इंदौर। दुनिया भर में स्वादिष्ट खान पान के लिए पाक कला और रसोई की अपनी परंपरा और विरासत रही है. यह विरासत आज भी विभिन्न देशों के रसोई के बर्तनों में झलकती है. हालांकि ऐसे बर्तन अब दुर्लभ हो चुके हैं. खान-पान के शहर इंदौर में पहली बार एशियाई देशों के ऐसे ही बर्तनों की प्रदर्शनी लगी है. जो एशियाई देशों में तरह-तरह के खान-पान और उनके निर्माण की तरह-तरह की शैलियों के अलावा विभिन्न देशों में अपनाए जाने वाली खान-पान की विधि और परंपरा के गवाह रहे हैं.
इंदौर में लगी साइंस आर्ट गैलरी: दुनिया भर में जितने तरह का खान-पान है, उसे बनाने के लिए उतने ही तरह के बर्तनों की भी विरासत रही है. हर तरह के व्यंजन और खान-पान के लिए तैयार होने वाले बर्तन सदियों से किचन और कुकिंग के उपयोगी साधन रहे हैं. इन बर्तनों की अपनी विरासत और परंपरा है. जो आज भी इन्हें दुर्लभ बनाती है. स्वादिष्ट खानपान के शहर इंदौर में अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी साइंस की आर्ट गैलरी में इन दोनों एशियाई देशों के तरह-तरह के दुर्लभ बर्तन देखे जा सकते हैं.
एशियाई देशों की कुकिंड कॉकरी : इनकी प्रदर्शनी को लेकर इनका कलेक्शन करने वाले कीर्ति त्रिवेदी की कोशिश है कि एशियाई देशों में जिस तरीके का खान-पान है. वह किस तरह के बर्तनों में तैयार होता है. उसे खान-पान को तैयार करने के लिए उपयोग होने वाली क्रॉकरी और कुकिंग सामग्री की क्या विरासत रही है. यह मालवा और खासकर इंदौर के लोग भी जान सके. नतीजतन इस गैलरी में न केवल भारत बल्कि चीन, पाकिस्तान, वियतनाम, बाली, जापान, कोरिया, ताइवान और थाईलैंड जैसे एशियाई देशों के रसोई बर्तनों के जरिए प्रदर्शित की जा रही है. इन बर्तनों में न केवल धातु जैसे तांबा पीतल कांसा और मिश्रित धातु के बर्तन बल्कि मिट्टी, चीनी मिट्टी, बांस, लकड़ी और अन्य सामग्री से बने बर्तन भी हैं, जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
प्रतिदिन उपयोग होने वाले हजारों साल पुराने बर्तन: अरविंद इंस्टिट्यूट की आर्ट गैलरी में बर्तनों का जो संग्रह है. उसमें विभिन्न देशों के हजारों साल पुरानी कुकिंग आर्ट की परंपरा झलकती है. जिनका उपयोग टीपॉट के अलावा विभिन्न फंक्शन के अलावा अलग-अलग त्योहार में विभिन्न देशों में होता रहा है. इनमें चीन की yixing pottry भी है, जो 16वीं सदी में चीन के जियांगशु क्षेत्र में उपयोग में लाई जाती थी. इसके अलावा भारत में दसवीं सदी में उपयोग किए जाने वाले लोटे और अन्य बर्तन हैं. इसी प्रकार वियतनाम और चीन के बर्तनों में चीनी भाषा का लेखन है. जबकि अन्य देशों में उनके प्रतीक चिन्ह के अलावा वन क्षेत्र की डिजाइन और वहां पर पाए जाने वाले जीव जंतुओं की भी झलक मिलती है.
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बर्तनों में स्वाद की भी परंपरा: दरअसल भारतीय बर्तनों को लेकर माना जाता है की पीतल तांबे कांसा और मिट्टी के बर्तनों में तैयार होने वाले खाने का अलग जाएका और महक होती है. लिहाजा यहां मौजूद बर्तन विभिन्न देशों के खान पान के स्वाद और महक को भी दर्शाते हैं. इसके अलावा ऐसे भी बर्तन मौजूद हैं. जिनमे रखे होने और पकाए जाने वाले रखे जाने वाले पकवान न केवल लंबे समय तक ताजा बने रहते हैं, बल्कि खराब भी नहीं होते.