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Indore फर्जी तरीके से दे दिया गिनीज बुक अवार्ड, मोटी रकम लेकर कई वेबसाइट कर रही हैं धोखाधड़ी - फर्जीवाड़े के खिलाफ इंदौर पुलिस से शिकायत

गिनीज बुक, लिम्का बुक और वर्ल्ड बुक के नाम से मिलने वाले रिकॉर्ड में अधिकांश मामले अब फर्जी पाए जा रहे हैं. इंदौर में उजागर हुए ऐसे ही मामले के तहत खुद वर्ल्ड बुक अवार्ड के संस्थापक के साथ उनके नाम और हस्ताक्षर से गिनीज बुक अवार्ड दिए जाने का फर्जीवाड़ा (World Book Award given fraudulently) सामने आया है. उन्होंने बेंगलुरु, दिल्ली और इंदौर पुलिस से शिकायत की है. बता दें कि कई वेबसाइट फर्जी तरीके से इस प्रकार के पुरस्कार प्रदान कर रही हैं और बदले में पुरस्कार विजेता से मोटी रकम ऐंठ रही हैं.

Indore World Book Award given fraudulently
Indore फर्जी तरीके से दे दिया वर्ल्ड बुक अवार्ड
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Published : Jan 7, 2023, 12:58 PM IST

Indore फर्जी तरीके से दे दिया वर्ल्ड बुक अवार्ड

इंदौर। एडवोकेट संतोष शुक्ल अपनी संस्था के माध्यम से समाज में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को वर्ल्ड बुक अवार्ड से सम्मानित करते हैं. हाल ही में उन्हें एक फोन कॉल के जरिए पता चला कि पुणे के जिस शिक्षक को कविता बनाने के नाम पर गिनीज बुक अवार्ड मिला है, उस अवार्ड का सर्टिफिकेट संतोष शुक्ल के नाम से जारी हुआ है. इस मामले की पड़ताल में पता चला कि संबंधित सर्टिफिकेट गिनीज बुक के नाम पर फर्जी तरीके से तैयार किया गया. जिसमें फर्जी तरीके से ही गिनीज बुक का लोगो दिया गया. उनका नाम सर्टिफिकेट में दर्शाया गया.

जांच की तो वेबसाइट बंद हो गई : संतोष शुक्ल वकील हैं. इसलिए जब उन्होंने इस मामले की पड़ताल की तो पता चला द गिनीज डॉट इन नामक एक वेबसाइट पर ऑनलाइन तरीके से यह सर्टिफिकेट प्राप्त किया गया है. इसके बाद छानबीन के दौरान संबंधित वेबसाइट अचानक बंद कर दी गई. इसके बाद इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले शिक्षक से पता चला कि उन्होंने यह पुरस्कार एक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करके प्राप्त किया है. संतोष शुक्ल ने उनके नाम से अवॉर्ड सर्टिफिकेट पर हो रही घपलेबाजी की शिकायत इंदौर पुलिस कमिश्नर के अलावा दिल्ली और पुणे पुलिस को शिकायत की है.

देशभर में ऑनलाइन फर्जीवाड़ा : इस मामले में पता चला है कि देशभर में ऑनलाइन तरीके से कई वेबसाइट ऐसी हैं, जो ऑनलाइन राशि प्राप्त करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड जैसे अवार्ड प्रदान करती हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इन अवार्ड को देने वाली संस्थाएं कहीं भी पंजीकृत नहीं होती. न ही इनके बारे में रिकॉर्ड रखने की कोई पुख्ता व्यवस्था है. यही वजह है कि देश में चंद रुपए के बदले ऑनलाइन किसी भी तरह का रिकॉर्ड प्राप्त करने का गोरखधंधा चल रहा है.

