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सीमित संसाधनों का रोना रो रहा दमकल विभाग

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Published : Apr 4, 2021, 11:09 PM IST

मध्य प्रदेश के इंदौर में गर्मी के साथ-साथ आगजनी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. वहीं दमकल विभाग अपनी सीमित संसाधनों के चलते आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने का रोना रो रहा है. हालांकि सीमित संसाधनों के बावजूद दमकल विभाग प्रयास करता है लेकिन शहर में बढ़तीं आगजनी की घटनाओं पर पूर्ण रूप से अंकुश नहीं लग पा रहा है.

indore fire department
इंदौर में आग

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाई जाने वाली इंदौर में गर्मी के दिनों में आगजनी की घटनाओं में भी बढ़ोतरी होती है. इंदौर शहर के अन्य विभाग तो एक के बाद एक स्मार्ट होते चले जा रहे हैं लेकिन दमकल विभाग अभी भी विभिन्न तरह की लापरवाहियों का रोना रो रहा है. सीमित संसाधनों के बाद भी आग लगने की दशा में दमकल विभाग मौके पर पहुंचता है और आग बुझाने के हर तरह के प्रयास किए जाते हैं. इंदौर शहर में शार्ट सर्किट के साथ ही अलग-अलग तरह की आगजनी की घटना समय-समय पर सामने आती रहती हैं. वहीं दमकल विभाग भी इन घटनाओं पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास करता है.

सीमित संसाधनों के बावजूद दमकल विभाग प्रयास करता है.

शहर में दमकल विभाग के सिर्फ पांच स्टेशन
इंदौर काफी तेजी से बढ़ रहा है. शहर चारों ओर से शहरी बस्तियों से घिरा हुआ है. शहर में यदि कोई भीषण आगजनी की घटना घटित हो जाए तो शहर के अन्य विभागों को भी उस पर काबू पाने में पसीने आ सकते हैं. दमकल विभाग के आंकड़े खुद यह हकीकत बयां कर रहे हैं. इंदौर में पांच फायर स्टेशन मौजूद हैं. पांचों ही अलग-अलग दिशाओं में हैं.

पांचों फायर स्टेशनों को होना पड़ता है एक
पहला फायर स्टेशन इंदौर के किला मैदान रोड पर लक्ष्मी बाई नगर में मौजूद है. दूसरा फायर स्टेशन सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद है, तीसरा फायर स्टेशन इंदौर के मध्य क्षेत्र गांधी हाल में मौजूद है, चौथा फायर स्टेशन मोती तबेला पर और पांचवां फायर स्टेशन जीएनटी मार्केट में मौजूद है. पांच फायर स्टेशन होने के बावजूद यदि किसी क्षेत्र में भीषण आगजनी की घटना सामने आती है तो इंदौर शहर के तमाम दमकल विभागों को एक साथ जुटना पड़ता है, तब जाकर आग पर काबू पाया जाता है.

35 गाड़ियों के साथ 135 का स्टाफ मौजूद
इंदौर शहर की जनसंख्या 25 लाख से अधिक है. जिस रफ्तार से जिला बढ़ रहा है, उस रफ्तार से दमकल विभाग की बढ़ोतरी नहीं हो रही है. पांच फायर स्टेशनों पर सिर्फ 35 गाड़ियां मौजूद हैं. इसी के साथ पूरे दमकल विभाग में मात्र 135 से 140 लोगों का स्टाफ है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. यदि किसी जगह पर भीषण आगजनी की घटना सामने आती है तो दमकल विभाग के पूरे अमले को आग को बुझाने के लिए जूझना पड़ता है. काफी मशक्कत करने के बाद आग पर काबू पाया जाता है.

चार मंजिल की बिल्डिंग तक आग बुझाने की है व्यवस्था
दमकल विभाग के पास सीमित संसाधन हैं. दमकल विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि वह चार मंजिल तक तो आसानी से आग पर काबू पाने का प्रयास कर सकते हैं लेकिन किसी 10 मंजिला इमारत में आग लग गई तो उसको बुझाने के दमकल विभाग के पास संसाधन ही नहीं मौजूद हैं. विभाग ने काफी प्रयास कर एक लिफ्ट वाली गाड़ी खरीदी थी लेकिन आज तक उसको चलाने वाले ड्राइवर की नियुक्ति विभाग में नहीं हुई. इस कारण वह अभी भी गैरेज में ही खड़ी है. इसी के साथ अलग-अलग तरह के जो संसाधन आग बुझाने के लिए उपयोग में लिए जाते हैं, जिनमें पाइप व अन्य संसाधन शामिल रहते हैं. वह भी विभाग के पास काफी खस्ता हालत में है.

