सिंधिया राजघराने द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं देने को लेकर इस परिवार पर गद्दारी के आरोप लगते रहे हैं. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में भी इसका जिक्र किया गया जो इतिहास में दर्ज हो गया. सिंधिया परिवार पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार ने जवाब दिया है. अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने परिवार पर लगे गद्दारी के आरोपों पर सफाई दी और सिंधिया परिवार को गौरवशाली इतिहास के बारे में खुलकर बोले.

'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

राणोजी सिंधिया और मल्हार राव होल्कर का किया जिक्र

सिंधिया परिवार पर अक्सर लगने वाले गद्दारी के आरोपों पर पहली बार परिवार के वंशज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पब्लिक डोमिन में खुलकर बात की. उन्होंने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बाजीराव पेशवा के दाहिने हाथ मेरे पूर्वज राणोजी महाराज थे और छत्रपति शिवाजी बाएं हाथ इंदौर रियासत के राजा मल्हार राव होलकर थे. उन्होंने बताया कि पानीपत की लड़ाई के दौरान मुगल शासक अहमद शाह अब्दाली की फौज ने सिंधिया परिवार के इन तीनों वंशजों का सर काट कर मराठों की सेना को डराने के लिए बरछे में डालकर लहराया था. अपने पूर्वज दत्ताजी महाराज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नजीब्दुल्ला ने मेरे पूर्वज दत्ता जी महाराज को गोली मारने के पहले पूछा था कि क्यों दत्ता जी और लड़ोगे तो दत्ताजी महाराज ने कहा था कि जिएंगे तो लड़ेंगे यह है सिंधिया परिवार का बलिदान और इतिहास

'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

यह लगते हैं सिंधिया राजघराने पर आरोप

ऐतिहासिक संदर्भ के मुताबिक 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सिंधिया राजघराने पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोप लगते हैं. कहा जाता है कि सिंधिया के साथ न देने की वजह से ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं. रानी के बलिदान के बाद अंग्रेजों ने तात्या टोपे को भी हिरासत में ले लिया था और इसके बाद 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को पूरी तरह कुचल दिया गया था. इस संदर्भ का उल्लेख प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने भी अपनी एक कविता में किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि...

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने, फिर खाई रानी से हार
विजय रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

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'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

सिंधिया परिवार के पक्ष में इतिहासकारों ने भी दिए तर्क

सिंधिया परिवार पर लगे गद्दारी के आरोपों को लेकर कई इतिहासकार भी अपने तर्क दे चुके हैं. कई इतिहासकार मानते हैं कि 1 जून 1858 को जयाजीराव ग्वालियर से आगरा चले गए थे, वहीं 3 जून को रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर आई थी इसलिए यह कहना कि सिंधिया राजपरिवार ने लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया यह गलत माना जाता है. इतिहासकार यह भी मानते हैं कि 1857 की क्रांति में सिंधिया रियासत अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध नहीं करना चाहती थी. भारत की कई अन्य रियासतें भी ऐसा ही चाहती थी, क्योंकि सैन्य बल और संसाधनों से अंग्रेजों की तुलना में कमजोर होने के कारण उन्हें इससे भारी जनहानि की आशंका थी, हालांकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर की किताब इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस 1857 में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि सिंधिया राजपरिवार ने 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों का साथ दिया था.

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'गद्दारी' के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार की सफाई

कांग्रेस लगातार लगाती रही है आरोप

हाल ही में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी तब कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने सिंधिया पर गद्दारी के आरोप लगाते हुए कहा था कि एक इतिहास बना था 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की मौत से, एक इतिहास बना था 1967 में डीपी मिश्रा की सरकार गिराकर संविद सरकार बनाने से और फिर एक बार इस परिवार ने इतिहास बनाया है कमलनाथ सरकार को गिरा कर.

यशोधरा राजे का भी हुआ विरोध

साल 2006 में इंदौर में किला मैदान पर लगाई गई रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति का अनावरण करने वसुंधरा राजे सिंधिया पहुंची थीं. इस दौरान यहां तत्कालीन कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू ने वसुंधरा का जमकर विरोध किया था. जिसके बाद वसुंधरा को सफाई देनी पड़ी थी कि वे एक महिला के रूप में वह लक्ष्मीबाई का बेहद सम्मान करती हैं. इसी तरह 2010 में ग्वालियर में बीजेपी शासित नगर निगम ने अपनी वेबसाइट में सिंधिया राजघराने पर झांसी की रानी से गद्दारी करने का आरोप लगाते हुए उल्लेख किया था कि ग्वालियर राजपरिवार ने लक्ष्मीबाई को कमजोर घोड़ा देकर उन्हें धोखा दिया था. इस दौरान यशोधरा राजे सिंधिया ग्वालियर से सांसद थी, हालांकि बाद में नगर निगम ने यह कंटेंट अपनी वेबसाइट से हटाया था.

Last Updated : Aug 20, 2021, 10:25 PM IST
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