इंदौर। मध्य प्रदेश की दृष्टिहीन छात्राएं भी अब सीएम राइज स्कूल में पढ़ाई कर सकेंगी. दरअसल इंदौर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की पहल पर शुरुआत इंदौर से की गई है. लिहाजा संस्था की मांग पर इंदौर जिला प्रशासन ने संस्था की 8 छात्राओं को कक्षा 9 और 12वीं के लिए सीएम राइज स्कूल में एडमिशन देने की सहमति दे दी है. प्रदेश में अपनी तरह की इस पहल के जरिए अब रिकॉर्डर लेकर दृष्टिहीन छात्राएं भी सीएम राइज स्कूल में होने वाली उन्नत शिक्षा का लाभ ले सकेंगी.
इंदौर कलेक्टर की अनोखी पहल: दरअसल वर्तमान शिक्षा सत्र से इंदौर का अहिल्या आश्रम स्कूल, सीएम राइज स्कूल में अपग्रेड किया गया है. स्कूल में पहले से यहां महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की 8 दृष्टिहीन छात्राएं आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थीं. इस वर्ष से सीएम राइज स्कूल में अपग्रेड होने के कारण स्कूल प्रबंधन ने इन छात्राओं को एडमिशन प्रक्रिया खत्म होने के नाम पर आगे पढ़ाने से इंकार कर दिया. अचानक दृष्टिहीन छात्राओं की पढ़ाई छूटने की आशंका में संस्था की विकास अधिकारी डॉ. डॉली जोशी ने इस मामले में आपत्ति लेते हुए इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टी से चर्चा कर बच्चों के साथ होने वाली मनमानी की जानकारी दी थी. इसके बाद इंदौर कलेक्टर ने शिक्षा की अनिवार्यता के तहत सीएम राइज स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि जो दृष्टिहीन छात्राएं पहले से यहां पढ़ रही हैं उन्हें आगे भी सीएम राइस स्कूल में पढ़ाया जाएगा. इतना ही नहीं स्कूल में दृष्टिहीन छात्राओं की आवश्यकता के अनुसार लैब आदि की अन्य सुविधाएं भी विकसित होंगी. इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने इन छात्राओं को इसी स्कूल में आगे पढ़ाने और एडमिशन देने की सहमति दी है.
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अहिल्या आश्रम, एडमिशन देने वाला पहला स्कूल: यह पहला मौका है जब दृष्टिहीन छात्राओं को प्रदेश के किसी सीएम राइज स्कूल में एडमिशन मिलने जा रहा है. इंदौर में इसकी शुरुआत इसलिए भी हो सकी है क्योंकि जिस स्कूल में दृष्टिहीन छात्राएं पढ़ रही थीं वह सीएम राइज स्कूल में परिवर्तित हो चुका है. फिलहाल प्रदेश के अन्य सीएम राइज स्कूलों में दृष्टिहीन छात्र-छात्राओं के लिए पढ़ाई की ऐसी व्यवस्था नहीं है. इंदौर में ऐसा इसलिए भी संभव हो सका है क्योंकि अहिल्या आश्रम स्कूल में पहले से 51 दृष्टिहीन छात्राएं पढ़ाई कर रही थीं, उन्हें भी प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाने के नाम पर कक्षा नवमी में एडमिशन देने से मना कर दिया गया था, जहां अब एडमिशन की राह खुल गई है.
लेक्चर को रिकॉर्ड करके होती है पढ़ाई: दृष्टिहीन छात्राओं के लिए तैयार की जाने वाली ब्रेल लिपि की पुस्तकें बंद हो जाने के कारण अब दृष्टिहीन छात्राओं ने पढ़ाई लिखाई का तरीका बदल दिया है. वह अब कक्षा में बाकायदा रिकॉर्डर लेकर जाती हैं और टीचर द्वारा पढ़ाए जाने वाला पीरियड अथवा लेक्चर रिकॉर्ड करती हैं. इसके बाद इस रिकॉर्डर को कई बार सुनकर वे कोर्स याद करती हैं, जिन्हें परीक्षा के दौरान उन्हें उपलब्ध कराए जाने वाले राइटर के जरिए वे बोलकर बताती हैं और राइटर परीक्षा में उनकी कॉपी लिखते हैं.