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'जेंडर इक्वालिटी' का संदेश देता इंदौर का यांत्रिक गैराजः महिला मैकेनिक करती हैं टू-व्हीलर्स रिपेयर

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Published : Jan 19, 2022, 9:15 PM IST

इंदौर शहर का यांत्रिक गैराज अपने में अनूठा है. यहां बाइक्स को दुरुस्त करने का पूरा जिम्मा महिला मैकेनिक पर है. समान सोयाइटी के तहत बना ये गैराज जेंडर इक्वालिटी का संदेश दे रहा और महिला सशक्तिकरण (Women empowerment in Indore) का बेहतरीन उदाहरण है.

message of Gender Equality
'जेंडर इक्वालिटी' का संदेश देता इंदौर का यांत्रिक गैराज

इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में एक ऐसा गैराज है, जहां टू व्हीलर्स की रिपेयरिंग पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं करती हैं. सुनकर आप हैरान हो गए होंगे. पर ये सच है, ये महिलाएं न सिर्फ दोपहिया वाहन के इंजन को खोलकर पिस्टन की गड़बड़ी दुरुस्त कर सकती हैं, बल्कि बाइक में होने वाली हर तरह की खराबी को ठीक कर सकती हैं (Women empowerment in Indore).
यंत्रिका गैराज में सिर्फ महिला मैकेनिक ( Women mechanics repair two wheelers)
इंदौर के पिपलियाहाना क्षेत्र में यंत्रिका के नाम से संचालित गैराज में सिर्फ महिला मैकेनिक ही काम करती हैं. यांत्रिक गैराज में करीब 200 महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई है और यह वह महिलाएं हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर थी, उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी गई और रोजगार भी मुहैया कराया गया. जनवरी 2020 से महिला मैकेनिकों का गैराज शुरू हुआ, इसके बाद लॉकडाउन के कारण काम बंद था, लेकिन एकबार फिर ये गैराज खुल गया है और यहां गाड़ियों को दुरुस्त करने का पूरा जिम्मा महिलाओं पर है.

'जेंडर इक्वालिटी' का संदेश देता इंदौर का यांत्रिक गैराज

जेंडर इक्वालिटी का दे रहा संदेश गैराज (message of Gender Equality)
गैराज संचालक राजेंद्र देशबंधु की मानें तो यंत्रिका गैराज जेंडर इक्वालिटी का संदेश दे रहा है. इस आइडिया के पीछे की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि, एक बार मैं अपनी गाड़ी ठीक कराने के लिए एक गैराज पहुंचा. गैराज में 15-16 साल का लड़का काम कर रहा था. वहीं पर एक महिला झाड़ू लगा रही थी. इसके बाद महिला ने बताया कि आसपास की दुकानों पर झाड़ू लगाने के बाद 3 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं. गैराज पर बैठे लड़के ने बताया कि वो महीने के 15 हजार रुपये कमा लेता है, जबकि दोनों की शिक्षा 5वीं तक थी. इसके बाद मुझे लगा कि जब दोनों की शिक्षा का स्तर समान है तो केवल महिला और पुरूष होने के कारण कमाई में अंतर क्यों. इसी धरना को गलत साबित करने के उद्देश्य से इस तरह का अनूठा कार्य किया.

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शुरूआत में झेलनी पड़ी परेशानी
यांत्रिका गैराज में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि शुरूआत में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. घर-समाज हर जगह विरोध था, लेकिन मन में कुछ अलग करने की ठान ली थी जिसका नतीजा रहा कि आज इस विशेष ट्रेनिंग के बाद किसी भी तरह की टू व्हीलर को चुटकियों में दुरुस्त कर देते हैं. वहीं गैराज संचालक ने बताया कि लॉकडाउन के पहले 200 महिलाओं को मैकेनिक की ट्रेनिंग दी गई थी. जिनमें से 40 महिलाओं को सर्विस सेंटर पर रोजगार से जोड़ा गया है. फिलहाल 30 महिलाएं इंदौर में अलग सर्विस सेंटर पर काम कर रही हैं.

इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में एक ऐसा गैराज है, जहां टू व्हीलर्स की रिपेयरिंग पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं करती हैं. सुनकर आप हैरान हो गए होंगे. पर ये सच है, ये महिलाएं न सिर्फ दोपहिया वाहन के इंजन को खोलकर पिस्टन की गड़बड़ी दुरुस्त कर सकती हैं, बल्कि बाइक में होने वाली हर तरह की खराबी को ठीक कर सकती हैं (Women empowerment in Indore).
यंत्रिका गैराज में सिर्फ महिला मैकेनिक ( Women mechanics repair two wheelers)
इंदौर के पिपलियाहाना क्षेत्र में यंत्रिका के नाम से संचालित गैराज में सिर्फ महिला मैकेनिक ही काम करती हैं. यांत्रिक गैराज में करीब 200 महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई है और यह वह महिलाएं हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर थी, उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी गई और रोजगार भी मुहैया कराया गया. जनवरी 2020 से महिला मैकेनिकों का गैराज शुरू हुआ, इसके बाद लॉकडाउन के कारण काम बंद था, लेकिन एकबार फिर ये गैराज खुल गया है और यहां गाड़ियों को दुरुस्त करने का पूरा जिम्मा महिलाओं पर है.

'जेंडर इक्वालिटी' का संदेश देता इंदौर का यांत्रिक गैराज

जेंडर इक्वालिटी का दे रहा संदेश गैराज (message of Gender Equality)
गैराज संचालक राजेंद्र देशबंधु की मानें तो यंत्रिका गैराज जेंडर इक्वालिटी का संदेश दे रहा है. इस आइडिया के पीछे की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि, एक बार मैं अपनी गाड़ी ठीक कराने के लिए एक गैराज पहुंचा. गैराज में 15-16 साल का लड़का काम कर रहा था. वहीं पर एक महिला झाड़ू लगा रही थी. इसके बाद महिला ने बताया कि आसपास की दुकानों पर झाड़ू लगाने के बाद 3 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं. गैराज पर बैठे लड़के ने बताया कि वो महीने के 15 हजार रुपये कमा लेता है, जबकि दोनों की शिक्षा 5वीं तक थी. इसके बाद मुझे लगा कि जब दोनों की शिक्षा का स्तर समान है तो केवल महिला और पुरूष होने के कारण कमाई में अंतर क्यों. इसी धरना को गलत साबित करने के उद्देश्य से इस तरह का अनूठा कार्य किया.

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शुरूआत में झेलनी पड़ी परेशानी
यांत्रिका गैराज में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि शुरूआत में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. घर-समाज हर जगह विरोध था, लेकिन मन में कुछ अलग करने की ठान ली थी जिसका नतीजा रहा कि आज इस विशेष ट्रेनिंग के बाद किसी भी तरह की टू व्हीलर को चुटकियों में दुरुस्त कर देते हैं. वहीं गैराज संचालक ने बताया कि लॉकडाउन के पहले 200 महिलाओं को मैकेनिक की ट्रेनिंग दी गई थी. जिनमें से 40 महिलाओं को सर्विस सेंटर पर रोजगार से जोड़ा गया है. फिलहाल 30 महिलाएं इंदौर में अलग सर्विस सेंटर पर काम कर रही हैं.

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