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ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बाद मरीजों में फैल रहा जबड़े का इन्फेक्शन

मरीजों में ब्लैक फंगस के बाद जबड़े के फंगस की शिकायतें भी लगातार सामने आ रही हैं. जानिए इस बीमारी को लेकर क्या कहते हैं दातों के सर्जन अमित रावत.

जबड़े का इन्फेक्शन
जबड़े का इन्फेक्शन
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Published : May 17, 2021, 11:20 AM IST

Updated : May 17, 2021, 1:51 PM IST

इंदौर। कोरोना की दवाइयों ओर इंजेक्शन से मरीजो में ब्लैक फंगस की शिकायतें आ रही है. जिसके चलके मरीजो की आंखे तक निकालनी पड़ रही है. इस बीच अब मरीजों में ब्लैक फंगस (black fungus) के बाद जबड़े का फंगस भी शामिल हो गया है, जो कि काफी खतरनाक साबित हो रहा है. फिलहाल, ऐसे मरीजों के 18 केस सामने आये हैं. जिसमे 6 मरीजों को स्वस्थ किया जा चुका है.

जबड़े का इन्फेक्शन



कैसे पहुंचता है आंखो तक इंफेक्शन
दातों के सर्जन अमित रावत ने बताया कि कोरोना मरीजों की इम्युनिटी कम हो रही है. उन्हें उपचार के दौरान ऐसी दवाइयां देनी पड़ती हैं, जहां फंगल इंफेक्शन उसमें डेवलप हो जाता है. हालांकि, ये समस्या उन मरीजों में अधिकांश पाई जाती है, जिनका शुगर लेवल ज्यादा होता है, क्योंकि जब कोविड-19 पॉजिटिव मरीज होता है तो मरीज का शुगर लेवल 500 से 600 तक चला जाता है,. इस दौरान मरीज को उपचार करते समय ऑक्सीजन और बाकी वैक्सीन और दवाई दी जा रही है. देखने मे आ रहा है कि पहले ब्लैक फंगस हो रहा था, लेकिन कई बार मरीज के मुंह के ऊपर जबड़े की हड्डी में धीरे-धीरे इन्फेक्शन होना शुरू हो जाता है. जिसे फंगल इन्फेक्शन कहते हैं और फिर साइनस से आगे बढ़ता हुआ नाक के जरिए आंखों तक पहुंच जाता है.

मरीजों को कोविड-19 की सावधानियां
इस संक्रमण के दौरान मरीज की आंखें की रोशनी 1 से 2 दिन में चली जाती है, क्योंकि यह फंगल इन्फेक्शन आंख की नस पर दबाव बनाकर उसे खराब कर रहा है. जिसके चलते समस्या आ रही है. मरीजों को कोविड-19 की सावधानियां लगातार बताई जा रही है. उसी प्रकार ब्लैक फंगस इलाज के लिए शासन स्तर पर काफी प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को इस बीमारी के बारे में बताया जा रहा है.

कैसे करें इसकी पहचान
डॉ. रावत ने बताया कि ब्लैक फंगस की भी जानकारी मरीजों को दी जा रही है. अगर आंखों में कालापन या लाल बना रहा है या सुन्नपन आ रहा है. मुंह में मवाद आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके लिए पोस्ट कोविड-19 खास करके तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. प्रशासन की ओर से इसे लेकर पर्सनल पोस्ट कोविड-19 केयर के बाद न्यूकर माइकोसिस क्लिनिक्स बनाए जाए और उसमें उच्च स्तर के अस्पतालों में डॉक्टरों की टीम का गठन किया जाए. जिसमें इससे जुड़े सर्जन न्यूरो सर्जन ऑर्थोलॉजिस्ट इसका उपचार करें. हालांकि, डॉक्टर अमित रावत ने बताया कि इंफेक्शन कोरोना संक्रमण की तरह नहीं फैलता है, लेकिन इसमें खुद का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है. इम्यूनिटी भी महत्वपूर्ण है.

DRDO की 'कोरोना किलर' लॉन्च, दूसरी दवाओं के मुकाबले है बेहतर

इंदौर में 18 मरीज है इन्फेक्टेड
डॉ. रावत ने बताया कि अभी एमजीएम कॉलेज चिकित्सालय में 18 मरीज हैं. जिसमें से 6 केस ऑपरेट कर दिए हैं और इसमें 6 स्वस्थ हो चुके हैं साथ ही जिसमें डेंटल मैगजीनओं फैशन सर्जन की टीम काम करती है. साथ ही प्रमुख डॉक्टर ऑपरेट करते हैं. जिसमें जबड़ों से संबंधित बीमारी है, जबड़े में जो हड्डी खराब हो जाती है और साइनस खराब हो जाती है. उसे निकालकर बाहर किया जाता है. उसके साथ में मेडिकल विभाग दवाइयों से इस मर्ज को कंट्रोल करते हैं.

