जबलपुर: लाख की खेती फायदे का धंधा है. अच्छी बात यह है कि इसमें किसान को कुछ करना नहीं होता बल्कि कुछ झाड़ियां पर लाख के कीड़ों को छोड़ना भर पड़ता है. इसके बाद यह कीड़े खुद बा खुद लाख का उत्पादन शुरू कर देते हैं. भारत में महाभारत काल से ही लाख का उत्पादन होता रहा है. कौरवों ने पांडवों के लिए लाक्षागृह बनवाया था तब से लाख का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन के साथ ही दवा के रूप में होता रहा है. स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट किसानों को लाख उत्पादन में मदद कर रहा है.
पेड़ और झाड़ियों पर उत्पादन
अनुपजाऊ क्षेत्र में किसानों के खेत में कुछ झाड़ी प्रजाति के पेड़ होते हैं. उपजाऊ क्षेत्र में यही पेड़ किसानों की खेत की मेड़ पर होते हैं लेकिन किसानों के लिए इन पेड़ों से कोई आय नहीं होती बल्कि उनके लिए ये पेड़ एक समस्या होते हैं. जबलपुर स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ अनिरुद्ध मजूमदार ने बताया कि "इन्हीं अनुपयोगी पौधों पर लाख के कीड़े का पालन किया जा सकता है. यह एक बहुत ही छोटा कीड़ा होता है जो अपने शरीर से एक रेजिन छोड़ता है जो धीरे-धीरे बहुत हार्ड हो जाती है इस कीड़े की लाइफ साइकिल 6 माह की होती है. इस तरह साल में दो बार एक ही पेड़ से लाख का उत्पादन लिया जा सकता है."
लाख की प्रजातियां
लाख की दो प्रजातियां होती हैं. रंगीनी लाख और कुसमी लाख. डॉ मजूमदार का कहना है कि "कुसमी लाख की मार्केट प्राइस बहुत ज्यादा है यदि बहुत अच्छे तरीके से इसका उत्पादन किया जाए तो एक पेड़ से ₹25000 तक कुसमी लाख निकली जा सकती है. यदि कोई किसान लाख का उत्पादन करना चाहता है तो उसे सबसे पहले जिस इलाके में लाख हो रही है वहां से कुछ लाख के कीड़े के साथ स्टिक्स लेकर आनी होगी और इन्हें कुछ खास पौधों में बांधना पड़ता है. मध्य प्रदेश में उमरिया और बालाघाट जिलों में कुछ किसान लाख की कीड़े वाली स्टिक्स बेचते हैं."
एक पौधे से 5 किलो तक का उत्पादन
डॉ अनिरुद्ध मजूमदार का कहना है कि "जो किसान लाख की खेती करना चाहते हैं उन्हें अपने खेत में बेर, पलाश और कुसुम के पौधे उगने होंगे. यदि किसानों के पास पुराने पौधे हैं तो उनकी छटाई करना जरूरी है ताकि उनमें नई स्टिक निकाल सकें. नई स्टिक्स पर ही लाख की कीड़ों की स्टिक को बांधा जाता है. नई शाखाएं नाजुक होती हैं इसलिए यह कीड़ा आसानी से इनका रस चूसकर लाख का उत्पादन कर सकता है. 6 महीने तक यह कीड़ा लाख के पौधे पर फलता फूलता है इसके बाद इसकी लाइफ साइकिल उसे पौधे में खत्म हो जाती है और यह अपना स्थान छोड़ देता है. इसलिए किसान यदि चाहे तो 6 माह बाद इस लाख वाली स्टिक को काटकर अलग कर सकता है इसके बाद जब दोबारा उसमें नई स्टिक्स आएंगे तो उनमें लाख के कीड़े अपना घर बना लेंगे. इस तरह यह प्रक्रिया चलती रहती है. यदि किसान ठीक-ठाक खेती कर रहा है तो एक पौधे से 5 किलो तक लाख निकल जा सकती है."
लाख का सबसे बड़ा निर्यातक था भारत
भारत में 1950 के दशक में दुनिया का सबसे ज्यादा लाख उत्पादित होता था और भारत दुनिया भर को इसका निर्यात करता था, लेकिन धीरे-धीरे भारत में इसका उत्पादन कम होता चला गया और कुछ साल पहले तक भारत ने केवल 5000 टन लाख ही निर्यात किया जो कभी 50000 टन होता था. बल्कि चीन अब भारत के बराबर लाख का उत्पादन करने लगा है इसलिए किसानों को इस खेती को अपनाना चाहिए. पौधे से सीधे काटकर लकड़ी सहित लाख का मूल्य ₹500 किलो चल रहा है यदि इसे कास्टिक सोडा से साफ करके बेचा जाए तो इसकी कीमत लगभग ₹800 हो जाती है और इसमें यदि थोड़ी प्रक्रिया और कर दी जाए तो यह लगभग ₹1500 प्रति किलो तक बिक जाती है.
लाख के उपयोग
डॉ अनिरुद्ध मजूमदार का कहना है कि "लाख का इस्तेमाल नेल पेंट, परफ्यूम, फर्नीचर की रंगाई के अलावा दवाइयां के लिए कैप्सूल बनाने के लिए भी किया जाता है. इसके अलावा लाख की चूड़ियां और सरकारी इस्तेमाल में भी लाख का इस्तेमाल किया जाता है और लगातार इसकी मांग बढ़ती जा रही है.
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किसानों को ट्रेनिंग
स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट लाख की खेती के इच्छुक किसानों को ट्रेनिंग भी देता है और उनके उत्पाद बिकने में मदद करता है. किसानों के लिए यह एक पैसिव इनकम है और हर किसान को छोटी मात्रा में इसे शुरू भी करना चाहिए. धीरे-धीरे इस व्यापार को बढ़ाने से किसान बड़े पैमाने पर पैसा भी कमा सकता है. मध्य प्रदेश में डिंडोरी उमरिया और बालाघाट जिलों में कई किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.