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पढ़ाई का गजब जुनून, बच्चों को पढ़ाने के लिए जारी हुआ टीचर्स का घोषणा पत्र, संवरेगा गरीबों का भविष्य

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 5, 2024, 9:01 AM IST

Updated : Jan 5, 2024, 3:31 PM IST

Indore Teacher Manifesto Release: इंदौर में शिक्षकों ने अनोखी पहल करते हुए गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला लिया है. महिला टीचर्स ने इसको लेकर एक घोषणा पत्र भी जारी कर इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टी और शिक्षा विभाग को सौंपा है. जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षिकाओं के इस कदम की सराहना की है.

Indore Teacher manifesto
इंदौर टीचर्स घोषणा पत्र

इंदौर। बच्चों के लिए पढ़ाई का महत्व शायद शिक्षक से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. यही वजह है कि इंदौर में शासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाली 18 शिक्षिकाओं ने ऐसे दो गरीब बच्चों को पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेदारी ली है. जो पिता के गुजर जाने के बाद अपनी बुआ पर आश्रित हैं. यह पहला मौका है जब सरकारी स्कूल की टीचर्स ने कंट्रीब्यूशन करके दो बच्चों को पढ़ाने-लिखने की लिए बाकायदा घोषणा पत्र जारी किया है.

कोरोना में गुजरे बच्चों के पिता: दरअसल, इंदौर के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ 18 शासकीय स्कूलों की शिक्षिकाओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान गरीब बस्ती में रहने वाले उन बच्चों की दयनीय हालत देखी, जिनके माता-पिता अब नहीं है. ऐसा ही एक परिवार संस्था की प्रमुख मणि वाला शर्मा के संपर्क में आया तो पता चला कि घर के मुखिया के कोरोना में गुजर जाने के बाद उसके पत्नी और बच्चों के खर्च की जिम्मेदारी उसकी बहन लोगों के कपड़े धोकर और प्रेस करके उठा रही है. इतना ही नहीं परिवार की जिम्मेदारी उठाने के कारण वह शादी भी नहीं करना चाहती.

पढ़ाई का खर्च उठाएंगे टीचर्स: नतीजतन संस्था की तमाम शिक्षिकाओं ने एक बैठक करके इस परिवार के छठवीं कक्षा में पढ़ रहे हिमांशु बड़वानियां और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली नित्या बड़वानियां की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया. दोनों बच्चों की पढ़ाई का फिलहाल सालाना 33,000 का खर्चा है जो सभी शिक्षिकाएं कंट्रीब्यूशन करके बच्चों की बुआ को सौंपेंगी. अपने इस प्रेरणादाई फैसले के अवसर पर सभी ने बाकायदा एक कार्यक्रम के दौरान घोषणा पत्र जारी कर उसे इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों और अन्य लोगों के समक्ष सार्वजनिक भी किया.

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बच्चियों को स्वेटर बांटे: इसी दौरान सभी शिक्षिकाओं ने भागीरथपुरा शासकीय स्कूल में पढ़ने वाली उन बच्चियों के लिए 12 स्वेटर भी खरीद कर दिए जो स्कूल ड्रेस के हिसाब से स्वेटर पहन कर नहीं आ पाती थीं. यह पहला मौका था जब शासकीय स्कूलों की टीचर्स ने जरूरतमंद बच्चों के लिए अपनी पॉकेट मनी से उनका खर्च उठाने के साथ पढ़ाई का जिम्मा लिया हो. 18 शिक्षिकाओं के फैसले से अभिभूत जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास का कहना था कि ''यदि जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए शिक्षिकाएं आगे आई हैं तो भले ऐसे बच्चे गरीब हूं लेकिन उन्हें भी आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. शिक्षिकाओं की यह पहल प्रेरणादाई है.''

इंदौर। बच्चों के लिए पढ़ाई का महत्व शायद शिक्षक से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. यही वजह है कि इंदौर में शासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाली 18 शिक्षिकाओं ने ऐसे दो गरीब बच्चों को पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेदारी ली है. जो पिता के गुजर जाने के बाद अपनी बुआ पर आश्रित हैं. यह पहला मौका है जब सरकारी स्कूल की टीचर्स ने कंट्रीब्यूशन करके दो बच्चों को पढ़ाने-लिखने की लिए बाकायदा घोषणा पत्र जारी किया है.

कोरोना में गुजरे बच्चों के पिता: दरअसल, इंदौर के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ 18 शासकीय स्कूलों की शिक्षिकाओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान गरीब बस्ती में रहने वाले उन बच्चों की दयनीय हालत देखी, जिनके माता-पिता अब नहीं है. ऐसा ही एक परिवार संस्था की प्रमुख मणि वाला शर्मा के संपर्क में आया तो पता चला कि घर के मुखिया के कोरोना में गुजर जाने के बाद उसके पत्नी और बच्चों के खर्च की जिम्मेदारी उसकी बहन लोगों के कपड़े धोकर और प्रेस करके उठा रही है. इतना ही नहीं परिवार की जिम्मेदारी उठाने के कारण वह शादी भी नहीं करना चाहती.

पढ़ाई का खर्च उठाएंगे टीचर्स: नतीजतन संस्था की तमाम शिक्षिकाओं ने एक बैठक करके इस परिवार के छठवीं कक्षा में पढ़ रहे हिमांशु बड़वानियां और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली नित्या बड़वानियां की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया. दोनों बच्चों की पढ़ाई का फिलहाल सालाना 33,000 का खर्चा है जो सभी शिक्षिकाएं कंट्रीब्यूशन करके बच्चों की बुआ को सौंपेंगी. अपने इस प्रेरणादाई फैसले के अवसर पर सभी ने बाकायदा एक कार्यक्रम के दौरान घोषणा पत्र जारी कर उसे इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों और अन्य लोगों के समक्ष सार्वजनिक भी किया.

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Last Updated : Jan 5, 2024, 3:31 PM IST
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