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ऑनलाइन मिल गया अवार्ड : शिकायत के अनुसार जो फर्जी सर्टिफिकेट गिनीज बुक के नाम से जारी किया गया है, वह पुणे के शिक्षक रतीलाल रामचंद्र बावेल को दिया गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि रतिराम को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने कविता शास्त्रचा समेत अन्य 30 कविताएं लिखी हैं. पूछताछ में पता चला है कि रतिराम ने भी वेबसाइट को सच मानकर पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया था. शिकायतकर्ता संतोष शुक्ल वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड के फाउंडर हैं, जो अपनी संस्था के माध्यम से वर्ल्ड बुक अवार्ड जारी करते हैं. खुद श्री शुक्ल भारत के अलावा ब्रिटेन लंदन समेत कई देशों के लोगों को उनके अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए पुरस्कार दे चुके हैं. माना जा रहा है कि उनके द्वारा दिए गए पुरस्कार के सर्टिफिकेट के कारण ही किसी अन्य फर्जी वेबसाइट ने उनके नाम से सर्टिफिकेट तैयार करा लिया, जिसकी सूचना उन्हें अब मिली है.

Indore फर्जी तरीके से दे दिया वर्ल्ड बुक अवार्ड

इंदौर। एडवोकेट संतोष शुक्ल अपनी संस्था के माध्यम से समाज में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को वर्ल्ड बुक अवार्ड से सम्मानित करते हैं. हाल ही में उन्हें एक फोन कॉल के जरिए पता चला कि पुणे के जिस शिक्षक को कविता बनाने के नाम पर गिनीज बुक अवार्ड मिला है, उस अवार्ड का सर्टिफिकेट संतोष शुक्ल के नाम से जारी हुआ है. इस मामले की पड़ताल में पता चला कि संबंधित सर्टिफिकेट गिनीज बुक के नाम पर फर्जी तरीके से तैयार किया गया. जिसमें फर्जी तरीके से ही गिनीज बुक का लोगो दिया गया. उनका नाम सर्टिफिकेट में दर्शाया गया.

जांच की तो वेबसाइट बंद हो गई : संतोष शुक्ल वकील हैं. इसलिए जब उन्होंने इस मामले की पड़ताल की तो पता चला द गिनीज डॉट इन नामक एक वेबसाइट पर ऑनलाइन तरीके से यह सर्टिफिकेट प्राप्त किया गया है. इसके बाद छानबीन के दौरान संबंधित वेबसाइट अचानक बंद कर दी गई. इसके बाद इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले शिक्षक से पता चला कि उन्होंने यह पुरस्कार एक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करके प्राप्त किया है. संतोष शुक्ल ने उनके नाम से अवॉर्ड सर्टिफिकेट पर हो रही घपलेबाजी की शिकायत इंदौर पुलिस कमिश्नर के अलावा दिल्ली और पुणे पुलिस को शिकायत की है.

देशभर में ऑनलाइन फर्जीवाड़ा : इस मामले में पता चला है कि देशभर में ऑनलाइन तरीके से कई वेबसाइट ऐसी हैं, जो ऑनलाइन राशि प्राप्त करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड जैसे अवार्ड प्रदान करती हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इन अवार्ड को देने वाली संस्थाएं कहीं भी पंजीकृत नहीं होती. न ही इनके बारे में रिकॉर्ड रखने की कोई पुख्ता व्यवस्था है. यही वजह है कि देश में चंद रुपए के बदले ऑनलाइन किसी भी तरह का रिकॉर्ड प्राप्त करने का गोरखधंधा चल रहा है.

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ऑनलाइन मिल गया अवार्ड : शिकायत के अनुसार जो फर्जी सर्टिफिकेट गिनीज बुक के नाम से जारी किया गया है, वह पुणे के शिक्षक रतीलाल रामचंद्र बावेल को दिया गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि रतिराम को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने कविता शास्त्रचा समेत अन्य 30 कविताएं लिखी हैं. पूछताछ में पता चला है कि रतिराम ने भी वेबसाइट को सच मानकर पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया था. शिकायतकर्ता संतोष शुक्ल वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड के फाउंडर हैं, जो अपनी संस्था के माध्यम से वर्ल्ड बुक अवार्ड जारी करते हैं. खुद श्री शुक्ल भारत के अलावा ब्रिटेन लंदन समेत कई देशों के लोगों को उनके अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए पुरस्कार दे चुके हैं. माना जा रहा है कि उनके द्वारा दिए गए पुरस्कार के सर्टिफिकेट के कारण ही किसी अन्य फर्जी वेबसाइट ने उनके नाम से सर्टिफिकेट तैयार करा लिया, जिसकी सूचना उन्हें अब मिली है.

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