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पेड़-पौधों के संरक्षण को लेकर इंदौर HC में याचिका, कोर्ट ने 5 विभाग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए इंदौर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी. जिसपर सोमवार को सुनवाई हुई. मामले में 5 विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.

इंदौर हाई कोर्ट
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Published : Aug 16, 2021, 7:27 PM IST

इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए एक याचिका लगाई गई थी, जिसपर सोमवार को सुनवाई हुई. मामले पर इंदौर हाई कोर्ट ने 5 विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में लिखा गया कि जिस तरह से मध्य प्रदेश सहित देशभर में विकास कार्य हो रहे हैं, उसमें पेड़-पौधे का ठीक तरह से संरक्षण नहीं हो रहा है. जिन जगहों पर विकास कार्य होते हैं, वहां पर सीमेंट-कंक्रीट की सड़कों का निर्माण कर दिया जाता है. जहां काफी संख्या में पेड़-पौधे लगे हैं, वहीं पर विकास कार्य हो रहे हैं. ऐसे में सीमेंट-कंक्रीट की सड़क होने की वजह से पेड़-पौधे फैल नहीं पाते हैं, और उनकी जड़ कमजोर हो जाती है.

याचिका में आगे लिखा कि पेड़-पौधों की जड़ें कमजोर होने की वजह से तेज बारिश में वह उखड़ जाते हैं. इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने 5 विभागों को नोटिस जारी किया, जिन पर आने वाले दिनों में सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता द्वारा यह मुद्दा उठाया गया कि वृक्षों का परीक्षण अधिनियम 2001 के विरुद्ध कार्य करते हुए पेड़ों के आसपास पेवर ब्लॉक लगाने की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है. जिस वजह से पेड़ कमजोर होते जा रहे हैं, और गिर रहे हैं. एक साल में इस तरह के कई हादसे हो चुके हैं.

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याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में विभिन्न कोर्ट के आदेशों के भी तर्क रखे गए.कोलकाता हाई कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भोपाल इस तरह के मामलों में दखल दे चुके हैं. दिल्ली, कोलकाता में पेड़ों के संरक्षण के लिए वृक्षों का परिक्षण अधिनियम के तहत उपाए किए जा रहे हैं.

वहीं अब इंदौर हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए सूचना पत्र जारी कर 5 विभागों से जवाब मांगा है. इस नोटिस पर संबंधित विभाग अब कोर्ट के समक्ष जवाब प्रस्तुत करेंगे, इसके बाद मामले में आगे की सुनवाई होगी.

इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए एक याचिका लगाई गई थी, जिसपर सोमवार को सुनवाई हुई. मामले पर इंदौर हाई कोर्ट ने 5 विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में लिखा गया कि जिस तरह से मध्य प्रदेश सहित देशभर में विकास कार्य हो रहे हैं, उसमें पेड़-पौधे का ठीक तरह से संरक्षण नहीं हो रहा है. जिन जगहों पर विकास कार्य होते हैं, वहां पर सीमेंट-कंक्रीट की सड़कों का निर्माण कर दिया जाता है. जहां काफी संख्या में पेड़-पौधे लगे हैं, वहीं पर विकास कार्य हो रहे हैं. ऐसे में सीमेंट-कंक्रीट की सड़क होने की वजह से पेड़-पौधे फैल नहीं पाते हैं, और उनकी जड़ कमजोर हो जाती है.

याचिका में आगे लिखा कि पेड़-पौधों की जड़ें कमजोर होने की वजह से तेज बारिश में वह उखड़ जाते हैं. इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने 5 विभागों को नोटिस जारी किया, जिन पर आने वाले दिनों में सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता द्वारा यह मुद्दा उठाया गया कि वृक्षों का परीक्षण अधिनियम 2001 के विरुद्ध कार्य करते हुए पेड़ों के आसपास पेवर ब्लॉक लगाने की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है. जिस वजह से पेड़ कमजोर होते जा रहे हैं, और गिर रहे हैं. एक साल में इस तरह के कई हादसे हो चुके हैं.

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याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में विभिन्न कोर्ट के आदेशों के भी तर्क रखे गए.कोलकाता हाई कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भोपाल इस तरह के मामलों में दखल दे चुके हैं. दिल्ली, कोलकाता में पेड़ों के संरक्षण के लिए वृक्षों का परिक्षण अधिनियम के तहत उपाए किए जा रहे हैं.

वहीं अब इंदौर हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए सूचना पत्र जारी कर 5 विभागों से जवाब मांगा है. इस नोटिस पर संबंधित विभाग अब कोर्ट के समक्ष जवाब प्रस्तुत करेंगे, इसके बाद मामले में आगे की सुनवाई होगी.

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