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MP Voters Refused To Vote: गांव में घुसने से पहले होना पड़ता है अर्धनग्न, इसलिए इस बार वोट नहीं देंगे 4 गांव के मतदाता

एमपी में एक तरफ प्रदेश सरकार के नेता-मंत्री सभाएं करके जनता को विकास कार्य गिना रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ आए दिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. इंदौर से 15 किलोमीटर दूर गांव में नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीणों को वह नदी पार करके जाना पड़ता है.

MP Voters Refused To Vote
गांव में घुसने से पहले होना पड़ता है अर्धनग्न
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 8:05 PM IST

Updated : Oct 5, 2023, 9:08 PM IST

ग्रामीणों ने किया वोट का बहिष्कार

इंदौर। महानगर बनते इंदौर की स्वच्छता और विकास भले शहर का उजला पक्ष हो, लेकिन इस शहर से सटे कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे हैं. जहां विकास की बयार अब तक नहीं पहुंची है. सांवेर विधानसभा के ऐसे ही गांव हैं खाकरोड, राम पिपलिया, तोड़ी और परलीयां. जहां के लोगों को अपने घर जाने के लिए गंदे नाले जैसी नदी कपड़े उतार कर पार करनी होती है. यहां पुरुष हो या महिला यदि करीब के रास्ते से घर पहुंचना है, तो उन्हें अपने कपड़े उतार कर गंदे और बदबूदार पानी से भरी नदी पार करने के लिए अर्धनग्न होना ही पड़ता है. बीते 4 दशकों से यह त्रासदी झेल रहे लोगों ने अब फैसला किया है कि नदी पर पुल नहीं तो किसी भी पार्टी को वोट भी नहीं. इंदौर के सांवेर से सिद्धार्थ माछीवाल की खास रिपोर्ट.

जनप्रतिनिधि से गुहार लगाकर थके ग्रामीण: दरअसल इंदौर से महज 15 किलोमीटर दूर सांवेर विधानसभा के खाकरोड़ गांव के लगभग 1700 रहवासी बीते 40 साल से मिल रहे आश्वासनों के बाद भी इंदौर शहर से गंदे पानी को प्रवाहित करने वाली कान्ह नदी पर पुल बनने का इंतजार कर रहे हैं. यही स्थिति अन्य तीन गांव के 5000 लोगों की है. 4 दशकों से उनके सब्र का आलम यह है कि गांव में नदी पार नहीं कर सकने योग्य बच्चों की पढ़ाई लिखाई छूट गई, जो महिलाएं लोक लाज के दर से कपड़े उतारने से डरती हैं. उन्होंने नदी के रास्ते गांव से निकलना ही छोड़ दिया. गांव के अन्य लोग क्षेत्रीय विधायक तुलसी सिलावट, पूर्व विधायक राजेश सोनकर, पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन और अन्य तमाम नेताओं से गुहार लगाते-लगाते थक गए, लेकिन इन गांवों के रास्ते की तस्वीर नहीं बदली. बरसात के दिनों में जब नदी फुल होती है, तो गांव से निकलने का एकमात्र रास्ता भी बंद हो जाता है. इस त्रासदी को झेलने के बाद अब ग्रामीणों को मौका मिला है. अपनी बात प्रभावशाली तरीके से कहने का. इन चुनाव के पहले उन्होंने पुल नहीं बनने की स्थिति में मतदान के ही बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.

नदी का गंदा पानी पार करके जाते हैं ग्रामीण: गंदी नदी पार करने के बदले में अन्य विकल्प के तौर पर जो रास्ता है. उसे इंदौर या अन्य स्थानों पर पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर दूर धनखेड़ी गांव में बने पुल से होकर करीब 15 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता है. जिसका सबसे बड़ा खामियाजा स्कूली बच्चों के अलावा अरविंदो स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को भुगतना होता है. ग्राम खाकरोद के अलावा पास के गांव रामपिपलिया व तोड़ी और पडलिया के करीब 5000 लोग भी इसी समस्या से रोजाना दो चार होते हैं.

यहां पढ़ें...

कई बार अर्धनग्न होकर नदी करना होता है पार: पुर्व जनपद अध्यक्ष हंसराज मंडलोई ने बताया कि "पुल नहीं होने से कई बार महिलाओं को भी कपड़े उतार कर गंदे पानी से भरी नदी पार करना पड़ता है. कई बार पानी अधिक होने पर पूरे कपड़े गंदे होने और भीग जाने के कारण उन्हें भी शर्मसार होना पड़ता है. उन्होंने बताया खाकरोड में एक स्कूल पांचवी तक है, लेकिन उन्हें पांचवी से आगे पढ़ना है, तो नदी पार करने की मजबूरी है. लिहाजा कई बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं. हाल ही में एक 34 साल के युवक की भी नदी पार करते समय डूब जाने से मौत हो गई थी. इसके बाद से कई लोग अब नदी पार करने से भी कतराते हैं. इधर इस समस्या को लेकर क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री का कहना है कि "उन्होंने अपने कार्यकाल में खाकरोड में सडक बनवा दी है, लेकिन जहां तक पुल का सवाल है तो उसे भी जल्द बनवाया जाएगा. जाहिर है इस बार भी जनप्रतिनिधियों से ग्रामीणों को आश्वासन ही मिल पाया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पुल की मांग से त्रस्त हुए लोग मतदान करने को लेकर भी आखिर नदी पार करने जैसी हिम्मत दिखा पाएंगे अथवा नहीं.

