इंदौर। स्वच्छता रैंकिंग में सातवीं बार शहर को अव्वल लाया जा सके इसके लिए इंदौर में तरह-तरह के स्वच्छता इनोवेशन पर कार्य किया जा रहा है. इसी में से एक इनोवेशन स्मार्ट डस्टबिन का भी है स्मार्ट डस्टबिन को इंटर्नशिप विद मेयर प्रोग्राम के तहत तैयार किया जा रहा है. पहले चरण में गीले और सूखे कचरे को स्कैन करके अलग-अलग बॉक्स में इकट्ठा करने के हिसाब से डस्टबिन का आधा हिस्सा तैयार कर लिया गया है जो फिलहाल किसी ऑटोमेटिक इलेक्ट्रिक पोछा लगाने वाली मशीन की तरह चालू किए जाने पर कचरा खींचकर डस्टबिन में डालती है.
डस्टबिन की खासियत: स्मार्ट डस्टबिन को तैयार करने वाली 8 सदस्य की टीम के सदस्य मनुज जायसवाल का कहना है कि फिलहाल नगर निगम के सुरक्षाकर्मियों को सुबह अपने अपने क्षेत्र में सफाई के लिए निकलना होता है लिहाजा सुबह से ही सफाई कर्मियों का काम शुरू हो जाता है. यदि स्वच्छता कर्मियों और झाड़ू लगाने वालों के स्थान पर स्मार्ट डस्टबिन इंस्टॉल कर दिया जाए तो यह डस्टबिन भविष्य में कर्मचारियों का स्थान ले सकेंगे. मनुज ने बताया वर्तमान में जो डस्टबिन तैयार की गई है उसके ऑपरेटिंग सिस्टम को रोबोट टेक्नोलॉजी से जोड़ने पर वह रेडियो ट्रांसमीटर के जरिए निर्देश देने पर किसी रोबोट की तरह ही स्वच्छता का काम करेगी. इसके लिए स्वच्छता कर्मियों के स्थान पर एक रोबोट ऑपरेटर और एक कर्मचारी मशीन के जरिए ही काफी बड़े इलाके में यह काम तेजी से करा सकेंगे.
डस्टबिन स्मार्ट उपयोग: डस्टबिन की खास बात यह रहेगी कि इन्हें संबंधित रोबोट या कंट्रोल सिस्टम के साथ एक अन्य कर्मचारी की मौजूदगी में शहर के संबंधित वार्ड अथवा सड़कों पर इन्हें तैनात किया जा सकता है. मनुज ने बताया अभी पूरा प्रोजेक्ट टेस्टिंग मोड में है लेकिन चौकी पेटेंट के लिए डस्टबिन के प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही पैटर्न मिलते ही यह डस्टबिन उन कारपोरेट इलाकों में तैनात की जा सकती है. जहां कचरा बड़ी मात्रा में निकलता है इसके अलावा स्मार्ट डस्टबिन का प्रयोग सड़कों पर झाड़ू लगाने के अलावा स्वच्छता की निगरानी के रूप में भी किया जा सकेगा.
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इंटर्नशिप विद मेयर का इनोवेशन: इंदौर नगर निगम के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अपने अधीन करीब 40 युवाओं की ऐसी टीम तैयार की है जो स्वच्छता के अलग-अलग आइडिया और इनोवेशन पर काम करती है. हाल ही में इसी टीम के द्वारा स्मार्ट डस्टबिन का प्रोजेक्ट तैयार किया था. इसके बाद पूरी प्रक्रिया को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट कार्यालय में नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा परखा जा रहा है हालांकि इसी प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने पेटेंट के लिए सहमति देने का फैसला किया है. इस मामले में खुद महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि स्वच्छता के लिए इंदौर में तरह-तरह के प्रयोग होते हैं पहले भी 3r समेत अन्य स्वच्छता रैंकिंग से जुड़े प्रोजेक्ट के पेटेंट के लिए आवेदन स्वीकार कर लिया गया है.