50 से 60 प्रतिशत शार्ट सर्किट से लगती है आग
अधिकारियो का कहना है कि शहर में 50 से 60% आगजनी की घटनाएं सामने आती हैं. वह शार्ट सर्किट के कारण सामने आती हैं. वहीं जो 40% घटनाएं हैं. उनमें से 20% घटनाएं विभिन्न तरह की लापरवाही के कारण सामने आती हैं तो वहीं 10% घटनाएं गैस सिलेंडर फटने या अन्य कारणों के चलते सामने आती है. फिलहाल इन बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए भी समय-समय पर दमकल विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. उसके बाद भी इन घटनाओं पर अभी तक किसी तरह की कोई लगाम विभाग के द्वारा नहीं लगाई जा सकी.

20,000 के पानी के टैंकर से आग पर पाया जाता है काबू
वहीं जब आग लगने की सूचना दमकल विभाग को मिलती है तो अमला तकरीबन पांच से सात मिनट के अंतराल में पहुंच जाता है. सबसे पहले वहां मौजूद विभिन्न तरह की व्यवस्थाओं का जायजा लेता है. उसके बाद किस तरह से आग पर काबू पाना है, उसके बारे में अधिकारियों से डिस्कस करते हैं. दमकल विभाग के अधिकारियों का ऐसा मानना है कि जिस जगह पर आग लगी है. उस आग को उसी जगह पर सीमित करना सबसे बड़ा टास्क रहता है. उसको अन्य क्षेत्रों में बढ़ने नहीं देना इसके लिए वहां पर एक टैंकरों के माध्यम से सबसे पहले पानी चलाया जाता है. धीरे-धीरे उस जगह पर पानी छोड़ा जाता है, ताकि आग सीमित दायरे में रहे. आसपास के क्षेत्रों को खाली करवा दिया जाता है. तकरीबन 20,000 लीटर से बड़े पानी के टैंकर से बड़ी सी बड़ी आग पर काबू पाया जाता है. धीरे-धीरे मौके पर अन्य पानी के टैंकर भी पहुंचना शुरू हो जाते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट का भी कहना है कि इंदौर शहर काफी तेजी से बढ़ रहा है. यहां अधिकतर लापरवाही के कारण ही आगजनी की घटना सामने आती हैं. कई बार घरों में गैस सिलेंडर फटने की जो घटना होती है. वह घर में मौजूद सदस्यों की लापरवाही के कारण होती है. वहीं दूसरा कारण शार्ट सर्किट है. कई बार कई घरों में रेगुलर तरीके से वायरिंग की जांच पड़ताल नहीं की जाती है, जिसके कारण शार्ट सर्किट से आग लग जाती है. अतः ऐसी घटनाओं से बचने के लिए खुद को तैयार रखना बहुत आवश्यक है. इसी के साथ जो बड़े-बड़े मॉल हैं. वहां पर भी शार्ट सर्किट के कारण आगजनी की घटना सामने आती हैं. शॉर्ट सर्किट की घटनाओं को रोकने के लिए समय-समय पर जांच पड़ताल करायी जानी चाहिए.

आग लगने पर हड़बड़ाए नहीं
आगजनी की घटना होने पर कई बार लोग हड़बड़ाहट में कई तरह के जतन करते हैं, जिससे आग भीषण रूप ले लेती है और जनहानि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. अगर कोई व्यक्ति आगजनी की घटना में फंस जाता हैर और धुएं के कारण उसका दम घुटने लगता है तो उस व्यक्ति को सीने के बल जमीन पर लेट जाना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि चीन में लोग भीषण आगजनी की घटना में इसी तरह के उपाय का प्रयोग करते हैं.

घर और मॉल में होना चाहिए फायर एक्यूमेंट
फायर एक्सपर्ट और रहवासी संघों का भी कहना है कि आजकल लोग घरों में फायर एक्यूमेंट नहीं रखते हैं, जिससे आगजनी की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. अतः रहवासियों को फायर इक्यूमेंट अपने घरों में रखने चाहिए. जिससे कि तत्काल प्रभाव से आग पर काबू पाया जा सके. वहीं बड़े-बड़े मॉलो में भी फायर एक्यूमेंट की कमी देखने में आ रही है. बड़े-बड़े मॉलो की चेकिंग के लिए प्रशासन को अभियान चलाना चाहिए. जिन मॉल में फायर एक्यूमेंट नहीं मिलते हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए. जब तक इंदौर शहर में इस तरह से कड़े कानून नहीं बनाए जाएंगे. तब तक आगजनी की घटना पर काबू नहीं पाया जा सकता.

रहवासी संघ इस तरह से करते हैं उपाय
इंदौर शहर में टाउनशिप कल्चर भी जमकर सामने आ रही है. लोग शहरों से बाहर जाकर मकान बना रहे हैं. वहां पर रहने वाले टाउनशिप रहवासी संघ का कहना है कि यदि आगजनी की घटना सामने आती है तो सबसे पहले फायर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही आसपास में जो भी पानी के संसाधन मौजूद रहते हैं उससे ही रहवासियों के द्वारा आगजनी घटना पर काबू पाया जाता है. इसी के साथ घर में फायर एक्यूमेंट रखे जाते हैं.

