इंदौर। मध्य प्रदेश में आगामी चुनाव के मद्देनजर विभिन्न कर्मचारी संगठन अब सरकार के समक्ष अपनी मांगों को लेकर मैदान में हैं. इसी क्रम में अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर नर्सिंग एसोसिएशन द्वारा इंदौर के विभिन्न अस्पतालों में हड़ताल की जा रही है. आज सोमवार से अनिश्चितकलीन हड़ताल किए जाने के कारण अब अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं नर्सिंग स्टूडेंट संभाल रहे हैं. हालांकि चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि ''हड़ताल के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चल रही हैं.''
2014 से नर्सों को प्रमोशन से रखा वंचित: गौरतलब है कि, प्रदेश के अस्पतालों का नर्सिंग स्टाफ अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत है. नर्सिंग एसोसिएशन का आरोप है कि ''2014 से नर्सों को प्रमोशन से वंचित रखा गया है. वहीं, नर्सों को दिए जाने वाले स्टाइपेंड में भी वृद्धि नहीं की गई है. पेंशन जैसे प्रकरणों में भी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. प्रमोशन नहीं होने की स्थिति में नर्सों को कार्य के अनुरूप पदभार भी नहीं दिया जा रहा है, जिससे विरोध की स्थिति लगातार बनी हुई है.'' फिलहाल नर्सों को मात्र ₹3000 ही स्टाइपेंड मिल रहा है.
नर्सिंग स्टूडेंट अस्पतालों में दे रहे सेवाएं: वहीं, नर्सों को अन्य राज्यों में सेकंड ग्रेड में रखा गया है, लेकिन मध्यप्रदेश में नहीं रखा गया है. लिहाजा तमाम चेतावनी के बाद सोमवार से नर्सिंग एसोसिएशन की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है. लिहाजा सुबह से ही नर्सिंग स्टाफ ने आज कोई काम नहीं किया. इन हालातों में मरीजों की परेशानी और स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रखने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने अपनी वैकल्पिक व्यवस्था की है, जिसके तहत अस्पताल प्रबंधन ने निजी मेडिकल कॉलेजों के स्टूडेंट जो पहले ही उनके यहां प्रैक्टिस करते हैं, उन नर्सिंग स्टाफ की मदद लेकर स्वास्थ सुविधाओं को बहाल रखने की तैयारी की है, वही स्टूडेंट फिलहाल अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
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निजी अस्पतालों से बुलाया स्टाफ: हड़ताल के बाद इंदौर में एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े सहित अन्य शासकीय अस्पतालों में की व्यवस्थाओं सुचारू रखने की कोशिश जारी है. नर्सिंग की हड़ताल को लेकर को लेकर एमवाय अस्पताल अधीक्षक पीएस ठाकुर का कहना है कि ''निजी अस्पतालों से स्टाफ को बुलाया गया है और फिलहाल मरीजों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है.''