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Indore News: इंदौर मेडिकल हब में QR कोड के साथ बिक सकेगी दवाइयां, बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन करेगा निगरानी - इंदौर न्यूज

इंदौर मेडिकल हब में QR कोड के साथ दवाइयां बिकेगी. बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन निगरानी करेगा.

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इंदौर मेडिकल हब
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Published : Aug 16, 2023, 11:10 PM IST

इंदौर मेडिकल हब में QR कोड के साथ बिक सकेगी दवाइयां

इंदौर: देश भर में जेनेरिक नाम से बिकने वाली दवाओं पर बारकोड और क्यू आर कोड की व्यवस्था लागू है. प्रदेश के मेडिकल हब इंदौर में भी बिकने वाली 300 तरह की दवाइयां पर क्यूआर कोड की व्यवस्था लागू होगी. इसके बिना बिकने वाली दवाइयां पर बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन की निगरानी भी रहेगी. मध्य प्रदेश में सर्वाधिक दवाइयां इंदौर में तैयार होती हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर मध्य प्रदेश के फुटकर एवं थोक दवा बाजार में हर साल बेंच दिया जाता है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की अधिसूचना के अनुसार, देश भर में जेनेरिक नाम से बिकने वाली 300 तरह की दावों में क्यूआर कोड लगाना 1 अगस्त से शुरू हो चुका है. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े फार्मा और मेडिकल हब इंदौर में भी जो दवाइयां डॉमेस्टिक मार्केट में बेची जाएंगी उन में भी यही व्यवस्था लागू होगी.

नकली दवाओं पर निगरानी: बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी ने बताया कि "देश में पहले जो दवाइयां डॉमेस्टिक मार्केट में तैयार होती थी उन्हें एक्सपोर्ट करना होता था, इसके लिए क्यूआर कोड या बारकोड जरूरी था. लोकल मार्केट में ही जेनेरिक नाम से बिकने वाली दवाइयां पर यह व्यवस्था लागू नहीं थी. जिसके फलस्वरुप विभिन्न राज्यों में जेनेरिक नाम से नकली दवाइयां बेची जा रही थी. जबकि भारत सरकार ने डॉमेस्टिक मार्केट में बिकने वाली 300 दवाओं के लिए भी यही नियम लागू कर दिया है. इससे लोकल मार्केट में बनकर बाजार में बेची जाने वाली नकली दवाओं पर भी नकेल की कसी जाएगी."

उन्होंने बताया कि "बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन ने भारत सरकार को जानकारी दी थी, जिसके बाद इस फैसले से सकारात्मक परिणाम मिले हैं. इंदौर समेत लोकल मार्केट में जो दवाइयां 1 अगस्त के बाद आएंगे उनकी पड़ताल संगठन की ओर से भी की जाएगी. 300 तरह की सभी दवाओं में यह बारकोड है कि नहीं इसके लिए सभी दवा निर्माता के अलावा उपभोक्ताओं को भी जागरूक किया गया है. मोबाइल से संबंधित दवा का बारकोड या क्यूआर कोड स्कैन करके उनके द्वारा खरीदी जाने वाली संबंधित दवाई के बारे में जानकारी ले सकेंगे.

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यह जानकारी होगी क्यूआर कोड में: यूनिक प्रोडक्ट आईडेंटिफिकेशन कोड के तहत दवाई का उचित जेनेरिक नाम, ब्रांड नेम, दवा बनाने वाली कंपनी का नाम, पता, बैच नंबर, विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी की तारीख और विनिर्माण का लाइसेंस नंबर जैसी सभी जानकारी जरूरी दी गई है. दवा फॉर्मूलेशन के ब्रांडो के किसी भी बेच में यह लगाना जरूरी होगा. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की अधिसूचना के अनुसार, यह नियम उन सभी स्वदेशी और विदेशी दवा निर्माताओं पर लागू होगा जो भारत में संबंधित 300 दवाओं का निर्माण और विक्रय कर रहे हैं.

इंदौर मेडिकल हब में QR कोड के साथ बिक सकेगी दवाइयां

इंदौर: देश भर में जेनेरिक नाम से बिकने वाली दवाओं पर बारकोड और क्यू आर कोड की व्यवस्था लागू है. प्रदेश के मेडिकल हब इंदौर में भी बिकने वाली 300 तरह की दवाइयां पर क्यूआर कोड की व्यवस्था लागू होगी. इसके बिना बिकने वाली दवाइयां पर बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन की निगरानी भी रहेगी. मध्य प्रदेश में सर्वाधिक दवाइयां इंदौर में तैयार होती हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर मध्य प्रदेश के फुटकर एवं थोक दवा बाजार में हर साल बेंच दिया जाता है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की अधिसूचना के अनुसार, देश भर में जेनेरिक नाम से बिकने वाली 300 तरह की दावों में क्यूआर कोड लगाना 1 अगस्त से शुरू हो चुका है. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े फार्मा और मेडिकल हब इंदौर में भी जो दवाइयां डॉमेस्टिक मार्केट में बेची जाएंगी उन में भी यही व्यवस्था लागू होगी.

नकली दवाओं पर निगरानी: बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी ने बताया कि "देश में पहले जो दवाइयां डॉमेस्टिक मार्केट में तैयार होती थी उन्हें एक्सपोर्ट करना होता था, इसके लिए क्यूआर कोड या बारकोड जरूरी था. लोकल मार्केट में ही जेनेरिक नाम से बिकने वाली दवाइयां पर यह व्यवस्था लागू नहीं थी. जिसके फलस्वरुप विभिन्न राज्यों में जेनेरिक नाम से नकली दवाइयां बेची जा रही थी. जबकि भारत सरकार ने डॉमेस्टिक मार्केट में बिकने वाली 300 दवाओं के लिए भी यही नियम लागू कर दिया है. इससे लोकल मार्केट में बनकर बाजार में बेची जाने वाली नकली दवाओं पर भी नकेल की कसी जाएगी."

उन्होंने बताया कि "बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन ने भारत सरकार को जानकारी दी थी, जिसके बाद इस फैसले से सकारात्मक परिणाम मिले हैं. इंदौर समेत लोकल मार्केट में जो दवाइयां 1 अगस्त के बाद आएंगे उनकी पड़ताल संगठन की ओर से भी की जाएगी. 300 तरह की सभी दवाओं में यह बारकोड है कि नहीं इसके लिए सभी दवा निर्माता के अलावा उपभोक्ताओं को भी जागरूक किया गया है. मोबाइल से संबंधित दवा का बारकोड या क्यूआर कोड स्कैन करके उनके द्वारा खरीदी जाने वाली संबंधित दवाई के बारे में जानकारी ले सकेंगे.

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यह जानकारी होगी क्यूआर कोड में: यूनिक प्रोडक्ट आईडेंटिफिकेशन कोड के तहत दवाई का उचित जेनेरिक नाम, ब्रांड नेम, दवा बनाने वाली कंपनी का नाम, पता, बैच नंबर, विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी की तारीख और विनिर्माण का लाइसेंस नंबर जैसी सभी जानकारी जरूरी दी गई है. दवा फॉर्मूलेशन के ब्रांडो के किसी भी बेच में यह लगाना जरूरी होगा. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की अधिसूचना के अनुसार, यह नियम उन सभी स्वदेशी और विदेशी दवा निर्माताओं पर लागू होगा जो भारत में संबंधित 300 दवाओं का निर्माण और विक्रय कर रहे हैं.

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