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाई जाने वाली इंदौर में गर्मी के दिनों में आगजनी की घटनाओं में भी बढ़ोतरी होती है. इंदौर शहर के अन्य विभाग तो एक के बाद एक स्मार्ट होते चले जा रहे हैं लेकिन दमकल विभाग अभी भी विभिन्न तरह की लापरवाहियों का रोना रो रहा है. सीमित संसाधनों के बाद भी आग लगने की दशा में दमकल विभाग मौके पर पहुंचता है और आग बुझाने के हर तरह के प्रयास किए जाते हैं. इंदौर शहर में शार्ट सर्किट के साथ ही अलग-अलग तरह की आगजनी की घटना समय-समय पर सामने आती रहती हैं. वहीं दमकल विभाग भी इन घटनाओं पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास करता है.

सीमित संसाधनों के बावजूद दमकल विभाग प्रयास करता है.

शहर में दमकल विभाग के सिर्फ पांच स्टेशन
इंदौर काफी तेजी से बढ़ रहा है. शहर चारों ओर से शहरी बस्तियों से घिरा हुआ है. शहर में यदि कोई भीषण आगजनी की घटना घटित हो जाए तो शहर के अन्य विभागों को भी उस पर काबू पाने में पसीने आ सकते हैं. दमकल विभाग के आंकड़े खुद यह हकीकत बयां कर रहे हैं. इंदौर में पांच फायर स्टेशन मौजूद हैं. पांचों ही अलग-अलग दिशाओं में हैं.

पांचों फायर स्टेशनों को होना पड़ता है एक
पहला फायर स्टेशन इंदौर के किला मैदान रोड पर लक्ष्मी बाई नगर में मौजूद है. दूसरा फायर स्टेशन सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद है, तीसरा फायर स्टेशन इंदौर के मध्य क्षेत्र गांधी हाल में मौजूद है, चौथा फायर स्टेशन मोती तबेला पर और पांचवां फायर स्टेशन जीएनटी मार्केट में मौजूद है. पांच फायर स्टेशन होने के बावजूद यदि किसी क्षेत्र में भीषण आगजनी की घटना सामने आती है तो इंदौर शहर के तमाम दमकल विभागों को एक साथ जुटना पड़ता है, तब जाकर आग पर काबू पाया जाता है.

35 गाड़ियों के साथ 135 का स्टाफ मौजूद
इंदौर शहर की जनसंख्या 25 लाख से अधिक है. जिस रफ्तार से जिला बढ़ रहा है, उस रफ्तार से दमकल विभाग की बढ़ोतरी नहीं हो रही है. पांच फायर स्टेशनों पर सिर्फ 35 गाड़ियां मौजूद हैं. इसी के साथ पूरे दमकल विभाग में मात्र 135 से 140 लोगों का स्टाफ है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. यदि किसी जगह पर भीषण आगजनी की घटना सामने आती है तो दमकल विभाग के पूरे अमले को आग को बुझाने के लिए जूझना पड़ता है. काफी मशक्कत करने के बाद आग पर काबू पाया जाता है.

चार मंजिल की बिल्डिंग तक आग बुझाने की है व्यवस्था
दमकल विभाग के पास सीमित संसाधन हैं. दमकल विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि वह चार मंजिल तक तो आसानी से आग पर काबू पाने का प्रयास कर सकते हैं लेकिन किसी 10 मंजिला इमारत में आग लग गई तो उसको बुझाने के दमकल विभाग के पास संसाधन ही नहीं मौजूद हैं. विभाग ने काफी प्रयास कर एक लिफ्ट वाली गाड़ी खरीदी थी लेकिन आज तक उसको चलाने वाले ड्राइवर की नियुक्ति विभाग में नहीं हुई. इस कारण वह अभी भी गैरेज में ही खड़ी है. इसी के साथ अलग-अलग तरह के जो संसाधन आग बुझाने के लिए उपयोग में लिए जाते हैं, जिनमें पाइप व अन्य संसाधन शामिल रहते हैं. वह भी विभाग के पास काफी खस्ता हालत में है.

50 से 60 प्रतिशत शार्ट सर्किट से लगती है आग
अधिकारियो का कहना है कि शहर में 50 से 60% आगजनी की घटनाएं सामने आती हैं. वह शार्ट सर्किट के कारण सामने आती हैं. वहीं जो 40% घटनाएं हैं. उनमें से 20% घटनाएं विभिन्न तरह की लापरवाही के कारण सामने आती हैं तो वहीं 10% घटनाएं गैस सिलेंडर फटने या अन्य कारणों के चलते सामने आती है. फिलहाल इन बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए भी समय-समय पर दमकल विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. उसके बाद भी इन घटनाओं पर अभी तक किसी तरह की कोई लगाम विभाग के द्वारा नहीं लगाई जा सकी.