ग्रामीणों ने किया वोट का बहिष्कार

इंदौर। महानगर बनते इंदौर की स्वच्छता और विकास भले शहर का उजला पक्ष हो, लेकिन इस शहर से सटे कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे हैं. जहां विकास की बयार अब तक नहीं पहुंची है. सांवेर विधानसभा के ऐसे ही गांव हैं खाकरोड, राम पिपलिया, तोड़ी और परलीयां. जहां के लोगों को अपने घर जाने के लिए गंदे नाले जैसी नदी कपड़े उतार कर पार करनी होती है. यहां पुरुष हो या महिला यदि करीब के रास्ते से घर पहुंचना है, तो उन्हें अपने कपड़े उतार कर गंदे और बदबूदार पानी से भरी नदी पार करने के लिए अर्धनग्न होना ही पड़ता है. बीते 4 दशकों से यह त्रासदी झेल रहे लोगों ने अब फैसला किया है कि नदी पर पुल नहीं तो किसी भी पार्टी को वोट भी नहीं. इंदौर के सांवेर से सिद्धार्थ माछीवाल की खास रिपोर्ट.

जनप्रतिनिधि से गुहार लगाकर थके ग्रामीण: दरअसल इंदौर से महज 15 किलोमीटर दूर सांवेर विधानसभा के खाकरोड़ गांव के लगभग 1700 रहवासी बीते 40 साल से मिल रहे आश्वासनों के बाद भी इंदौर शहर से गंदे पानी को प्रवाहित करने वाली कान्ह नदी पर पुल बनने का इंतजार कर रहे हैं. यही स्थिति अन्य तीन गांव के 5000 लोगों की है. 4 दशकों से उनके सब्र का आलम यह है कि गांव में नदी पार नहीं कर सकने योग्य बच्चों की पढ़ाई लिखाई छूट गई, जो महिलाएं लोक लाज के दर से कपड़े उतारने से डरती हैं. उन्होंने नदी के रास्ते गांव से निकलना ही छोड़ दिया. गांव के अन्य लोग क्षेत्रीय विधायक तुलसी सिलावट, पूर्व विधायक राजेश सोनकर, पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन और अन्य तमाम नेताओं से गुहार लगाते-लगाते थक गए, लेकिन इन गांवों के रास्ते की तस्वीर नहीं बदली. बरसात के दिनों में जब नदी फुल होती है, तो गांव से निकलने का एकमात्र रास्ता भी बंद हो जाता है. इस त्रासदी को झेलने के बाद अब ग्रामीणों को मौका मिला है. अपनी बात प्रभावशाली तरीके से कहने का. इन चुनाव के पहले उन्होंने पुल नहीं बनने की स्थिति में मतदान के ही बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.

नदी का गंदा पानी पार करके जाते हैं ग्रामीण: गंदी नदी पार करने के बदले में अन्य विकल्प के तौर पर जो रास्ता है. उसे इंदौर या अन्य स्थानों पर पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर दूर धनखेड़ी गांव में बने पुल से होकर करीब 15 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता है. जिसका सबसे बड़ा खामियाजा स्कूली बच्चों के अलावा अरविंदो स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को भुगतना होता है. ग्राम खाकरोद के अलावा पास के गांव रामपिपलिया व तोड़ी और पडलिया के करीब 5000 लोग भी इसी समस्या से रोजाना दो चार होते हैं.

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कई बार अर्धनग्न होकर नदी करना होता है पार: पुर्व जनपद अध्यक्ष हंसराज मंडलोई ने बताया कि "पुल नहीं होने से कई बार महिलाओं को भी कपड़े उतार कर गंदे पानी से भरी नदी पार करना पड़ता है. कई बार पानी अधिक होने पर पूरे कपड़े गंदे होने और भीग जाने के कारण उन्हें भी शर्मसार होना पड़ता है. उन्होंने बताया खाकरोड में एक स्कूल पांचवी तक है, लेकिन उन्हें पांचवी से आगे पढ़ना है, तो नदी पार करने की मजबूरी है. लिहाजा कई बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं. हाल ही में एक 34 साल के युवक की भी नदी पार करते समय डूब जाने से मौत हो गई थी. इसके बाद से कई लोग अब नदी पार करने से भी कतराते हैं. इधर इस समस्या को लेकर क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री का कहना है कि "उन्होंने अपने कार्यकाल में खाकरोड में सडक बनवा दी है, लेकिन जहां तक पुल का सवाल है तो उसे भी जल्द बनवाया जाएगा. जाहिर है इस बार भी जनप्रतिनिधियों से ग्रामीणों को आश्वासन ही मिल पाया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पुल की मांग से त्रस्त हुए लोग मतदान करने को लेकर भी आखिर नदी पार करने जैसी हिम्मत दिखा पाएंगे अथवा नहीं.

Last Updated : Oct 5, 2023, 9:08 PM IST
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