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कुपोषण की जद में मिनी मुंबई, समाधान की जगह जिम्मेदार दे रहे सफाई

इंदौर जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 1400 से ज्यादा बच्चे आज भी कुपोषण से जूझ रहे हैं. इस गंभीर स्थिति पर अधिकारी अपनी सफाई दे रहे हैं.

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Published : Nov 28, 2019, 11:29 PM IST

इंदौर। महिला एवं बाल विकास के बड़े अमले और पोषाहार वितरण के इंतजामों के बावजूद जिले में 1400 से ज्यादा बच्चे आज भी कुपोषण से जूझ रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन का दावा है कि कुपोषण रोकने के लिए प्रीवेंटिव अप्रोच के आधार पर काम किया जा रहा है.

कुपोषण से लड़ता इंदौर

कलेक्टर लोकेश जाटव कुपोषण की इस स्थिति पर सफाई देते हुए कहते हैं कि जिले में जो बच्चे कुपोषित हैं वह माइग्रेट होकर आए हैं. यह बच्चे उन श्रमिकों के हैं जो काम की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं, वहां सही से पोषण नहीं मिलने के कारण कुपोषित हो जाते हैं.

इधर महिला एवं बाल विकास विभाग की मानें तो जिले में कुपोषण का अनुपात 100 में से 7 बच्चों का है. मुख्य तौर पर जिस इलाके में कुपोषित बच्चे ज्याद पाए गए हैं वह महू तहसील से सटा वन्य क्षेत्र है. इसके अलावा जिले के मानपुर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या अन्य इलाकों से ज्यादा है.

महिला एवं बाल विकास विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ सीएल पासी ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा ग्राम पंचायत और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कुपोषण के खिलाफ रणनीति के आधार पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में कुपोषित बच्चे ज्यादा पाए जा रहे हैं वहां क्लस्टर बनाकर पोषाहार देने का कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आंगनबाड़ियों में भी पंचायतों के सहयोग से पोषाहार दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर भी गर्भवती महिलाओं के पोषण पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है. कुपोषण रोकने के लिए विभिन्न मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं

इंदौर। महिला एवं बाल विकास के बड़े अमले और पोषाहार वितरण के इंतजामों के बावजूद जिले में 1400 से ज्यादा बच्चे आज भी कुपोषण से जूझ रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन का दावा है कि कुपोषण रोकने के लिए प्रीवेंटिव अप्रोच के आधार पर काम किया जा रहा है.

कुपोषण से लड़ता इंदौर

कलेक्टर लोकेश जाटव कुपोषण की इस स्थिति पर सफाई देते हुए कहते हैं कि जिले में जो बच्चे कुपोषित हैं वह माइग्रेट होकर आए हैं. यह बच्चे उन श्रमिकों के हैं जो काम की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं, वहां सही से पोषण नहीं मिलने के कारण कुपोषित हो जाते हैं.

इधर महिला एवं बाल विकास विभाग की मानें तो जिले में कुपोषण का अनुपात 100 में से 7 बच्चों का है. मुख्य तौर पर जिस इलाके में कुपोषित बच्चे ज्याद पाए गए हैं वह महू तहसील से सटा वन्य क्षेत्र है. इसके अलावा जिले के मानपुर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या अन्य इलाकों से ज्यादा है.

महिला एवं बाल विकास विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ सीएल पासी ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा ग्राम पंचायत और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कुपोषण के खिलाफ रणनीति के आधार पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में कुपोषित बच्चे ज्यादा पाए जा रहे हैं वहां क्लस्टर बनाकर पोषाहार देने का कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आंगनबाड़ियों में भी पंचायतों के सहयोग से पोषाहार दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर भी गर्भवती महिलाओं के पोषण पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है. कुपोषण रोकने के लिए विभिन्न मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं

Intro:नोट
कुपोषण पर पूर्व में भेजी गई तीन खबरों के लिए संदर्भित जानकारी आधारित खबर, उदय जी या रजनीश जी के घ्यानार्थ


इंदौर, प्रदेश में कुपोषण की रोकथाम के तमाम प्रयासों के बावजूद इंदौर जिले में अभी 1400 से ज्यादा बच्चे कुपोषण की श्रेणी में है जिन्हें नए सिरे से पोषित करने के अलावा अब महिला बाल विकास और जिला प्रशासन समेत स्वास्थ्य और राजस्व विभाग प्रीवेंटिव अप्रोच पर काम कर रहा है जिससे कि जिले के बच्चों के अलावा माइग्रेट होकर आने वाले बच्चे भी कुपोषण मुक्त रह सकें


Body:इंदौर जिले में महिला बाल विकास के भारी-भरकम सेटअप और पोषाहार के भारी भरकम इंतजामों के बावजूद जिले में 1400 से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं जो अब भी कुपोषण की महामारी से जूझ रहे हैं हालांकि अब जिला प्रशासन का दावा है कि कुपोषण रोकने के लिए अब प्रीवेंटिव अप्रोच के आधार पर काम किया जा रहा है प्रशासन का दावा है कि जिले में जो बच्चे कुपोषित हैं वह माइग्रेट होकर आए हैं जो निर्माण श्रमिकों के हैं इधर महिला बाल विकास विभाग की माने तो जिले में कुपोषण का अनुपात 100 में से 7 बच्चों का है मुख्य तौर पर जिस इलाके में कुपोषित बच्चे बहुतायत में पाए गए हैं वह इंदौर जिले की महू तहसील से सटा वन्य क्षेत्र है इसके अलावा जिले के मानपुर में भी कुपोषित बच्चों की संख्या अन्य इलाकों से ज्यादा बताई गई है ऐसे में अब महिला बाल विकास विभाग के अलावा ग्राम पंचायत और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कुपोषण के खिलाफ रणनीति के आधार पर काम कर रहे हैं महिला बाल विकास के अनुसार जिन क्षेत्रों में कुपोषित बच्चे ज्यादा पाए जा रहे हैं वहां क्लस्टर बनाकर पोषाहार देने का कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं इसके अलावा आंगनबाड़ियों में भी पंचायतों के सहयोग से पोषाहार दिया जा रहा है स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर भी गर्भवती महिलाओं के पोषण पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है ऐसे में विभाग को उम्मीद है कि जल्द ही कुपोषण पर काबू पाया जा सकेगा क्योंकि यदि जिले में एक ही सी बच्ची भी कुपोषित है तो यह चिंता का विषय है लिहाजा कुपोषण रोकने के लिए विभिन्न मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं


Conclusion:बाइट लोकेश जाटव जिला कलेक्टर इंदौर
बाइट डॉ सी एल पासी जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास
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