इंदौर। संत संसार की मोह-माया और परेशानियों को छोड़कर वैराग्य का रास्ता दिखाते हैं, लेकिन संत ही आत्महत्या जैसा कदम उठा ले तो काफी अचरज होता है. ऐसा ही चौंका देने वाला मामला सामने आया है. इंदौर के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र में जैन संत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना की सूचना लगते ही परदेशीपुरा थाना प्रभारी मौके पर पहुंच गए. फिलहाल आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है.
![जैन संत विमद सागर महाराज](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-ind-03-susied-jain-raw-mp10019_30102021201227_3010f_1635604947_126.jpg)
दिगंबर जैन संत ने लगाई फांसी
घटना इंदौर के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र के नंदा नगर की है. नंदा नगर में जैन मंदिर के पास एक धर्मशाला में दिगंबर जैन संत आचार्य 108 विमद सागर महाराज ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. विमद सागर महाराज मूल रूप से सागर के रहने वाले थे. जब वे काफी देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकले तो वहीं रहने वाले कुछ संतों ने उनके कमरे में जाकर देखा, जहां उनका शव फांसी पर लटका हुआ पाया गया.
चातुर्मास के लिए आए थे इंदौर
परदेशीपुरा थाना प्रभारी पंकज द्विवेदी ने बताया कि "महाराज विमद सागर सागर के रहने वाले थे और चातुर्मास के लिए इंदौर आए हुए थे. चातुर्मास के दौरान वह इंदौर के ही एरोड्रम थाना क्षेत्र स्थित लीडस बिल्डिंग में गए हुए थे और वहां से 3 दिन पहले ही वापस नंदा नगर स्थित मंदिर में लौटे थे. फिलहाल जिस कक्ष में उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या की उसमें किसी तरह का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. कमरे का दरवाजा भी अंदर से ही बंद था. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है."
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कई सालों पहले ली थी दीक्षा
संत विमद सागर महाराज ने कई सालों पहले दीक्षा ली थी. उसके बाद वे आचार्य बन गए. विमद सागर मूल रूप से सागर के रहने वाले थे. उनके पिता वहीं पर मलेरिया इंस्पेक्टर के रूप में पदस्थ थे. विमद सागर महाराज के परिवार में उनके अलावा 3 बहनें और एक भाई भी मौजूद है. उनका भाई बैंक में मैनेजर है. विमद सागर महाराज के बारे में बताया जाता है कि वे स्पोर्ट्स में काफी रूचि रखते थे, साथ ही अपने अनुयायियों के प्रति उनका व्यवहार भी काफी मिलनसार था.
मौके पर पहुंचे जैन समाज के लोग
दिगंबर जैन संत की आत्महत्या की खबर सुनकर मौके पर जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए हैं. मौके से पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. जैन संत के अनुयायियों का कहना है कि वे काफी हसमुख और मिलनसार थे, उन्होंने ऐसा कदम कैसा उठा लिया इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है.