इंदौर। इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में 36 लोगों की मौत के बाद एक्शन लेते हुए प्रशासन ने पूरे मंदिर और बावड़ी को ध्वस्त कर दिया है. वही अब सिंधी समाज ने मंदिर तोड़े जाने को लेकर विरोध शुरू कर दिया है. इधर समाज की मांग पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबंधित क्षेत्र पर फिर से मंदिर बनाने की सहमति दी है. बताया जा रहा है कि अब नए सिरे से मंदिर निर्माण किया जाएगा. जिसमें शासन की ओर से भी 42 लाख रुपए की राशि स्वीकृत होगी.
कोर्ट में दायर हुई थी याचिक: बता दें रामनवमी पर इंदौर के पटेल नगर में बेलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी के धंसने से 22 महिला दो बच्चे समेत कुल 36 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे, हालांकि घटना के बाद बावड़ी के पास ही बन रहे मंदिर को इंदौर नगर निगम ने अवैध पाया था. जिसके बाद मंदिर और बाबड़ी पर कोई कार्रवाई नहीं करने को लेकर नगर निगम प्रशासन भी कटघरे में आ गया था. लिहाजा इंदौर नगर निगम ने अपने दो भवन अधिकारियों को इस मामले में सस्पेंड कर दिया था. वहीं बावड़ी परीक्षक के अलावा मंदिर का निर्माण करने वाली संस्था के दो पदाधिकारियों के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया था, हालांकि इसके बाद मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर नगर निगम और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए 7 दिन में अवैध तरीके से बनाए जा रहे निर्माणाधीन मंदिर परिसर और बावड़ी को तोड़ने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की घोषणा की थी.
नए सिरे से बनेगा मंदिर: इसी दौरान एक याचिका एडवोकेट मनोहर दलाल के माध्यम से इंदौर हाई कोर्ट में भी दर्ज की गई. अवैध परिसर को तोड़ने को लेकर राजनीतिक दबाव बढ़ने के बाद मजिस्ट्रियल जांच के दौरान जिला प्रशासन और निगम ने एक साथ शहर के 4 स्थानों पर कार्रवाई कर ऐसे निर्माण को तोड़ दिया था. इसके बाद बेलेश्वर महादेव मंदिर की बावड़ी समेत निर्माणाधीन मंदिर को रिमूवल कार्रवाई के दौरान मौके पर ही ध्वस्त कर दिया था. वहीं मंदिर का मलवा और अन्य निर्माणाधीन सामग्री से मंदिर की बावड़ी को भी समतल कर दिया था. इसके पीछे नगर निगम ने बावड़ी के आसपास की जमीन को भी निर्माण के लिहाज से गलत बताया था, हालांकि इस कार्रवाई से क्षेत्र का सिंधी समाज खासा नाराज है. समाज के एक वर्ग का कहना है कि निगम की शासकीय जमीन अलग थी. जबकि वहां मौके पर एक 80 साल पुराना धार्मिक परिसर भी था, जिसमें पुरानी मूर्तियां रखी गई थी. लोग यहां पूजा पाठ करते थे. उसी स्थान पर नया मंदिर बन रहा था. जिसे नगर निगम ने अकारण ही तोड़ दिया. इस मामले में सिंधी समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में इंदौर कलेक्ट्रेट पहुंचकर मंदिर तोड़े जाने पर खासी नाराजगी जताई. इसी बीच सिंधी समाज के दबाव के चलते राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री ने भी मंदिर को फिर से बनाने की सहमति दे दी. बताया जा रहा है कि मौके पर अब नए सिरे से मंदिर निर्माण किया जाएगा. जिसमें शासन की ओर से भी 42 लाख रुपए की राशि स्वीकृत होगी.
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मजिस्ट्रियल जांच भी सवालों के घेरे में: सिंधी समाज के प्रतिनिधि और समाजसेवी किशोर कोडवानी ने इस मामले में जिला प्रशासन को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रियल जांच पूरा होने के पहले ही बावड़ी और निर्माणाधीन मंदिर को तोड़ दिया. जिसमें मजिस्ट्रियल जांच के तमाम जांच के प्रमाण भी खत्म हो गए, क्योंकि मंदिर में प्राचीन जल स्रोत के रूप में बावड़ी मौजूद थी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के स्पष्ट निर्देश है कि जल स्त्रोत का संरक्षण करना है, लेकिन बिना देखे परखे जिला प्रशासन ने रिमूवल की कार्रवाई कर दी. जिसकी शिकायत है इस मामले में संतोषजनक समाधान नहीं निकलने पर पूरे प्रकरण को नए सिरे से हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा.