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मिलावटी दवा बनाने वाली फैक्ट्री सील, संचालक सहित दो आरोपी गिरफ्तार

आयुष-ड्रग्स और क्राइम ब्रांच की संयुक्त कार्रवाई में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा हुआ है, जिसे सील कर संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया है.

Indore Crime Branch raids drug factory
मिलावटी दवा बनाने वाली फैक्ट्री सील
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Published : Jan 22, 2020, 8:21 PM IST

इंदौर। शहर में मिलावटी दवा बनाने वाले कारखाने पर क्राइम ब्रांच ने छापेमारी की है, क्राइम ब्रांच, आयुष विभाग और ड्रग्स विभाग की संयुक्त कार्रवाई में संचालक, कर्मचारी सहित दो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. मुखबिर से सूचना मिली थी कि शिक्षक नगर में एक व्यक्ति मिलावटी दवा बनाने का काम करता है. उसी जगह पर कारखाना भी संचालित किया जा रहा है. जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने आयुष विभाग के अधिकारी और ड्रग्स विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर दबिश दी. फैक्ट्री संचालक नरेंद्र जैन और उसके सहयोगी संतोष पाटिल को नकली दवा बनाते हुए गिरफ्तार किया है.

मिलावटी दवा बनाने वाली फैक्ट्री सील

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कारखाने में सोनामिंट नाम से दवाई बनाई जाती है, जिसे मार्केट में थोक में बेचा जाता है, मौके पर पुलिस को खुले कंटेनरों में रखी लाखों टेबलेट भी मिली है, जोकि इसी कारखाने में बनाई गई थी. पुलिस के मुताबिक आरोपी जो दवाएं बनाते थे, उसमें सोडियम बाय कार्बोनेट उपयोग किया जाता था. जो मेडिकल में उपयोग करने लायक नहीं होता है. इसी सोडियम बाय कार्बोनेट की 27 बोरियां भी कारखाने में पुलिस को मिली हैं.

इततनी भारी मात्रा में सोडियम बाय कार्बोनेट मिलने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर फैक्ट्री को सील कर दिया है, पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने ये भी बताया कि वे दवाएं बनाने के बाद इंदौर शहर की विभिन्न दुकानों पर सप्लाई करते थे.

इंदौर। शहर में मिलावटी दवा बनाने वाले कारखाने पर क्राइम ब्रांच ने छापेमारी की है, क्राइम ब्रांच, आयुष विभाग और ड्रग्स विभाग की संयुक्त कार्रवाई में संचालक, कर्मचारी सहित दो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. मुखबिर से सूचना मिली थी कि शिक्षक नगर में एक व्यक्ति मिलावटी दवा बनाने का काम करता है. उसी जगह पर कारखाना भी संचालित किया जा रहा है. जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने आयुष विभाग के अधिकारी और ड्रग्स विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर दबिश दी. फैक्ट्री संचालक नरेंद्र जैन और उसके सहयोगी संतोष पाटिल को नकली दवा बनाते हुए गिरफ्तार किया है.

मिलावटी दवा बनाने वाली फैक्ट्री सील

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कारखाने में सोनामिंट नाम से दवाई बनाई जाती है, जिसे मार्केट में थोक में बेचा जाता है, मौके पर पुलिस को खुले कंटेनरों में रखी लाखों टेबलेट भी मिली है, जोकि इसी कारखाने में बनाई गई थी. पुलिस के मुताबिक आरोपी जो दवाएं बनाते थे, उसमें सोडियम बाय कार्बोनेट उपयोग किया जाता था. जो मेडिकल में उपयोग करने लायक नहीं होता है. इसी सोडियम बाय कार्बोनेट की 27 बोरियां भी कारखाने में पुलिस को मिली हैं.

इततनी भारी मात्रा में सोडियम बाय कार्बोनेट मिलने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर फैक्ट्री को सील कर दिया है, पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने ये भी बताया कि वे दवाएं बनाने के बाद इंदौर शहर की विभिन्न दुकानों पर सप्लाई करते थे.

Intro:इंदौर शहर में मिलावट कर दवाई बनाने वाले कारखाने पर क्राइम ब्रांच, आयुष विभाग और ड्रग्स विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए छापा मारा है, पूरे मामले में संचालक, कर्मचारी सहित दो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं क्राइम ब्रांच के द्वारा जांच हेतु लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आने के पश्चात आरोपियों के विरुद्ध धाराओं में इजाफा भी किया जा सकता है


Body:क्राइम ब्रांच इंदौर की टीम को मुखबिर से सूचना मिली थी कि शिक्षक नगर में एक व्यक्ति मिलावटी दवाई बनाने का काम करता है और उसी स्थान पर कारखाना भी संचालित किया जा रहा है सूचना मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने आयुष विभाग के अधिकारी और ड्रग्स विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर दबिश दी और फैक्ट्री संचालक नरेंद्र जैन और उसके सहयोगी संतोष पाटिल को नकली दवाई बनाते हुए गिरफ्तार किया दबिश में कारखाने के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कारखाने में सोनामिंट नाम से दवाई बनाई जाती है और मार्केट में इसे होलसेल में बेचा जाता था मौके पर पुलिस को खुले कंटेनरो में रखी लाखों टेबलेट भी मिली जो कि कारखाने में ही बनाई गई थी पुलिस के मुताबिक आरोपियों के द्वारा जो दवाई बनाई जाती थी उसमें सोडियम बाय कार्बोनेट उपयोग किया जाता था जो कि मेडिकल में उपयोग करने लायक नहीं होता है इसी सोडियम बाय कार्बोनेट की 27 बोरिया भी कारखाने में पुलिस को मिली जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर फैक्ट्री को सील कर दिया पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने यह भी बताया कि वह दवाई बनाने के बाद इंदौर शहर की विभिन्न दुकानों पर दवाइयों का सप्लाई करता था

बाईट - रुचि वर्धन मिश्र, डीआईजी


Conclusion:पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने यह जानकारी दी कि उक्त दवाइयां पेट से संबंधित समस्या से पीड़ित लोगों के उपयोग में आती थी आरोपियों के द्वारा जिन 10 से 12 फार्मा कंपनियों को दवाइयां बेची जाती थी उससे उन्हें 1 महीने में लाखों रुपए का मुनाफा होता था आरोपियों के विरुद्ध एरोड्रम थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया है साथ ही जांच हेतु लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफ अन्य कई धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा
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