इंदौर। पूर्व पार्षद मनोज मिश्रा का कहना है कि वह बचपन से अपनी माता और बहनों को इस समस्या से जूझते हुए देखते आए हैं. जब वह क्षेत्र के पार्षद बने तो क्षेत्र की अधिकतर कॉलोनी स्लम एरिया थी और यहां पर रहने वाली महिलाओं को इस परेशानी को देखकर उन्हें काफी पीड़ा होती थी. कई बार महिलाएं इस गंभीर समस्या को अपने परिजनों को भी नहीं बताती थीं. महिलाओं की समस्या के समाधान के लिए क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया और उसके माध्यम से महिलाओं को महामारी के प्रति जागरूक किया गया. इस महामारी से निपटने के लिए पैड काफी कारगर सिद्ध होता है. इसके बारे में उन्हें जानकारी दी गई. इसके बाद कई महिलाएं इस अभियान से जुड़ी और पैड के बारे में अन्य महिलाओं को जागरूक करने लगीं.
महिलाओं को लोन दिलवाकर लगवाईं मशीनें : महिलाओं को जिस तरह से उन्होंने समझाइश दी, उसका असर ये हुआ कि कुछ महिलाएं क्षेत्र में ही पैड बनाने को लेकर योजना बनाने लगी. कई महिलाओं को 10 हजार रुपये का लोन दिया गया और उससे पैड बनाने की मशीन क्षेत्र में लगाई गई. उस मशीन के माध्यम से महिलाओं द्वारा घर में ही पैड तैयार किए जाते और फिर उन पैड को विभिन्न जगह पर नाम मात्र की राशि में वितरित कर दिया जाता. इसके कारण कुछ महिलाओं को रोजगार मिला तो वहीं जिन महिलाओं को पैड खरीदने में काफी दिक्कत होती थी, वह पैड आसानी से खरीदती हैं.
कैलीफोर्निया की नौकरी छोड़ गांव में जागरूकता फैला रहीं 'पैड वुमन'
कई जगहों पर एटीएम लगवाई : महिला और युवतियों को पैड के प्रति जागरूक करने के लिए सेमिनार कराए गए और जागरूकता अभियान चलाया गया तो वहीं विभिन्न चौराहों और स्कूल कैंपस में पैड की मशीनें भी लगवाईं. पैड की मशीनें इस तरह से लगवाईं गई कि कोई भी महिला और युवती मशीन में 5 का सिक्का डालती है और एक पैड बाहर आ जाता है. यह मुहिम कारगर भी सिद्ध हुई और इसका असर यह हुआ कि कई महिला और युवतियां जो मेडिकल दुकान व अन्य जगहों से पैड खरीदने में घबराती थीं, वह सीधे इन जगहों पर पहुंचकर आसानी से पैड ले लेती हैं. (Inspired by Akshay Kumar film) (Man became Padman of Indore)