इंदौर। कोरोना की दवाइयों ओर इंजेक्शन से मरीजो में ब्लैक फंगस की शिकायतें आ रही है. जिसके चलके मरीजो की आंखे तक निकालनी पड़ रही है. इस बीच अब मरीजों में ब्लैक फंगस (black fungus) के बाद जबड़े का फंगस भी शामिल हो गया है, जो कि काफी खतरनाक साबित हो रहा है. फिलहाल, ऐसे मरीजों के 18 केस सामने आये हैं. जिसमे 6 मरीजों को स्वस्थ किया जा चुका है.

जबड़े का इन्फेक्शन



कैसे पहुंचता है आंखो तक इंफेक्शन
दातों के सर्जन अमित रावत ने बताया कि कोरोना मरीजों की इम्युनिटी कम हो रही है. उन्हें उपचार के दौरान ऐसी दवाइयां देनी पड़ती हैं, जहां फंगल इंफेक्शन उसमें डेवलप हो जाता है. हालांकि, ये समस्या उन मरीजों में अधिकांश पाई जाती है, जिनका शुगर लेवल ज्यादा होता है, क्योंकि जब कोविड-19 पॉजिटिव मरीज होता है तो मरीज का शुगर लेवल 500 से 600 तक चला जाता है,. इस दौरान मरीज को उपचार करते समय ऑक्सीजन और बाकी वैक्सीन और दवाई दी जा रही है. देखने मे आ रहा है कि पहले ब्लैक फंगस हो रहा था, लेकिन कई बार मरीज के मुंह के ऊपर जबड़े की हड्डी में धीरे-धीरे इन्फेक्शन होना शुरू हो जाता है. जिसे फंगल इन्फेक्शन कहते हैं और फिर साइनस से आगे बढ़ता हुआ नाक के जरिए आंखों तक पहुंच जाता है.

मरीजों को कोविड-19 की सावधानियां
इस संक्रमण के दौरान मरीज की आंखें की रोशनी 1 से 2 दिन में चली जाती है, क्योंकि यह फंगल इन्फेक्शन आंख की नस पर दबाव बनाकर उसे खराब कर रहा है. जिसके चलते समस्या आ रही है. मरीजों को कोविड-19 की सावधानियां लगातार बताई जा रही है. उसी प्रकार ब्लैक फंगस इलाज के लिए शासन स्तर पर काफी प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को इस बीमारी के बारे में बताया जा रहा है.

कैसे करें इसकी पहचान
डॉ. रावत ने बताया कि ब्लैक फंगस की भी जानकारी मरीजों को दी जा रही है. अगर आंखों में कालापन या लाल बना रहा है या सुन्नपन आ रहा है. मुंह में मवाद आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके लिए पोस्ट कोविड-19 खास करके तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. प्रशासन की ओर से इसे लेकर पर्सनल पोस्ट कोविड-19 केयर के बाद न्यूकर माइकोसिस क्लिनिक्स बनाए जाए और उसमें उच्च स्तर के अस्पतालों में डॉक्टरों की टीम का गठन किया जाए. जिसमें इससे जुड़े सर्जन न्यूरो सर्जन ऑर्थोलॉजिस्ट इसका उपचार करें. हालांकि, डॉक्टर अमित रावत ने बताया कि इंफेक्शन कोरोना संक्रमण की तरह नहीं फैलता है, लेकिन इसमें खुद का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है. इम्यूनिटी भी महत्वपूर्ण है.

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इंदौर में 18 मरीज है इन्फेक्टेड
डॉ. रावत ने बताया कि अभी एमजीएम कॉलेज चिकित्सालय में 18 मरीज हैं. जिसमें से 6 केस ऑपरेट कर दिए हैं और इसमें 6 स्वस्थ हो चुके हैं साथ ही जिसमें डेंटल मैगजीनओं फैशन सर्जन की टीम काम करती है. साथ ही प्रमुख डॉक्टर ऑपरेट करते हैं. जिसमें जबड़ों से संबंधित बीमारी है, जबड़े में जो हड्डी खराब हो जाती है और साइनस खराब हो जाती है. उसे निकालकर बाहर किया जाता है. उसके साथ में मेडिकल विभाग दवाइयों से इस मर्ज को कंट्रोल करते हैं.

Last Updated : May 17, 2021, 1:51 PM IST
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