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इंदौर के बहुचर्चित संजय ठाकरे हत्याकांड में कोर्ट का फैसला, 9 साल बाद सभी आरोपी बरी

इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र में 9 साल पहले हुए संजय ठाकरे हत्याकांड में जिला कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. जिला कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. हालांकि एक आरोपी अभी भी फरार है. एक अप्रैल 2011 को इंदौर के महालक्ष्मी नगर में संजय पाठक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

Indore court
इंदौर जिला कोर्ट
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Published : Dec 14, 2020, 4:07 PM IST

इंदौर: लसूड़िया थाना क्षेत्र में 9 साल पहले संजय ठाकरे नाम के एक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस पूरे मामले में इंदौर की जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और तकरीबन 9 साल बाद इस मामले में इंदौर की जिला कोर्ट ने फैसला सुना दिया. कोर्ट ने मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया. हालांकि एक आरोपी अभी फरार चल रहा है.

महालक्ष्मी नगर में हुई थी हत्या

बता दें 9 साल पहले एक अप्रैल 2011 को इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र के महालक्ष्मी नगर में संजय ठाकरे की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस पूरे ही मामले में इंदौर की जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के दौरान तकरीबन 28 से ज्यादा इस पूरे मामले में गवाह कोर्ट के समक्ष पर उपस्थित हुए थे. वहीं एक के बाद एक कई गवाहों को इंदौर की जिला कोर्ट ने सुना, जिसके बाद तकरीबन 9 साल बाद इस पूरे मामले में कोर्ट में सुनवाई पूरी करते हुए पूरे मामले में 9 आरोपियों को रिहा कर दिया.

सरपंच पति पर था हत्या का आरोप !

बता दें मृतक संजय ठाकरे ने एक जमीन से संबंधित मामले में कई तरह की शिकायतें कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों से की थी. आरोप है कि पूरे ही मामले में आरोपी पक्ष संजय ठाकरे पर कई तरह के दबाव बना रहे थे. आरोप लगाया गया कि सरपंच पति किशोर पटेल ने घटना को अंजाम दिया था और किशोर पटेल के द्वारा ही लगातार संजय ठाकरे पर अलग-अलग तरह से जमीन से संबंधित शिकायतें वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था. लेकिन संजय ठाकरे शिकायत वापस नहीं ले रहा था, जिसके बाद आरोप लगाया गया कि किशोर पटेल ने अन्य साथियों के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दे दिया. बता दें किशोर पटेल की पत्नी सरपंच रह चुकी हैं और जिस समय इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस समय संजय की पत्नी सरपंच थी.

गवाहों के पलट जाने के बाद फैसला

इस पूरे मामले में पुलिस ने तकरीबन 28 लोगों की गवाही पर 10 आरोपी बनाए थे. जिनमें से 9 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. वहीं एक आरोपी की लगातार पुलिस तलाश कर रही है. नौ आरोपियों ने इंदौर की जिला कोर्ट सहित हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जमानत के लिए आवेदन पेश किए थे. लेकिन कई आरोपियों को जमानत भी नहीं मिली थी. एक के बाद एक इंदौर की जिला कोर्ट में 28 गवाहों के बयान दर्ज हुए. लेकिन चश्मदीद गवाह योगेंद्र सिंह जादौन और कैलाश पाटिल अपने बयान से पलट गए. मामले में अब सभी आरोपी बरी कर दिए गए हैं. ऐसे में अब पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है.

इंदौर: लसूड़िया थाना क्षेत्र में 9 साल पहले संजय ठाकरे नाम के एक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस पूरे मामले में इंदौर की जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और तकरीबन 9 साल बाद इस मामले में इंदौर की जिला कोर्ट ने फैसला सुना दिया. कोर्ट ने मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया. हालांकि एक आरोपी अभी फरार चल रहा है.

महालक्ष्मी नगर में हुई थी हत्या

बता दें 9 साल पहले एक अप्रैल 2011 को इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र के महालक्ष्मी नगर में संजय ठाकरे की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस पूरे ही मामले में इंदौर की जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के दौरान तकरीबन 28 से ज्यादा इस पूरे मामले में गवाह कोर्ट के समक्ष पर उपस्थित हुए थे. वहीं एक के बाद एक कई गवाहों को इंदौर की जिला कोर्ट ने सुना, जिसके बाद तकरीबन 9 साल बाद इस पूरे मामले में कोर्ट में सुनवाई पूरी करते हुए पूरे मामले में 9 आरोपियों को रिहा कर दिया.

सरपंच पति पर था हत्या का आरोप !

बता दें मृतक संजय ठाकरे ने एक जमीन से संबंधित मामले में कई तरह की शिकायतें कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों से की थी. आरोप है कि पूरे ही मामले में आरोपी पक्ष संजय ठाकरे पर कई तरह के दबाव बना रहे थे. आरोप लगाया गया कि सरपंच पति किशोर पटेल ने घटना को अंजाम दिया था और किशोर पटेल के द्वारा ही लगातार संजय ठाकरे पर अलग-अलग तरह से जमीन से संबंधित शिकायतें वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था. लेकिन संजय ठाकरे शिकायत वापस नहीं ले रहा था, जिसके बाद आरोप लगाया गया कि किशोर पटेल ने अन्य साथियों के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दे दिया. बता दें किशोर पटेल की पत्नी सरपंच रह चुकी हैं और जिस समय इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस समय संजय की पत्नी सरपंच थी.

गवाहों के पलट जाने के बाद फैसला

इस पूरे मामले में पुलिस ने तकरीबन 28 लोगों की गवाही पर 10 आरोपी बनाए थे. जिनमें से 9 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. वहीं एक आरोपी की लगातार पुलिस तलाश कर रही है. नौ आरोपियों ने इंदौर की जिला कोर्ट सहित हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जमानत के लिए आवेदन पेश किए थे. लेकिन कई आरोपियों को जमानत भी नहीं मिली थी. एक के बाद एक इंदौर की जिला कोर्ट में 28 गवाहों के बयान दर्ज हुए. लेकिन चश्मदीद गवाह योगेंद्र सिंह जादौन और कैलाश पाटिल अपने बयान से पलट गए. मामले में अब सभी आरोपी बरी कर दिए गए हैं. ऐसे में अब पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है.

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