इंदौर। देश में सिमट रही साहित्य गतिविधियों और अब नाम मात्र के होने वाले कवि सम्मेलनों के बीच इंदौर में कवियों को प्रोत्साहन देने की अनूठी पहल हो रही है. दरअसल शहर के सभी अनुभवी और नवोदित कवियों ने एक ऐसे स्थान का चयन किया है. जहां वे अपनी नई कविता सभी को सुनाने और उस पर चर्चा करने के बाद एक बोर्ड पर प्रदर्शित करते हैं. इस बोर्ड का नाम 'कविता कोना' रखा गया है. जहां हर 15 दिन में किसी ने किसी कवि की कविता प्रदर्शित होती है.
'कविता कोना' : दरअसल, इंदौर में साहित्यकारों और कवियों की साहित्यिक संस्था सूत्रधार ने जिला कोर्ट के समक्ष प्रेस क्लब परिसर में एक ऐसा स्थान तय किया है. जहां हर 15 दिन में किसी न किसी कवि की नई कविता को पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जाता है. इस कोने का नाम कवियों ने मिलकर 'कविता को ना' रखा है. जहां लोग शहर के किसी न किसी कवि की नई कविता पढ़ सकते हैं. अपनी तरह की इस अनूठी साहित्यिक पल को लेकर खास बात यह भी है कि इस बोर्ड पर एक कविता 15 दिन तक ही प्रदर्शित होती है. हालांकि कविता का चयन भी शहर के कवि और साहित्यकार मिलकर करते हैं. जिस कवि की कविता का चयन कविता कोने के लिए होता है.
पहले उसे कविता को सार्वजनिक रूप से सुनकर उस पर सभी कवि अपनी चर्चा के बाद उसे बोर्ड पर लगाने की सहमति देते हैं. इस पहल के जरिए न केवल कविताओं की मार्केटिंग हो जाती है, बल्कि कवियों की नई-नई कविताओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित होने का एक अलग मंच भी मिलता है. खास बात यह भी है कि शहर के जो कवि अपनी नई कविता लिखते हैं. वह भी कविता कोना के लिए शामिल होने वाली कविताओं में शुमार होती है. जिस पर चर्चा की जाती है जाहिर है इस स्थिति में नवोदित कवियों को भी अपनी कविताओं के प्रदर्शित होने का एक मंच भी मिलता है.
संस्था सूत्रधार की पहल: दरअसल इंदौर में साहित्यिक गतिविधियों के लिए गठित की गई संस्था सूत्रधार ने कवियों को प्रोत्साहित करने के लिए यह पहल की थी. शुरुआती दौर में देश के बड़े कवियों की कविताएं प्रदर्शित की गई, लेकिन बाद में शहर के सभी लोग संस्था की इस पहल से प्रभावित नजर आए. धीरे-धीरे वरिष्ठ और कनिष्ठ कवियों का एक ग्रुप तैयार हो गया. जो हर 15 दिन में किसी न किसी कवि की कविता को सुनने और उस पर चर्चा करने के बाद उस कविता कोने पर लगाए जाने की मंजूरी देता है. इसके बाद अगले 15 दिन तक यह कविता इसी तरह प्रदर्शित होती रहती है.