इंदौर। कंज्यूमर कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए 10 साल बाद अस्पताल प्रबंध को शिकायतकर्ता को 47 लाख रुपए देने का आदेश सुनाया है. फरियादी ने कोर्ट में परिवाद लगाया था. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिए हैं. कंज्यूमर कोर्ट ने 2008 में शिकायतकर्ता ने अस्पताल की शिकायत की थी. इसमें बताया था कि उसकी पत्नी को भर्ती कराया गया था. जिसका इलाज डॉ.नीना अग्रवाल ने किया. डॉ. नीना अग्रवाल ने सोनोग्राफी रिपोर्ट भी सामान्य बताई. इसके बाद डिलीवरी के लिए उन्होंने पत्नी को हॉस्पिटल में भर्ती किया.
बच्चे की जिंदगी से खिलवाड़ : भर्ती करने के बाद मरीज को लावारिस छोड़ दिया गया. उसके बाद तकरीबन 12 से 13 घंटे के प्रसव पीड़ा सहन करने के बाद बच्चा निकालने के लिए अलग तरह की तकनीक का इस्तेमाल मरीज के परिजनों की अनुमति के बिना किया गया. जिसके कारण बच्चा आज चलने फिरने और दैनिक काम करने में भी असमर्थ है. अस्पताल की लापरवाही के कारण ही बच्चे की जिंदगी खराब हुई है. इस पूरे मामले में कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया. मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट आने के बाद कंज्यूमर कोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन को हर्जाना भरने के आदेश दिए.
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मृतक की पत्नी को 2 करोड़ देने का आदेश : दूसरे मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने फरियादी की सुनवाई करते हुए इस तरह के आदेश दिए हैं. फरियादी के परिजनों की मौत समुद्र में तूफान आने की वजह से हो गई थी. उन्होंने बीमा कंपनी से मुआवजे को लेकर परिवाद लगाया था. बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को उसके द्वारा कराई गई बीमा राशि की पूर्ण रकम 2 करोड़ रुपये अदा करने के निर्देश दिए गए हैं. वर्ष 2021 में मुंबई समुद्र में इंजीनियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करने वाले बीमा धारक आनंद कार्पेटर की तूफ़ान आने के चलते मौत का मामला है. एडवोकेट अरुण त्रिपाठी ने बताया कि फ़ोरम ने बीमा कंपनी को मृतक की पत्नी को दो करोड़ अदा करने के निर्देश दिए हैं.