इंदौर. जिला अदालत ने एक केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है. कोर्ट ने एक सड़क हादसे में जान गंवाने वाली बहू और बेटे की 60 साल की मां को उत्तरधिकारी मानते हुए, मुआवजे के तौर पर इंश्योरेंस कंपनी से एक करोड़ 30 लाख रुपए का मुआवजा देने को कहा है. ऐसा पहली बार है, जब बहू का उत्तरधिकारी उसकी सास को माना गया है. बहू पंजाब बैंक में मैनेजर थी. मृतक दंपत्ति का एक 10 साल का बेटा भी है. जब दंपत्ति की सड़क हादसे में मौत हुई थी, तब उनका बेटा बहुत छोटा था. उस समय बुजुर्ग महिला और उनके पति ने कोर्ट में मुआवजा राशि देने की गुहार लगाई थी. केस के बीच ही उनके पति का भी कोरोना के समय देहांत हो गया था. इस वजह से कोर्ट ने सास को मुआवजा राशि में उत्तरधिकारी माना है.
क्या है पूरा केस: दरअसल, साल 2016 में जिला अदालत में मालती देवी (60) की ओर से एडवोकेट राजेश खंडेलवाल ने याचिका लगाई. उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि 6 नवंबर 2016 मालती देवी का बेटा आयुष और बहू श्वेता घर से बाहर खाना खाने निकले थे. बाइपास रोड के निपानिया के पास पहुंचे तो उनकी कार एक कंटेनर से जा टकराई. इसमें दोनों की मौत हो गई. इसको लेकर इंदौर जिला कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई को दौरान फरियादी के एडवोकेट ने कोर्ट के सामने तर्क रखे. जिस कंटेनर से घटना घटी, वो अवैध तरीके से सड़क पर खड़ा था. पार्किंग को लेकर उसने किसी तरह का सिग्नल नहीं दिया हुआ था. इससे मालती देवी के बेटे-बहू का एक्सीडेंट हो गया.
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जस्टिस विजय दांगी की बेंच ने सुनाया फैसला: मृतक आयुष एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. श्वेता पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर थी. दोनों की मौत के बाद घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई. इधर, मालती देवी के पति की भी मौत हो चुकी है. अब उनके साथ एक पोता रहता है.
फरियादी के वकील की तरफ से सभी तर्क को सुनते हुए कोर्ट ने पूरे मामले में एक करोड़ 30 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश जारी किया. फैसला माननीय न्यायाधीश विजय दांगी की बेंच ने दिया.
उन्होंने आदेश देते हुए कहा है कि 1.30 करोड़ की राशि को एफडी किया जाए. इस बीमा राशि को 50%-50% प्रतिशत के आधार पर कोर्ट ने दादी और पोते को उत्तरधिकारी माना है.