इंदौर। एमपी पीएससी के परिणाम में जहां कई छात्र-छात्राओं का डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य पदों के लिए सिलेक्ट होने का सपना पूरा हुआ है वहीं इंदौर की एक बेटी ऐसी भी है जिसके पिता ने उसे टोल बैरियर पर नौकरी करके पढ़ाया. दीक्षा भगोरे की 13वीं रैंक आई है जो अब डिप्टी कलेक्टर बनने जा रही है. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया.
दीक्षा भगोरे ने नहीं हारी हिम्मत: दीक्षा भगोरे ने पीएससी सेलेक्ट होने के लिए दिन-रात एक कर दिया. बल्कि घर परिवार और रिश्तेदारों से मिलना-जुलना भी छोड़ दिया था. एक दिन में 10 से 12 घंटे की पढ़ाई के बाद जब पहली बार दीक्षा का सिलेक्शन पीएससी में नहीं हुआ तो उसने हिम्मत नहीं हारी. दूसरी बार की लगातार तैयारी इंदौर में रहकर की. कोचिंग के अलावा गाइडेंस के साथ जब दीक्षा ने परीक्षा की तगड़ी प्लानिंग के बाद एग्जाम दिया तो परिणाम सामने है. दीक्षा का सिलेक्शन पीएससी की मेरिट लिस्ट में 13 नंबर पर हुआ है और वे अब डिप्टी कलेक्टर बनने जा रहीं हैं.
क्या कहना है दीक्षा का: दीक्षा का कहना है कि पीएससी की तैयारी के लिए उसने बहुत सैक्रिफाइज किया. पढ़ाई के दौरान मोबाइल और सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरियां बनाई. सिर्फ पढ़ाई पर फोकस किया जब सिलेक्शन नहीं हुआ तो सिलेक्शन की प्लानिंग पर फोकस किया. कोचिंग के अलावा गाइडेंस को महत्व दिया इसके अलावा ऑनलाइन नोट्स और यूट्यूब पर मिलने वाली जानकारी काफी मददगार साबित हुई. जिसकी बदौलत आज वह पीएससी का एक्जाम निकाल पाई. उन्होंने कहा कि यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो लक्ष्य बनाकर जुट जाएं पीएससी तो क्या परीक्षा कितनी भी कठिन हो उसको निकाला जा सकता है.
पिता की उम्मीद को किया पूरा: इंदौर के पास एक छोटा सा गांव है शिप्रा. यही की रहने वालीं है दीक्षा. इनके पिता राजू भगोरे टोल बैरियर पर कर्मचारी हैं. उन्होंने कई बार नौकरियां बदलीं और छोटी छोटी नौकरियों की बदौलत ही अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई करवाई. माता-पिता को कड़ी मेहनत करते देखकर दीक्षा भगोरे ने पीएसी सेलेक्ट होने के लिए दिन-रात एक कर दिया.पिता को पूरी उम्मीद थी कि एक ना एक दिन दीक्षा जरूर कलेक्टर बनेगी और उसने उनकी उम्मीद को पूरा कर दिया.
ये भी पढ़ें: |
दीक्षा की मां का क्या कहना है: दीक्षा की मां भगवती बताती हैं कि बेटी की पढ़ाई लिखाई के कारण हमने उससे घर का कोई काम नहीं कराया. शुरू से ही उम्मीद थी कि पढ़ाई में होनहार दीक्षा जरूर पीएससी में सिलेक्ट होगी. इसके लिए घर में एक-एक पैसा जोड़ा और जहां तहां से पैसे की व्यवस्था करके कोचिंग की फीस भरी. इंदौर में पढ़ाई के लिए 5 साल तक किराए के कमरे में भी रहे लेकिन ना तो हमने हार मानी ना ही दीक्षा ने मेहनत करने में कोई कसर छोड़ी. अब जबकि उसका सलेक्शन हो गया है तो आगे की जिम्मेदारी बच्चों की है कि वह आगे और क्या कुछ कर पाते हैं.