इंदौर। कोरोना के नाम पर सरकारी संसाधनों का कैसे दुरुपयोग किया जाता है. इसकी बानगी इंदौर रेलवे स्टेशन पर मिली. जहां पिछले नौ महीने से रेलवे स्टेशन पर खड़ी आइसोलेशन कोच का अब तक उपयोग नहीं किया गया. लिहाजा अब यह तमाम कोच भंगार होकर अनुपयोगी हो चुके हैं. जबकि जिले में कोरोना की दूसरी लहर भी दस्तक दे चुकी है, बाबजूद इसके रेलवे प्रशासन भी बढ़ रहे कोरोना के मरीजों को नजर अंदाज कर रहा है.
दरअसल मार्च माह में कोरोना की महामारी फैलते ही रतलाम रेलवे मंडल ने इमरजेंसी सेवाओं के तहत रेलवे के 75 कोच को आइसोलेशन कोच के रूप में विकसित कर इंदौर रेलवे स्टेशन पर स्थापित किए गए थे. जिन्हें कोरोना मरीजों की सुविधा के हिसाब से चिकित्सकीय मानदंडों के अनुरूप रिनोवेट भी किया गया था. जिनमें 120 आइसोलेशन वार्ड भी बनाए गए थे. इसके अलावा रतलाम स्थित डीआरएम कार्यालय में 40 वार्ड का एक अतिरिक्त वार्ड भी बनाया गया था. यही नहीं इंदौर में रेलवे छात्रावास के 33 कमरों को भी आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया था. इसके अलावा उज्जैन में भी इसी तरह की व्यवस्था की गई थी. नतीजतन इंदौर रेलवे ने आइसोलेशन वार्ड में 130 कमरे विकसित कर स्वास्थ्य विभाग को सौंपे थे, लेकिन विभाग द्वारा मरीजों को भर्ती किए जाने से पूर्व कोच में मेडिकल स्टॉफ और अन्य सुविधाएं नहीं होने के अभाव में इनका कोई उपयोग नहीं किया गया. नतीजतन यह तमाम कोच अब अनुपयोगी साबित हो चुकी है. वहीं कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए रेलवे ने फिर स्वास्थ्य विभाग को इन कोचों का संभावित उपयोग करने संबंधी प्रस्ताव भेजा है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की मानें तो विभाग के पास पहले से ही 1200 बेड की पर्याप्त व्यवस्था है. जिसके चलते विभाग फिलहाल इनका कोई भी उपयोग कर पाने की स्थिति में नहीं है.