20,000 के पानी के टैंकर से आग पर पाया जाता है काबू
वहीं जब आग लगने की सूचना दमकल विभाग को मिलती है तो अमला तकरीबन पांच से सात मिनट के अंतराल में पहुंच जाता है. सबसे पहले वहां मौजूद विभिन्न तरह की व्यवस्थाओं का जायजा लेता है. उसके बाद किस तरह से आग पर काबू पाना है, उसके बारे में अधिकारियों से डिस्कस करते हैं. दमकल विभाग के अधिकारियों का ऐसा मानना है कि जिस जगह पर आग लगी है. उस आग को उसी जगह पर सीमित करना सबसे बड़ा टास्क रहता है. उसको अन्य क्षेत्रों में बढ़ने नहीं देना इसके लिए वहां पर एक टैंकरों के माध्यम से सबसे पहले पानी चलाया जाता है. धीरे-धीरे उस जगह पर पानी छोड़ा जाता है, ताकि आग सीमित दायरे में रहे. आसपास के क्षेत्रों को खाली करवा दिया जाता है. तकरीबन 20,000 लीटर से बड़े पानी के टैंकर से बड़ी सी बड़ी आग पर काबू पाया जाता है. धीरे-धीरे मौके पर अन्य पानी के टैंकर भी पहुंचना शुरू हो जाते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट का भी कहना है कि इंदौर शहर काफी तेजी से बढ़ रहा है. यहां अधिकतर लापरवाही के कारण ही आगजनी की घटना सामने आती हैं. कई बार घरों में गैस सिलेंडर फटने की जो घटना होती है. वह घर में मौजूद सदस्यों की लापरवाही के कारण होती है. वहीं दूसरा कारण शार्ट सर्किट है. कई बार कई घरों में रेगुलर तरीके से वायरिंग की जांच पड़ताल नहीं की जाती है, जिसके कारण शार्ट सर्किट से आग लग जाती है. अतः ऐसी घटनाओं से बचने के लिए खुद को तैयार रखना बहुत आवश्यक है. इसी के साथ जो बड़े-बड़े मॉल हैं. वहां पर भी शार्ट सर्किट के कारण आगजनी की घटना सामने आती हैं. शॉर्ट सर्किट की घटनाओं को रोकने के लिए समय-समय पर जांच पड़ताल करायी जानी चाहिए.

आग लगने पर हड़बड़ाए नहीं
आगजनी की घटना होने पर कई बार लोग हड़बड़ाहट में कई तरह के जतन करते हैं, जिससे आग भीषण रूप ले लेती है और जनहानि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. अगर कोई व्यक्ति आगजनी की घटना में फंस जाता हैर और धुएं के कारण उसका दम घुटने लगता है तो उस व्यक्ति को सीने के बल जमीन पर लेट जाना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि चीन में लोग भीषण आगजनी की घटना में इसी तरह के उपाय का प्रयोग करते हैं.

घर और मॉल में होना चाहिए फायर एक्यूमेंट
फायर एक्सपर्ट और रहवासी संघों का भी कहना है कि आजकल लोग घरों में फायर एक्यूमेंट नहीं रखते हैं, जिससे आगजनी की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. अतः रहवासियों को फायर इक्यूमेंट अपने घरों में रखने चाहिए. जिससे कि तत्काल प्रभाव से आग पर काबू पाया जा सके. वहीं बड़े-बड़े मॉलो में भी फायर एक्यूमेंट की कमी देखने में आ रही है. बड़े-बड़े मॉलो की चेकिंग के लिए प्रशासन को अभियान चलाना चाहिए. जिन मॉल में फायर एक्यूमेंट नहीं मिलते हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए. जब तक इंदौर शहर में इस तरह से कड़े कानून नहीं बनाए जाएंगे. तब तक आगजनी की घटना पर काबू नहीं पाया जा सकता.

रहवासी संघ इस तरह से करते हैं उपाय
इंदौर शहर में टाउनशिप कल्चर भी जमकर सामने आ रही है. लोग शहरों से बाहर जाकर मकान बना रहे हैं. वहां पर रहने वाले टाउनशिप रहवासी संघ का कहना है कि यदि आगजनी की घटना सामने आती है तो सबसे पहले फायर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही आसपास में जो भी पानी के संसाधन मौजूद रहते हैं उससे ही रहवासियों के द्वारा आगजनी घटना पर काबू पाया जाता है. इसी के साथ घर में फायर एक्यूमेंट रखे जाते हैं.

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